वायु प्रदूषण के मुद्दे पर बैठक : समस्या की भयावहता के बारे में हुई चर्चा

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नई दिल्ली :   केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में वायु प्रदूषण के मुद्दे के प्रबंधन के लिए राज्यों द्वारा की जा रही गतिविधियों और योजनाओं की समीक्षा करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के राज्यों, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) और पंजाब के पर्यावरण मंत्रियों के साथ वर्चुअल माध्यम से एक बैठक की। इस मौसम में दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए सभी हितधारकों की समन्वित कार्रवाई और सहयोग सुनिश्चित करना इस बैठक के आयोजन का उद्देश्य था। इस बैठक में हरियाणा के मुख्यमंत्री और पर्यावरण विभाग के प्रभारी मनोहर लाल खट्टर, हेमाराम चौधरी- राजस्थान,  गोपाल राय- दिल्ली, डॉ. अरुण कुमार- उत्तर प्रदेश और गुरमीत सिंह मीत- पंजाब ने भाग लिया। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे भी बैठक में शामिल हुए।

सीएक्यूएम ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) क्षेत्र में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के संबंध में विभिन्न पहलुओं और चुनौतियों पर विस्तृत प्रस्तुति दी। सीएक्यूएम ने इस मौसम के दौरान वायु प्रदूषण के प्रबंधन के लिए तैयार की गई गतिविधियों के साथ-साथ उठाए गए कदमों, निर्देशों और सुझावों के बारे में बताया। बैठक में जिन प्रमुख क्षेत्रों के बारे में चर्चा की गई, उनमें कृषि पराली जलाना, औद्योगिक प्रदूषण, डीजल जनरेटर सेटों से प्रदूषण, वाहनों से होने वाला प्रदूषण, विद्युत चालित, सड़क और खुले क्षेत्रों से धूल के साथ-साथ निर्माण और तोड़फोड़ के कार्यों से उत्पन्न धूल शामिल हैं। सीएक्यूएम ने संबंधित विभिन्न एजेंसियों द्वारा अनेक क्षेत्रों में लक्षित लघु/मध्यम और दीर्घकालिक कार्रवाई के लिए तैयार की गई नीतियों के साथ-साथ निर्देशित व्यापक नीति को दोहराया।

सीएक्यूएम ने यह भी बताया कि वायु प्रदूषण के प्रबंधन, ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान के साथ-साथ निगरानी तथा कार्यालय के बारे में जागरूकता सुनिश्चित करने के लिए एजेंसियों और राज्य सरकारों के साथ कई बैठकें की गई हैं। बैठक में राज्यों द्वारा उपलब्ध कराए गए धान के पराली उत्पादन के अनुमानित आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए समस्या की भयावहता के बारे में भी चर्चा की गई।

पराली जलाने का मुद्दा सभी हितधारकों के लिए एक प्रमुख चिंता का विषय है। बैठक में राज्यों द्वारा धान के अवशेष जलाने की घटनाओं पर की गई कार्रवाई और योजना पर भी प्रकाश डाला गया। राज्य सरकारों द्वारा सीआरएम मशीनरी की उपलब्धता और आवंटन के संबंध में नवीनतम जानकारी दी गई। राज्य सरकारों ने सूचित किया है कि उन्होंने स्थानीय निकायों को इस काम में शामिल किया है और फसल अवशेषों के बेहतर निपटारे के उपायों को बढ़ावा देने के लिए किसानों को नई मशीनरी उपलब्ध कराई जा रही है।

बैठक में पराली के प्रबंध की दिशा में एक महत्वपूर्ण रणनीति के रूप में बायो-डीकंपोजर के तहत क्षेत्र के विस्तार पर भी चर्चा की गई। राज्यों ने धान की पराली के वैकल्पिक इस्तेमाल को आर्थिक संसाधन के रूप में बढ़ावा देने के लिए फसल अवशेष प्रबंधन और गतिविधियों की प्रगति के बारे में जानकारी दी।

सीएक्यूएम ने बताया कि ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान को एक्यूआई मापन के अनुसार संशोधित किया गया था ताकि इसे और अधिक समझने योग्य एवं कार्रवाई योग्य बनाया जा सके। जीआरएपी अब उन पूर्वानुमानों पर काम करता है जो कार्रवाई की योजना बनाने और उसके बेहतर निपटारे में मदद करेंगे।

