नई दिल्ली : भारत सरकार के उपभोक्ता मामले विभाग ने ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्मों से अपने प्लेटफ़ॉर्म के ऑनलाइन इंटरफ़ेस में ऐसे किसी भी डिज़ाइन या पैटर्न को शामिल न करने का आग्रह किया है जो उपभोक्ता की पसंद को धोखा दे सकता है या उसमें हेरफेर कर सकता है और डार्क पैटर्न की श्रेणी में आ सकता है।
भारत में प्रमुख ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्मों को संबोधित एक पत्र में, उपभोक्ता मामले विभाग के सचिव रोहित कुमार सिंह ने ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म को उपभोक्ताओं की पसंद में हेरफेर करने और ‘उपभोक्ता अधिकारों’ के उल्लंघन, जैसा कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 2(9) के तहत वर्णित है, के लिए अपने ऑनलाइन इंटरफ़ेस में डार्क पैटर्न के माध्यम से ‘अनुचित व्यापार प्रथाओं’ में शामिल न होने की सख्ती से सलाह दी है।
यह नोट करना उचित है कि डार्क पैटर्न में उपभोक्ताओं को उनके सर्वोत्तम हित में विकल्प न चुनने के लिए बरगलाने, विवश करने या प्रभावित करने के लिए रूपरेखा और पसंद का उपयोग करना शामिल है। ऑनलाइन इंटरफेस में डार्क पैटर्न का उपयोग करने के द्वारा इस तरह के भ्रामक और चालाकीपूर्ण आचरण में संलग्न होने से उपभोक्ताओं के हितों का अनुचित रूप से दोहन किया जाता है और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत यह ‘अनुचित व्यापार प्रथा’ मानी जाती है।
हाल ही में, यूरोपीय संघ, अमरीका और ब्रिटेन ने दूसरे अधिकार क्षेत्रों में विनियामकों ने ऑनलाइन इंटरफेस में अनुचित और भ्रामक प्रथाओं से जुड़े डार्क पैटर्न के विरूद्ध कार्रवाई की है जो उपभोक्ताओं के लिए हानिकारक पाया गया था। जिन गतिविधियों में ये प्लेटफार्म संलिप्त थे उनमें शामिल हैं:-
- सब्सक्रिप्शन कार्यक्रमों में गैर-सहमतिपूर्ण नामांकन (अमरीका)
- भ्रामक काउंटडाऊन क्लॉक का उपयोग करने के द्वारा प्रेशर सेलिंग (ब्रिटेन)
- गुप्त रूप से क्रेडिट कार्ड की जानकारी रखना और सहमति के बिना उपयोगकर्ताओं से शुल्क लेना (अमरीका)
- उपभोक्ताओं को सदस्यता से बाहर निकलने से रोकने के लिए निरस्तीकरण प्रक्रिया लागू करना (नॉर्वे)।
5. डार्क पैटर्न के कुछ उदाहरण हैं:
- कृत्रिम तात्कालिकता : यह युक्ति उपभोक्ताओं पर खरीदारी करने या कोई कार्रवाई करने के लिए दबाव डालने की तात्कालिकता या कमी की भावना पैदा करती है।
- बास्केट स्नीकिंग : वेबसाइट या ऐप्स उपयोगकर्ता की सहमति के बिना शॉपिंग कार्ट में अतिरिक्त उत्पाद या सेवाएं जोड़ने के लिए डार्क पैटर्न का उपयोग करते हैं।
- सब्सक्रिप्शन ट्रैप : यह युक्ति उपभोक्ताओं के लिए किसी सेवा के लिए साइन अप करना आसान बनाती है लेकिन उनके लिए इसे रद्द करना मुश्किल हो जाता है क्योंकि अक्सर रद्द करने के विकल्प को छिपा लिया जाता है या उनके लिए कई प्रकार के कदम उठाए जाने की आवश्यकता होती है।
- कंफर्म शेमिंग : इसमें उपभोक्ताओं को जोड़े रखने के लिए अपराधबोध पैदा करना शामिल है। यह किसी विशेष मत या दृष्टिकोण के अनुरूप नहीं होने के लिए उपभोक्ताओं की आलोचना या उन पर आक्षेप करता है।
- जबरन कार्रवाई : इसमें उपभोक्ताओं को ऐसी कार्रवाई करने के लिए विवश करना शामिल है जो वे नहीं करना चाहते हैं, जैसे कि कंटेंट तक एक्सेस के लिए किसी सेवा के लिए साइन अप करना।
- नैगिंग : इसका अर्थ निरंतर, बारबार और खीज दिलाने वाली लगातार आलोचना, शिकायतें और कार्रवाई के अनुरोध से है।
- इंटरफ़ेस हस्तक्षेप : इस युक्ति में उपभोक्ताओं के लिए कुछ विशेष कार्रवाई को कठिन बनाना शामिल है, जैसे सदस्यता रद्द करना या खाता डिलीट करना।
- बेट एंड स्विच : इसमें एक उत्पाद या सेवा का विज्ञापन किया जाता है, लेकिन डिलीवरी अक्सर दूसरे और कम गुणवत्ता वाले उत्पाद की होती है।
- छुपी हुई लागत : इस युक्ति में उपभोक्ताओं से अतिरिक्त लागत छिपाना शामिल है जब तक कि वे पहले से ही कोई खरीदारी करने के लिए प्रतिबद्ध न हों।
- छद्म विज्ञापन : छद्म विज्ञापन ऐसे विज्ञापन होते हैं जिनकी रूपरेखा कंटेंट के दूसरे प्रकारों जैसे न्यूज आर्टिकल या यूजर-जेनरेटेड कंटेंट की तरह दिखने के लिए बनाई जाती है।
6. भारत में इंटरनेट की बढ़ती पहुंच और स्मार्टफोन के बढ़ते उपयोग के साथ, उपभोक्ता खरीदारी के पसंदीदा तरीके के रूप में ई-कॉमर्स को तेजी से चुन रहे हैं। ऐसे परिदृश्य में, यह अनिवार्य है कि ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म डार्क पैटर्न को समाविष्ट कर अनुचित व्यापार प्रथाओं में शामिल न हों जिसके परिणाम उपभोक्ता के लिए हानिकारक या अवांछनीय साबित हों।
7. उपभोक्ता ‘डार्क पैटर्न’ की घटनाओं की रिपोर्ट कर सकते हैं या फीडबैक दे सकते हैं और राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (एनसीएच) पर ‘1915’ पर कॉल करके या 8800001915 पर व्हाट्सएप के माध्यम से ऐसी चालाकीपूर्ण कामों की ऑनलाइन रिपोर्ट कर सकते हैं।