केन्द्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने विभाजन की त्रासदी का सामना करने वाले 75 व्यक्तियों को सम्मानित किया

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नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने देश के विभाजन में अपने जीवन का बलिदान देने वाले पीड़ितों को याद किया और राष्‍ट्र ने आज ‘विभाजन विभीषिका स्‍मृति दिवस’ मनाया। श्री मोदी ने उन्‍हें श्रद्धांजलि अर्पित की और उन लोगों के संघर्ष को याद किया, जिन्हें विस्‍थापन से गुजरना पड़ा। प्रधानमंत्री ने ट्वीट में कहा;

“विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस उन भारतवासियों को श्रद्धापूर्वक स्मरण करने का अवसर है, जिनका जीवन देश के बंटवारे की बलि चढ़ गया। इसके साथ ही यह दिन उन लोगों के कष्ट और संघर्ष की भी याद दिलाता है,जिन्हें विस्थापन का दंश झेलने को मजबूर होना पड़ा। ऐसे सभी लोगों को मेरा शत-शत नमन।”

केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री श्री हरदीप एस. पुरी ने आज संस्‍कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित ‘विभाजन विभीषिका स्‍मृति दिवस’ के अवसर पर विभाजन की त्रासदी का सामना करने वाली 75 महान शख़्सियतों को सम्‍मानित किया। उन्‍होंने कहा कि यह दिन यह सुनिश्चित करेगा कि भावी पीढ़ियां उस दौरान हुए सांप्रदायिक तनाव (नफरत और हिंसा) की वजह से विस्थापित हुए अनगिनत लोगों और अपने जीवन का बलिदान करने वाले लाखों लोगों के दर्द एवं पीड़ा को कभी न भूलें।

 

दुःखद विभाजन के दौरान अपने जीवन का बलिदान देने वाले लोगों और विस्थापन की अकल्पनीय पीड़ा को याद करते हुए, मंत्री महोदय ने कहा कि शासन की गलत नीतियों के कारण भारत का विभाजन हुआ। उन्होंने कहा कि मेरे माता-पिता भी इस सबसे बड़ी मानवीय विभीषिका के पीड़ित थे। 1952 में मेरा जन्म हुआ, तबसे मैं यह सुनकर बड़ा हुआ कि कैसे मेरे पिता आश्चर्यजनक रूप से से नरसंहार से बच निकले और लाहौर से आखिरी फ्रंटियर मेल में सवार हुए। मेरे माता-पिता और परिवार के कई अन्य सदस्यों को अपना जीवन शून्य से शुरू करना पड़ा। इसके अलावा, उन्होंने उस विभीषिका के पीड़ितों और उस साहस को श्रद्धांजलि अर्पित की जिसके कारण वे दुःखद यादों को भुला पाए।

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चित्र विभाजन विभीषिका के बारे में आयोजित प्रदर्शनी

इस अवसर पर श्री हरदीप एस. पुरी ने सांसद राकेश सिन्हा के साथ विभाजन की विभीषिका प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। विभाजन संग्रहालय, आईजीएनसीए और संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित कार्यक्रम के दौरान श्री हरदीप एस पुरी ने 1947 के विभाजन की त्रासदी से गुजरने वाले लोगों को संबोधित किया।

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