नई दिल्ली : भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने 22 अगस्त को प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 (“अधिनियम”) की धारा 27 के तहत एक आदेश जारी किया, जिसमें चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड (सीएचबी) को अधिनियम की धारा 4(2)(ए)(आई) तथा धारा 4(1) के प्रावधानों के उल्लंघन का दोषी पाया गया है।
यह मामला श्री रमेश कुमार द्वारा दायर की गई सूचना के आधार पर शुरू किया गया था। वर्ष 2010 में सीएचबी द्वारा शुरू की गई स्व-वित्तपोषण आवास योजना (“योजना”) के तहत श्री रमेश कुमार को एक फ्लैट का आवंटन किया गया था।
यह आरोप लगाया गया था कि सीएचबी ने अधिनियम की धारा 4 के तहत अपनी प्रमुख स्थिति का दुरुपयोग किया है, जिसमें अन्य बातों के अलावा, आवंटियों पर अनुचित शर्तें और धाराएं लगाना, सीएचबी की ओर से अपने ब्रोशर और/या स्वीकृति-सह-मांग पत्र (एसीडीएल) में आवंटियों को फ्लैट के कब्जे की तारीख की जानकारी देने में विफल रहना और एक दिन की देरी के लिए भी पूरे महीने के लिए दंडात्मक ब्याज लगाना शामिल हैं।
प्रासंगिक बाजार को “केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में आवासीय फ्लैटों के विकास और बिक्री की सेवाओं के प्रावधान के लिए बाजार” के रूप में रेखांकित करने के बाद, आयोग ने पाया कि सीएचबी एक प्रमुख स्थिति में है और यह प्रासंगिक बाजार में बिना प्रतिस्पर्धी ताकतों के स्वतंत्र रूप से काम कर सकता है। आयोग ने यह भी पाया कि फ्लैटों के आवेदकों को कब्जे की तारीख की जानकारी न देना और किस्त जमा होने में एक दिन की देरी के कारण पूरे महीने के लिए दंडात्मक ब्याज लगाना, अधिनियम की धारा 4(2)(ए)(आई) के तहत प्रमुख स्थिति का दुरुपयोग है।
इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि सीएचबी द्वारा पहले ही सुधार संबंधी उपाय किए जा चुके हैं, सीसीआई ने सीएचबी पर कोई भी आर्थिक जुर्माना नहीं लगाया।
2021 के वाद संख्या 39 के आदेश की एक प्रति सीसीआई की वेबसाइट www.cci.gov.in पर उपलब्ध है।