-11 से 25 सितंबर 2023 तक आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए देश के 72 प्राथमिक शिक्षकों का हुआ था चयन
-गुरुग्राम के राजकीय मॉडल संस्कृति प्राथमिक विद्यालय, चौमा में तैनात हैं प्राथमिक शिक्षिका रेखा कादियान
-नेशनल एजुकेशन पालिसी 2020 के तहत शिक्षा में “पुतली कला” उपयोग करने पर दिया गया है बल
-देश के अलग -अलग राज्यों के कलाकार देते हैं शिक्षकों को पुतली कला का शानदार प्रशिक्षण
-स्कूली बच्चों को पढ़ाने व सिखाने के तौर तरीके को रुचिकर बनाने की सिखाते हैं गुर
सुभाष चौधरी /The Public World
गुरुग्राम : नेशनल एजुकेशन पालिसी 2020 के तहत शिक्षा में “पुतली कला” उपयोग करने के लिए आयोजित राष्ट्रीय प्रशिक्षण में देश के 72 शिक्षकों में हरियाणा से गुरुग्राम के राजकीय मॉडल संस्कृति प्राथमिक विद्यालय, चौमा में तैनात प्राथमिक शिक्षिका रेखा कादियान शामिल रहीं. यह प्रशिक्षण, केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय के अधीन प्रमुख संस्था सांस्कृतिक स्तोत्र एवं प्रशिक्षण केन्द्र (CCRT) नई दिल्ली द्वारा आयोजित किया गया.
शिक्षिका रेखा कादियान ने बताया कि 11 से 25 सितंबर 2023 तक सांस्कृतिक स्तोत्र एवं प्रशिक्षण केन्द्र (CCRT) नई दिल्ली में चले इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में पूरे भारतवर्ष से 72 प्राथमिक शिक्षकों ने शिक्षा के क्षेत्र में पुतली कला की भूमिका के बारे में प्रशिक्षण लिया. इस प्रशिक्षण का अधिकतम फोकस इस बात पर रहा कि बच्चों को पढ़ाने व सिखाने के तौर तरीके को कैसे और रुचिकर बनाया जाय. उल्लेखनीय है कि शिक्षिका रेखा कादियान एक मात्र ऐसी शिक्षिका हैं जिन्हें राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित इस विशेष प्रशिक्षण योजना में हरियाणा राज्य का प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिला. इसके लिए उन्होंने गुरुग्राम की मौलिक शिक्षा अधिकारी सरोज दहिया और खंड शिक्षा अधिकारी सुदेश राघव का आभार जताया । सभी अधिकारियों ने “पुतली कला” प्रशिक्षण में अपनी बेहतर दक्षता का प्रदर्शन करने के लिए रेखा कादियान की प्रशंसा की है. अधिकारियों ने उम्मीद जताई है कि गुरुग्राम के स्कूलों के बच्चों की सीखने की प्रतिभा और ललक को उभारने में इस प्रशिक्षण का बेहतर सदुपयोग होगा.
रेखा कादियान का कहना है कि वे पुतली कला में उनकी दक्षता का भरपूर उपयोग यहाँ के स्कूली बच्चों के क्षमता निर्माण पर करेंगी. उन्होंने कहा कि बच्चों को जब कलात्मक माध्यम से कुछ पढ़ाया जाता है तो वे जल्दी इसे ग्रहण करते हैं और यह उनके लिया कभी न भूलने वाला पाठ बन जाता है. यह उनके लिए गर्व का विषय है कि इस ख़ास योजना के तहत उनका चयन प्रशिक्षण के लिए किया गया. इसमें उन्हें भी बहुत कुछ नया सीखने को मिला है .
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में शिक्षा के क्षेत्र में स्कूली बच्चों को पढ़ाने के लिए पुतली कला पर विशेष महत्व दिया गया है. नई शिक्षा नीति में इस माध्यम को बच्चों में कल्पना शक्ति, रचनात्मकता तथा अवलोकन कुशलताओं को विकसित करने में सहायक बताया गया है ।
सांस्कृतिक स्तोत्र एवं प्रशिक्षण केन्द्र (CCRT) नई दिल्ली में अध्यापकों को पुतली कला की परंपरागत शैलियों से अवगत कराने के लिए देश के विभिन्न भागों से समय-समय पर परंपरागत कलाकारों को आमंत्रित किया जाता है । प्रशिक्षणर्थियों को देश के सभी भागों में विद्यमान पुतली नाटक की विभिन्न शैलियों से परिचित कराने हेतु भारत की परंपरागत पुतली नाटय कला पर व्याख्यान-प्रदर्शन भी आयोजित किए जाते हैं । अध्यापकों को कागज की पुतलियों जिनमें उगली-पुतली, मुखौटे तथा छड़ पुतलियों को बनाना और चलाना शामिल है, सिखाया जाता है । पेपर मैशी (कुट्टी) से पुतलियों के सिर बनाने और कागज चिपकाने की अन्य कार्य प्रणलियों के बारे में भी अध्यापकों को प्रशिक्षण दिया जाता है ।
हरियाणा से गुरुग्राम के राजकीय मॉडल संस्कृति प्राथमिक विद्यालय, चौमा में तैनात प्राथमिक शिक्षिका रेखा कादियान ने बताया कि उन्हें प्रशिक्षण के दौरान कक्षा में सामाजिक समस्याओं के प्रति जागरूकता और शैक्षिक संकल्पनाओं को अभिव्यक्त करने हेतु आसानी से उपलब्ध तथा बेकार सामग्री से सरल पुतलियों का निर्माण करना सिखाया गया. इन सभी पुतलियों का मेनीपुलेशन प्रत्येक क्रियात्मक सत्र के पश्चात् साथ-साथ सिखाया गया । अध्यापकों ने विभिन्न प्रकार की पुतलियों की सहायता से शैक्षिक पुतली कार्यक्रम तैयार करना भी सीखा जो बेहद रुचिकर था ।
अध्यापकों के लिए कुशल बनने के किये चित्रकारी, मुकाभिनय रचनात्मक या सृर्जनात्मक लेखन, रचनात्मक भाषण, संवाद प्रस्तुति, स्वर परिवर्तन आदि पर विशेष सत्र आयोजित किए गए । पुतली नाटक के माध्यम से उत्तम शिक्षाप्रद संदेश देने की कला भी सिखाई गई. पुतली नाटकों के लिए आलेख लेखन की जानकारी भी दी गई ।