नई दिल्ली : दो सालों के कोरोना महामारी के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटने लगी है. वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही अप्रैल से जून के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था ने 13.5 फीसदी के दर से विकास किया है. जबकि 2021-22 की पहली तिमाही में 20.1 फीसदी जीडीपी रहा था. तो चौथे तिमाही जनवरी से मार्च के बीच देश का आर्थिक विकास दर 4.1 फीसदी रहा था. दरअसल 2021-22 के लो बेस और घरेलू मांग में तेजी के चलते जीडीपी ग्रोथ रेट बढ़ा है. साथ इस तिमाही में निवेश, खपत में तेजी देखी गई है. 2022-23 की पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट 13.5 फीसदी रहा है लेकिन ये आरबीआई के 16.2 फीसदी के अनुमान से कम है.
आपको बता दूँ कि ये आंकड़े केंद्र सरकार ने जारी किए हैं. केन्द्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़े बताते हैं कि बीते दो वित्त वर्ष 2020-21 और 2021-22 की पहली तिमाही कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन से प्रभावित रहा था. लेकिन इस बार ऐसा नहीं है. हालांकि इस तिमाही में भी वैश्विक कारणों के चलते कमोडिटी की कीमतों में भारी तेजी देखने को मिली थी. बावजूद इसके आर्थिक विकास में रफ्तार दिखाई दी है.
हालांकि अगर अलग अलग क्षेत्रों पर नजर डालें तो स्थिति चिंताजनक बनी हुई है. बावजूद इसके नरेंद्र मोदी सरकार देश की अर्थव्यवस्था के रफ़्तार पकड़ने का दावा कर रही है . NSO की ओर से जारी आंकड़े ही अर्थ व्यवस्था की चिंताजनक हालत को बयाँ करने के लिए काफी हैं .
NSO की ओर से जारी आंकड़े में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में मैन्युफैकचरिंग सेक्टर का ग्रोथ रेट 4.8 फीसदी रहा है जबकि 2021-22 की पहली तिमाही में मैन्युफैकचरिंग सेक्टर का ग्रोथ रेट 49 फीसदी रहा था. कृषि क्षेत्र का विकास दर 2.2 फीसदी रहा है जबकि 2021-22 की पहली तिमाही में 4.5 फीसदी रहा था. कंस्ट्रक्शन सेक्टर का ग्रोथ रेट 16.8 फीसदी रहा है जबकि 2021-22 की पहली तिमाही में 71.3 फीसदी रहा था. इसी तरह ट्रेड, होटल, ट्रांसपोर्ट, कम्युनिकेशन और ब्रॉडकास्टिंग से जड़ी सेवाओं का ग्रोथ रेट 25.7 फीसदी रहा है जो 2021-22 की पहली तिमाही में 34.3 फीसदी रहा था. फाइनेंशियल, रियल एस्टेट और प्रोफेशनल सर्विसेज का ग्रोथ रेट 9.2 फीसदी रहा है जो बीते वर्ष की पहली तिमाही में 2.3 फीसदी रहा था.