नई दिल्ली : शिक्षा व्यवस्था को और अधिक मजबूत, जीवंत और 21वीं सदी की जरूरतों व नए भारत की आकांक्षाओं के अनुरूप बनाने के संकल्प के साथ स्कूली शिक्षा मंत्रियों का दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का समापन हुआ।
धर्मेंद्र प्रधान ने अपने समापन भाषण में 32 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के सभी मंत्रियों और हितधारकों को शिक्षण को रूपांतरित करने व शैक्षणिक अभ्यासों में उत्कृष्टता लाने के तरीकों पर अपनी सीख और अनुभवों को साझा करने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रम शिक्षक प्रशिक्षण और ई-शिक्षण ढांचा एक प्राथमिकता है। उन्होंने एनसीएफ (राष्ट्रीय पाठ्यक्रम ढांचा) के विकास और शिक्षक क्षमताओं के निर्माण में सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों से अधिक सक्रिय समर्थन, सहयोग और भागीदारी का अनुरोध किया।
मंत्री ने कहा कि एनईपी (राष्ट्रीय शिक्षा नीति) कुशलता पर भी जोर देती है। उन्होंने राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों से डाइट को मजबूत करने और विद्यालय के समय के बाद पर्याप्त संख्या में कौशल केंद्रों के साथ स्कूल अवसंरचना का लाभ उठाने का आह्वाहन किया।
मंत्री ने कहा कि हर राज्य का अपना अनूठा प्रस्ताव होता है। उन्होंने राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को अपनी विशिष्ट जरूरतों को ध्यान में रखते हुए पाठ्यक्रम को सम्मिश्रित करने के तरीके विकसित करने का सुझाव दिया। श्री धर्मेंद्र प्रधान सभी से अधिक जीवंत शिक्षा परिदृश्य और 21वीं सदी का भारत बनाने के लिए निरंतर एकजुट होकर काम करने का अनुरोध किया।
इस सम्मेलन के दूसरे दिन शिक्षा मंत्रियों के साथ संवादात्मक सत्र आयोजित किया गया, जिसमें निम्नलिखित विषय शामिल थे:
- एनईपी- 2020 के कार्यान्वयन की शुरूआत और प्रगति
- राज्य पाठ्यक्रम ढांचे (एससीएफ) की तैयारी
- विद्यालय के फिर से खुलने के बाद शिक्षण की बहाली के लिए रणनीतियों को साझा करना
- आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता व विद्या प्रवेश
- विद्यालय में कौशलता
- छात्र पंजीकरण और एनडीईएआर
शिक्षा मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों ने शिक्षा व कौशल से संबंधित गुजरात सरकार पहल की सराहना की। इनमें से अधिकांश ने राज्य स्तर पर विद्या समीक्षा केंद्र स्थापित करने और इसे विद्यालयों में शिक्षण स्तर के विश्लेषण और निदान के उद्देश्य से इसे जिला/ब्लॉक/स्कूल स्तर के साथ एकीकृत करने को लेकर अपनी रुचि व्यक्त की। इसे शिक्षण के परिणामों में और अधिक सुधार के लिए एक उपकरण के रूप में उपयोग किया जाएगा। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) अध्यक्ष श्री अनिल सहस्रबुद्धे ने राष्ट्रीय शिक्षा प्रौद्योगिकी मंच और राष्ट्रीय डिजिटल शिक्षा वास्तुकला (एनडीईएआर) पर अपनी एक प्रस्तुति भी दी।