नई दिल्ली /बाली : अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की इंडोनेशिया में जी20 समिट में हुई मुलाकात दुनिया के लिए चर्चा का विषय है . चीन और अमेरिका की इस बैठक में उठाये गए ताइवान के मुद्दे को बेहद अहम माना जा रहा है . इसको लेकर दोनों ने अपने तरीके से बयान दिए हैं. एक तरफ चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा है कि अमेरिका ‘लक्ष्मण रेखा’ पार न करे, तो वहीं जो बाइडेन ने कहा है कि जिनपिंग ने दुनिया की शांति को खतरे में डाल दिया है.
अंतर्राष्ट्रीय मिडिया के अनुसार अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद जो बाइडेन की चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ यह पहली मुलाकात है. ये मुलाकात ऐसे वक्त में हुई है जब दोनों देशों के बीच तनाव है. इनके द्विपक्षीय रिश्ते बेहद खराब दौर में है. हालांकि दुनिया को दिखाने के लिए मिडिया के सामने बाइडेन और जिनपिंग ने एक दूसरे के साथ हंसते हुए गर्मजोशी से हाथ मिलाया लेकिन अंदर गर्मागर्म चर्चा हुई . खबर में कहा गया है कि जिनपिंग ने बाइडेन से कहा कि दोनों देशों के समृद्ध होने के लिए प्रतिस्पर्धा करने के लिए दुनिया बहुत बड़ी है. खबर में यह भी दावा किया गया है कि और जिनपिंग ने बाइडेन को रेड लाइन क्रॉस नहीं करने की चेतावनी भी दी.
दूसरी तरफ बीजिंग के विदेश मंत्रालय से जारी बयान में कहा गया है कि शी ने इंडोनेशिया के बाली में तीन घंटे की बातचीत के दौरान बाइडेन से कहा, ‘वर्तमान परिस्थितियों में चीन और अमेरिका एक दूसरे से लगभग समान हित साझा करते हैं. शी ने कथित तौर पर कहा कि बीजिंग अमेरिका को चुनौती देने या मौजूदा अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बदलने की कोशिश नहीं करता है, दोनों पक्षों से एक-दूसरे का सम्मान करने का आह्वान करता है. लेकिन शी ने बाइडेन को चेतावनी भी दी है कि ताइवान को लेकर बीजिंग की रेड लाइन क्रॉस ने करें, इसे चीन की सरकार अपना क्षेत्र मानती है. जहां तक ताइवान का सवाल है वो चीन के मूल हितों में है. ताइवान का समाधान सिर्फ चीन के लोगों का मामला है.
इन सभी चीजों के अलावा, दोनों नेताओं ने यूक्रेन युद्ध को लेकर भी चर्चा की. दोनों ही नेताओं ने युद्ध को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की. जिनपिंग ने कहा कि चीन हमेशा से शांति के पक्ष में रहा है और शांति वार्ता को प्रोत्साहित करना जारी रखेगा. हम रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता की बहाली का समर्थन करते हैं. इस पूरे मामले पर बाइडेन ने कहा है कि परमाणु युद्ध कभी नहीं लड़ा जाना चाहिए, वो कभी भी जीता नहीं जा सकता. उन्होंने यूक्रेन में परमाणु हथियारों के उपयोग या खतरे को भी रेखांकित किया.