पीएम गतिशक्ति के अंतर्गत नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप की बैठक : 52 हजार करोड़ वाली छह परियोजनाओं का किया आकलन

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नई दिल्ली : पीएम गतिशक्ति के अंतर्गत नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप (एनपीजी) की 56वीं बैठक आयोजित की गई. इस बैठक में  लगभग 52,000 करोड़ रुपये की कुल परियोजना लागत वाली सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच) की चार परियोजनाओं और रेल मंत्रालय (एमओआर) की दो परियोजनाओं सहित छह परियोजना प्रस्तावों का आकलन किया गया। नई दिल्ली स्थित यशोभूमि कन्वेंशन सेंटर में उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) की विशेष सचिव (लॉजिस्टिक्स) सुमिता डावरा ने इस बैठक की अध्यक्षता की . यहएनपीजी की 56वीं एनपीजी बैठक थी । पीएम गतिशक्ति शुरू होने के बाद से, एनपीजी द्वारा लगभग 11.53 लाख करोड़ रुपये की कुल लागत वाली 112 परियोजनाओं  का आकलन किया जा चुका है।

एमओआरटीएच ने एनपीजी में लगभग 45000 करोड़ रुपये की लागत वाली चार सड़क परियोजनाएं प्रस्तुत कीं और गतिशक्ति सिद्धांतों का पालन प्रदर्शित किया। पहला परियोजना प्रस्ताव गुजरात और महाराष्ट्र राज्य में स्थित एक ग्रीनफील्ड रोड है, जिससे न केवल नवसारी, नासिक, अहमदनगर जिलों में औद्योगिक बेल्ट बल्कि क्षेत्र के कृषि क्षेत्र को भी लाभ होगा। इसके अतिरिक्त, इस परियोजना से सुगम और सुविधाजनक कनेक्टिविटी प्रदान करके नवसारी, वलसाड और नासिक जैसे जनजातीय जिलों के समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान मिलने की उम्मीद है। इससे क्षेत्र में पर्यटन सेक्टर को भी लाभ होगा और उस्मानाबाद जैसे महत्वाकांक्षी जिले भी जुड़ेंगे।

दूसरी ग्रीनफील्ड रोड परियोजना भी बनासकांठा, पाटन, मेहसाणा, गांधीनगर और अहमदाबाद जिले से होकर गुजरात राज्य में स्थित है। यह अमृतसर-जामनगर आर्थिक गलियारे को अहमदाबाद और वडोदरा से जोड़ेगी और परिवहन के अन्य साधनों के साथ एकीकृत होगी, जिससे क्षेत्र में मल्टी-मोडैलिटी के संवर्धन और उपयोग में योगदान मिलेगा।

प्रस्तावित तीसरी सड़क परियोजना बिहार राज्य में स्थित है और इसमें भारतमाला परियोजना के तहत पटना-आरा-सासाराम गलियारे को 4 लेन का बनाने का कार्य  शामिल है। इस परियोजना से जनजातीय क्षेत्रों सहित वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) ग्रस्त जिलों में सामाजिक-आर्थिक विकास होने की संभावना है। यह परियोजना मौजूदा मार्ग और यात्रा समय को कम करके लॉजिस्टिक्स दक्षता में सुधार करने में मदद करेगी और पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के माध्यम से उत्तर प्रदेश से आने वाले तथा झारखंड और पटना की ओर जाने वाले यातायात के लिए निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करेगी। यह क्षेत्र के जलमार्गों को भी जोड़ेगी ।

बैठक में जिस चौथी सड़क परियोजना पर चर्चा की गई वह उत्तर प्रदेश में स्थित है। इसका उद्देश्य मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बीच अंतरराज्यीय कनेक्टिविटी में सुधार लाना है।

