श्रीमद्भागवत कथा में छठवें दिन हुआ कृष्ण और रुक्मणी विवाह

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-प्रसंग सुन भाव विभोर हुए श्रद्धालु, भगवान श्रीकृष्ण के लगाए जयकारे

जुरहरा, जिला डीग रेखचंद्र भारद्वाज: जुरहरा की खण्डेलवाल धर्मशाला में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के छठवें दिन कथावाचक डॉ. रामजीलाल शास्त्री गहवर वन बरसाना ने गोवर्धन पूजा, छप्पन भोग, महारास लीला, रासलीला में भगवान शंकर का आना एवं श्री कृष्ण रुक्मणी विवाह के प्रसंग का सुंदर वर्णन किया। इस अवसर कथावाचक रामजीलाल शास्त्री ने बताया कि महारास में पांच अध्याय हैं उनमें गाए जाने वाले पंच गीत भागवत के पंच प्राण हैं जो भी ठाकुरजी के इन पांच गीतों को भाव से गाता है, वह भव सागर से पार हो जाता है। उन्हें वृंदावन की भक्ति सहज प्राप्त हो जाती है। कथा में श्री कृष्ण रुक्मणी विवाह के प्रसंग का संगीतमय कथा का श्रवण कराया गया।

कथावाचक ने कहा कि महारास में भगवान श्रीकृष्ण ने बांसुरी बजाकर गोपियों का आह्वान किया था और महारास लीला द्वारा ही जीवात्मा का परमात्मा से मिलन हुआ। भगवान श्रीकृष्ण-रुक्मणी के विवाह की झांकी ने सभी को खूब आनंदित किया। रुक्मणी विवाह के आयोजन ने श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। इस दौरान कथा मंडप में विवाह का प्रसंग आते ही चारों तरफ से श्रीकृष्ण-रुक्मणी पर जमकर फूलों की बरसात हुई। कथावाचक रामजीलाल शास्त्री ने श्रीमद्भागवत कथा के महत्व को बताते हुए कहा कि जो भक्त कृष्ण-रुक्मणी के विवाह उत्सव में शामिल होते हैं उनकी वैवाहिक समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो जाती है। उन्होंने बताया कि जीव परमात्मा का अंश है इसलिए जीव के अंदर अपार शक्ति रहती है यदि कोई कमी रहती है, तो वह मात्र संकल्प की होती है संकल्प के कपट रहित होने से प्रभु उसे निश्चित रूप से पूरा करते हैं।

श्रीमद्भागवत कथा में छठवें दिन हुआ कृष्ण और रुक्मणी विवाह 2श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन की कथा प्रारंभ करते हुए कथा वाचक ने भगवान की अनेक लीलाओं में श्रेष्ठतम लीला रासलीला का वर्णन करते हुए बताया कि रास तो जीव का शिव के मिलन की कथा है। यह काम को बढ़ाने की नहीं काम पर विजय प्राप्त करने की कथा है। इस कथा में कामदेव ने भगवान पर खुले मैदान में अपने पूर्ण सामर्थ्य के साथ आक्रमण किया लेकिन वह भगवान को पराजित नहीं कर पाया उसे ही परास्त होना पडा। रासलीला में जीव का शंका करना या काम को देखना ही पाप है। गोपी गीत पर बोलते हुए कथा व्यास ने कहा जब-जब जीव में अभिमान आता है भगवान उनसे दूर हो जाते हैं। जब कोई भगवान को न पाकर विरह में होता है तो श्रीकृष्ण उस पर अनुग्रह करते है उसे दर्शन देते है।

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