हरियाणा, राजस्थान एवं दिल्ली ने धूल नियंत्रण और प्रबंधन कार्यों के बारे में भी सूचित किया। दिनांक 30 सितम्बर 2022 तक 2,72,01,113 वृक्षारोपण के साथ हरित आवरण के तहत आने वाले क्षेत्र का विस्तार हुआ है। अप्रैल-अगस्त 2022 के दौरान एनसीआर में कुल 240.9 किलोमीटर सड़क/आरओडब्ल्यू को हरा-भरा बनाया गया। इसमें दिल्ली के 4.7 किलोमीटर, उत्तर प्रदेश (एनसीआर) के 79.4 किलोमीटर, हरियाणा (एनसीआर) के 49.4 किलोमीटर और राजस्थान (एनसीआर) के 107.4 किलोमीटर सड़क/आरओडब्ल्यू शामिल हैं। सड़क के स्वामित्व/रख-रखाव से जुड़ी एजेंसियों द्वारा कुल साठ (60) धूल नियंत्रण एवं प्रबंधन प्रकोष्ठ स्थापित किए गए हैं। इनमें दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटी) में ग्यारह (11), उत्तर प्रदेश में अठारह (18), हरियाणा में सत्रह (17) और राजस्थान में चौदह (14) धूल नियंत्रण एवं प्रबंधन प्रकोष्ठ शामिल हैं। राज्यों ने सड़कों की सफाई और पानी के छिड़काव के लिए मशीनों की तैनाती भी की हैं।

निर्माण और विध्वंस की गतिविधियों के दौरान निकलने वाली धूल के कारण होने वाले प्रदूषण से निपटने के प्रयास किए जा रहे हैं। दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में कार्यरत एक वेब पोर्टल पर निर्माण की गतिविधियों के दौरान निकलने वाली धूल को नियंत्रित करने हेतु जारी निर्देशों का पालन कराने के लिए 500 वर्गमीटर से अधिक आकार के भूखंडों पर चलने वाली परियोजनाओं के पंजीकरण को अनिवार्य किया गया है। धूल से होने वाले प्रदूषण का मुकाबला करने की एक जरूरत के तौर पर कुल निर्माण क्षेत्र के हिसाब से एंटी-स्मॉग गन की तैनाती पर भी चर्चा की गई।

राज्यों ने उद्योगों द्वारा पीएनजी/स्वच्छ ईंधन को अपनाने को सुनिश्चित करने की दिशा में हो रही प्रगति की जानकारी दी। केंद्रीय मंत्री ने जोर देकर कहा कि इस संबंध में प्रगति को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

बैठक में वाहनों से होने वाले प्रदूषण के मुद्दे पर भी विचार-विमर्श किया गया और राज्यों ने सभी वाहनों में प्रदूषण जांच (पीयूसी) प्रमाण-पत्र सुनिश्चित करने के उद्देश्य से की जा रही सख्त कार्रवाइयों के बारे में जानकारी दी। सड़क यातायात प्रबंधन प्रणालियों के बारे में भी चर्चा की गई।

सीएक्यूएम ने बताया कि ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) के दौरान केवल आपातकालीन सेवाओं के लिए डीजल जनरेटर के निर्बाध उपयोग की अनुमति दी जाएगी। केंद्रीय मंत्री ने पूर्व में डिस्कॉम के अधिकारियों से मुलाकात की थी ताकि डीजल जेनसेट के उपयोग को हतोत्साहित करने हेतु इस क्षेत्र में निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।

एनसीआर क्षेत्र में जलते हुए एमएसडब्ल्यू और खुले बायोमास को नियंत्रित करने के लिए सख्त निगरानी एवं निर्देशों के अनुपालन नहीं होने की स्थिति में की जाने वाली कार्रवाई के बारे में एक विस्तृत चर्चा हुई। दिल्ली में पटाखे जलाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है, जबकि हरियाणा और उत्तर प्रदेश ने हरित पटाखों के इस्तेमाल की अनुमति दी है।

वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए सभी हितधारकों के संयुक्त प्रयास के साथ-साथ जन-जागरूकता और भागीदारी भी महत्वपूर्ण है। सभी राज्य के मंत्रियों ने एनसीआर क्षेत्र में एयरशेड की स्थिति के कारण होने वाले वायु प्रदूषण से निपटने में सक्रिय जन-भागीदारी की अपील की।

राज्यों के पर्यावरण मंत्रियों ने राज्यों द्वारा समन्वित प्रयासों को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से सर्दियों की शुरुआत से ठीक पहले एक महत्वपूर्ण समय पर इस बैठक को आयोजित करने के लिए केंद्रीय मंत्री के प्रयासों की सराहना की। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि सीएक्यूएम, सीपीसीबी, डिस्कॉम, एनटीपीसी और राज्य के पदाधिकारियों के साथ बैठकें हो चुकी हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस भागीदारी और समन्वित दृष्टिकोण से सकारात्मक परिणाम निकलेंगे। एनसीआर, जीएनसीटीडी और पंजाब के पर्यावरण मंत्रियों ने वायु प्रदूषण के प्रबंधन एवं इस समस्या के समाधान के लिए सीएक्यूएम और केंद्रीय मंत्रालय के सभी निर्देशों का पालन करने के प्रति अपनी वचनबद्धता का आश्वासन दिया।

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