नई दिल्ली। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने 15 मार्च को नई दिल्ली में ‘ह्यूमन फैक्टर्स इंजीनियरिंग इन मिलिट्री प्लेटफॉर्म’ पर दो दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन किया। इस कार्यशाला का आयोजन रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की दिल्ली स्थित प्रयोगशाला डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ फिजियोलॉजी एंड एलाइड साइंसेज (डीआईपीएएस) द्वारा किया गया है।
इस कार्यशाला के आयोजन का उद्देश्य रक्षा क्षेत्र में ह्यूमन फैक्टर्स इंजीनियरिंग (एचएफई) के वैज्ञानिक क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए एक नीतिगत ढांचे का निर्माण तथा आवश्यक कार्य प्रणालियों को विकसित करना है, जिससे ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण को गति प्रदान की जा सके। ह्यूमन फैक्टर्स इंजीनियरिंग सुरक्षित व प्रभावी उपयोग के लिए मानव क्षमताओं एवं सीमाओं को ध्यान में रखते हुए उपकरणों और प्रणालियों के डिजाइन से संबंधित विज्ञान है।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने अपने संबोधन में सैनिकों के लिए उपयुक्त स्वदेशी हथियार बनाने हेतु गुणात्मक आवश्यकताओं तथा डिजाइन के स्तर पर ह्यूमन फैक्टर्स इंजीनियरिंग की गतिविधियों को शामिल करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने लंबे समय तक चलने वाली लड़ाइयों और छोटी अवधि के विशेष रक्षा अभियानों को ध्यान में रखते हुए एकीकृत रक्षा कर्मचारियों की भागीदारी के माध्यम से एचएफई के कार्यान्वयन के लिए एक सहक्रियाशील दृष्टिकोण व नीतिगत ढांचा तैयार करने का आह्वान किया।
इस अवसर पर रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत ने भी संबोधित किया। उन्होंने उत्पाद विकास चक्र के अभिन्न अंग के रूप में ह्यूमन फैक्टर्स इंजीनियरिंग के कार्यान्वयन के लिए डीआरडीओ द्वारा की गई पहल का उल्लेख किया। डॉ. समीर वी. कामत ने इस तथ्य पर जोर दिया कि यह सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है कि तैयार किये गए उत्पाद न केवल भारतीय सैनिकों के लिए विकसित किए गए हैं बल्कि ये निर्यात हेतु भी उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रक्षा उपकरणों के लिए प्रणालीगत स्वायत्तता के युग में ह्यूमन फैक्टर्स इंजीनियरिंग की समान रूप से महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
महानिदेशक, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन मुख्यालय तथा भविष्य की रक्षा प्रौद्योगिकियों पर काम करने वाली प्रयोगशालाओं के निदेशक, वरिष्ठ वैज्ञानिक; सामरिक योजनाओं के प्रतिनिधि, आर्मी डिजाइन ब्यूरो, बख्तरबंद कोर, इन्फैंट्री, युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो, भारतीय वायु सेना तथा कई रक्षा उद्योगों एवं रक्षा पीएसयू के वरिष्ठ अधिकारी इस कार्यशाला में भाग ले रहे हैं।