नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 18 दिसंबर को शिलांग में उत्तर-पूर्व परिषद (एनईसी) के स्वर्ण जयंती समारोह में सम्मिलित होंगे। वे इस अवसर पर एनईसी की आधिकारिक बैठक तथा एक जनसभा को भी सम्बोधित करेंगे।
परिषद की आधिकारिक बैठक राज्य सम्मेलन केंद्र प्रेक्षागृह में होगी, जबकि जनसभा शिलांग के पोलो ग्राउंड में आयोजित की जायेगी।
समारोह में केंद्रीय गृहमंत्री, उत्तर-पूर्व क्षेत्र विकास मंत्री, पूर्वोत्तर राज्यों के राज्यपाल व मुख्यमंत्री, उत्तर-पूर्व क्षेत्र से सम्बंधित केंद्रीय मंत्री, स्थानीय सांसद और विधायक तथा एनईसी के नामित सदस्यगण भी सम्मिलित होंगे।
राज्य मुख्य सचिवों के अलावा केंद्रीय मंत्रालयों के चुने हुये सचिव, उत्तर पूर्व राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी तथा एनईसी के समर्थन से स्थापित प्रमुख संस्थानों के प्रमुखों को भी समारोह में निमंत्रित किया गया है।
जनसभा में स्थानीय लोगों के साथ-साथ समाज के प्रमुख लोग, जीवन में उपलब्धियां प्राप्त करने वाले लोग, स्वसहायता समूहों के प्रतिनिधि, आठों उत्तर पूर्व राज्यों के किसान समूह भी उपस्थित रहेंगे। जनसभा में लगभग 10 हजार लोगों के आने की संभावना है।
उत्तर-पूर्व परिषद (एनईसी) की स्थापना संसद अधिनियम के तहत 1971 में की गई थी। उसका औपचारिक उद्घाटन शिलांग में 7 नवंबर, 1972 को हुआ था तथा नवंबर 2022 को उसने अपनी स्थापना के 50 वर्ष पूरे कर लिये हैं।
केंद्रीय गृहमंत्री और एनईसी के अध्यक्ष की अध्यक्षता में अक्टूबर 2022 को गुवाहाटी में आयोजित 70वीं आमसभा की बैठक में तय किया गया था कि एनईसी के इस अहम पड़ाव का समारोह उसके वास्तविक अर्थों में मनाया जायेगा। तदनुसार, एनईसी का स्वर्ण जयंती समारोह शिलांग में 18 दिसंबर, 2022 को आयोजित किया जा रहा है।
इस दिन प्रधानमंत्री पूर्वोत्तर क्षेत्र के अनेक महत्त्वपूर्ण परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे, जिनमें भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलांग, एनईसी परियोजनायें और मेघालय राज्य परियोजनायें शामिल हैं। प्रधानमंत्री कुछ अन्य परियोजनाओं की आधारशिला रखेंगे। वे मेघालय में 4जी टॉवरों का लोकार्पण भी करेंगे।
स्वर्ण जयंती कार्यक्रम के दौरान पिछले 50 वर्षों के दौरान पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास में एनईसी के योगदान के वृत्तांतों पर एक स्मारक दस्तावेज “गोल्डन फुटप्रिंट्स” (सुनहरे पदचिह्न) भी जारी किया जायेगा। इस पुस्तक की विषय सामग्री परिषद के लेखागार और परिषद के आठ सदस्य राज्यों के सरकारी दस्तावेजों से ली गई है। इसके अलावा पुस्तक में निकट अतीत में एनईसी द्वारा समर्थित विकास कार्यों व प्रमुख अवसंरचनाओं का दृष्टांत भी प्रस्तुत किया गया है।
आशा की जाती है कि स्वर्ण जयंती समारोह से एनईसी को एक नया मंच मिलेगा, जिससे वह पहले से भी अच्छे दिनों को लाने की तैयारी करेगा तथा पहले से अधिक विकास पहलों को आगे बढ़ायेगा, जैसा कि आठों पूर्वोत्तर राज्य पिछले पांच दशकों से सफलतापूर्वक करते आ रहे हैं।