बैठक के दौरान, लगभग 6700 करोड़ रुपये की कुल परियोजना लागत वाले दो रेलवे परियोजना प्रस्तावों का भी आकलन किया गया। एक ग्रीनफील्ड रेलवे लाइन परियोजना ओडिशा में स्थित है और गंजम, नयागढ़, कंधमाल, बौध, संबलपुर और अंगुल जिलों से होकर गुजरती है। यह पश्चिमी ओडिशा के औद्योगिक और खनिज समूहों को पूर्वी तट बंदरगाह से जोड़ेगा। इसके अतिरिक्त, पूर्वी छत्तीसगढ़ के औद्योगिक समूहों का पूर्वी तट के बंदरगाह तक संपर्क मार्ग छोटा हो जाएगा। इस रेलवे लाइन से कंधमाल और बौध जिलों के जनजातीय इलाकों में समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास होने की संभावना है और प्रस्तावित लाइन के साथ नए औद्योगिक गलियारों के लिए अवसर खुलेंगे।

एक अन्य रेलवे परियोजना प्रस्ताव केरल राज्य में स्थित है और इसमें रेलवे लाइनों का दोहरीकरण शामिल है। बुनियादी ढांचे में प्रस्तावित वृद्धि से दक्षिणी रेलवे के अत्यधिक दबाव वाले गलियारे में रेलों की आवाजाही की गुणवत्ता में सुधार होगा। इसके अतिरिक्त, इससे मालगाड़ियों और सवारी गाडि़यों, दोनों के लिए यात्रा का समय कम हो जाएगा।

बैठक के दौरान, एनपीजी ने स्वीकार किया कि इन परियोजनाओं से औद्योगिक विकास के द्वार खुलेंगे, जिससे अनेक आकांक्षी जिलों और जनजातीय जिलों को लाभ होगा।

इस बैठक में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, नागरिक उड्डयन मंत्रालय, रेल मंत्रालय, पत्तन पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय, विद्युत मंत्रालय, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, दूरसंचार विभाग और नीति आयोग सहित सदस्य विभागों और मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।

बैठक के दौरान चर्चा में परियोजना के नियोजन में पीएम गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान (एनएमपी) पोर्टल का उपयोग करने के लाभों को रेखांकित किया गया और इस बात पर भी प्रकाश डाला गया कि एनएमपी पोर्टल किस प्रकार लागत के साथ-साथ परियोजना के नियोजन में समय की बचत में भी प्रभावपूर्ण रहा। डिजिटल सर्वेक्षण के माध्यम से योजना बनाने से बुनियादी ढांचे की योजना प्रक्रिया में क्रांतिकारी बदलाव आ रहा है, जिसके परिणामस्वरूप डीपीआर तैयार करने पर लगने वाले समय में कमी आई है, वनों/आर्थिक क्षेत्रों/पुरातात्विक स्थलों/सामाजिक नोड्स आदि के साथ नियोजित परियोजना के इंटरसेक्शन की कल्पना की गई है। बैठक में इस बात पर भी गौर किया गया कि इससे परियोजना क्षेत्र के प्रमुख सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों के लिए मार्ग और संयोजन अनुकूलन तथा अंतिम छोर तक कनेक्टिविटी योजना में भी मदद मिलती है।

इसके अलावा, ये परियोजनाएं परिवहन के अन्य साधनों के साथ अच्छी तरह से जुड़ी हुई हैं और इस प्रकार ये मल्टी-मोडैलिटी को बढ़ावा देंगी।

एनपीजी का फोकस गतिशक्ति के दृष्टिकोण से परियोजनाओं के आकलन के दौरान परियोजना नियोजन में क्षेत्र विकास दृष्टिकोण था, जिसका उद्देश्य क्षेत्र के समग्र सामाजिक-आर्थिक उत्थान को सुनिश्चित करना था।

बैठक में जिन परियोजनाओं का आकलन किया गया उन सभी में आर्थिक और सामाजिक विकास के लाभ के लिए विभिन्न परिवहन साधनों को बिना किसी बाधा के जोड़ने और मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी को प्रोत्साहित करने के लिए पीएम गतिशक्ति दिशानिर्देशों को अपनाया गया है।

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