पानी हमारी जमीन का रक्त है और बिना पानी की बंजर जमीन आने वाली पीढ़ी को विरासत में नहीं देना चाहते
सोनीपत जिले के नाहरा गांव से मुख्यमंत्री ने राज्यस्तरीय अमृत सरोवर मिशन का किया शुभारंभ
प्रदेशभर के 111 तालाबों में अमृत सरोवर मिशन के तहत शुरू हुआ कार्य
चंडीगढ़, 1 मई : हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि तालाबों को बचाने और उनके जीर्णोदार के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने देशभर में अमृत सरोवर मिशन की शुरूआत की है। जिस तरह भागीरथ ने गंगा नदी को धरा पर लाने के लिए प्रयास किया था, उसी तरह प्रधानमंत्री द्वारा जल की महत्ता पर यह भागीरथी प्रयास है। मुख्यमंत्री रविवार को सोनीपत जिले के नाहरा गांव में आयोजित राज्य स्तरीय अमृत सरोवर मिशन के शुभारंभ अवसर पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि पानी हमारी जमीन का रक्त है और बिना पानी की बंजर जमीन हम आने वाली पीढ़ी को विरासत में नहीं देना चाहते।
मुख्यमंत्री ने यहां पहुंचकर सबसे पहले गांव गंगेश्वर सरोवर पर नारियल तोड़कर अमृत सरोवर मिशन का शुभारंभ किया और अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस की श्रमिकों को बधाई देते हुए स्वयं भी यहां पर श्रम दान किया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने प्रदेशभर के 111 स्थानों पर आयोजित अमृत सरोवर मिशन से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े जनप्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने जल ही जीवन है के मूल मंत्र को समझा है और देशभर के तालाबों को बचाने का आह्वान किया है। उन्होंने देशभर के प्रत्येक जिले में 75 तालाबों को साफ करने या उनका जीर्णोदार करने की योजना पर काम करने के लिए कहा है। आज यह योजना उसी कड़ी का हिस्सा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले लोग पारस्परिक सहयोग से तालाब खोदते थे। लेकिन काफी समय से लोगों ने तालाबों की साफ-सफाई की ओर ध्यान नहीं दिया जिसके कारण ये प्रदूषित हो गए। समय के साथ-साथ इन तालाबों में अपशिष्ट मिलने लगे। तालाबों का पानी ओवरफ्लो होने लगा लेकिन आज से हमने इसको ठीक करने का बीड़ा उठाया है।
मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि प्रदेश में 18 हजार तालाब हैं, जिनमें से 4 हजार में सिर्फ बरसाती पानी एकत्रित होता है। 6 हजार तालाबों में पशुओं के लिए पानी भरा रहता है और 8 हजार तालाबों में गंदा पानी भरा रहता है, उसे स्वच्छ किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के ऐतिहासिक तालाबों को तीर्थ स्थल मानकर जीर्णोदार होगा। अमृत सरोवर मिशन के तहत सबसे पहले 15 अगस्त 2022 तक हरियाणा के 8 हजार तालाबों का जीर्णोदार किया जाएगा, इनमें से 1600 तालाबों पर काम शुरू कर दिया गया है। इसके बाद पूरे प्रदेश में बचे हुए सभी तालाबों की दशा सुधारी जाएगी। इसके अंतर्गत तालाबों की खुदाई, रिटर्निंग वॉल व सौंदर्यकर्ण करके आसपास के स्थल को भ्रमण योग्य बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में तालाबों के जीर्णोदार के लिए हरियाणा तालाब एवं अपशिष्ट जल प्रबंधन का गठन किया गया है और इसके लिए 1 हजार करोड़ रुपये के बजट का अलग से प्रावधान किया गया है।
प्रदेश के हर सरकारी भवन में बनेगा रिचार्जिंग वेल
मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि पानी की एक-एक बूंद को बचाकर उसे प्रयोग किया जाएगा। इसके तहत प्रदेशभर के सभी सरकारी भवनों में रिचार्जिंग वेल लगाए जाएंगे ताकि बरसाती पानी का संरक्षण किया जा सके। मुख्यमंत्री ने किसानों से भी बरसाती पानी को संरक्षित करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष 750 रिचार्जिंग बोरवेल लगाए गए थे। इस वर्ष इनकी 5 हजार करने का लक्ष्य तय किया गया है।
रिसाइक्लिंग किए गए पानी का भी होगा उपयोग
मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि उद्योगों, सीवरेज से निकलने वाले गंदे पानी को एसटीपी के माध्यम से रिसाइक्लिंग करके उसका भी इस्तेमाल किया जाएगा। इस पानी को पुनः उद्योगो, निर्माण कार्यों, माइक्रो इरिगेशन के माध्यम से बागवानी और खेती के लिए उपयोग में लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस पानी में खाद के अव्यव होते हैं, जो सब्जी, फल, फूल व खेती के लिए बेहद लाभदायक है। इस रिसाइक्लिंग पानी को घरों तक पहुंचाने के लिए एचएसवीपी को डबल लाइन बिछाने के लिए भी कहा गया है। इसे घरों में गाड़ी धोने, शौचालय और बागवानी आदि के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
माइक्रो इरिगेशन पर ध्यान दें किसान
मुख्यमंत्री ने कहा कि शुद्ध पानी की आवश्यकता लगातार बढ़ रही है। प्रदेश में 82 लाख एकड़ कृषि योग्य जमीन है। इसमें से सीधे सिंचाई 40 लाख एकड़ जमीन पर की जाती है, बाकि जमीन पर हम स्वच्छ पानी न होने की वजह से सीधे सिंचाई नहीं कर पाते। मुख्यमंत्री ने किसानों का आह्वान करते हुए कहा कि हमें माइक्रो इरिगेशन प्रणाली को अपनाना चाहिए। सरकार द्वारा इसके लिए 85 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान की जाती है, महज 15 प्रतिशत पैसा ही किसानों को लगाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि ट्यूबवेल से सिंचाई करने की वजह से हर साल 1 मीटर जलस्तर नीचे जा रहा है। किसान की भाषा में समझें तो उसे हर साल एक मीटर का पाइप बोरवेल में डालना पड़ता है। ऐसे यदि 10-20 साल हम करते रहे तो जमीन में पानी खत्म हो जाएगा। यह वैसी ही स्थिति होगी, जैसी हमारे शरीर से रक्त खत्म होने पर हो जाती है। उन्होंने कहा कि ऐसा करने से जमीन की ऊपजाऊ शक्ति खत्म होने के साथ-साथ भावी पीढ़ी को बंजर भूमि ही मिलेगी। धान जैसी फसलों में ज्यादा पानी इस्तेमाल होता है, इन फसलों की खेती न करें। इसके लिए सरकार प्रत्येक वर्ष 7 हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दे रही है। पिछले वर्ष इस योजना के अंतर्गत किसानों ने 1 लाख एकड़ पर धान की बिजाई कम की है।
नाहरा गांव के लिए मुख्यमंत्री ने खोला घोषणाओं का पिटारा
मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने नाहरा गांव के लिए भी घोषणाओं का पिटारा खोल दिया। उन्होंने इस योजना के अंतर्गत गंगेश्वर तालाब पर 82 लाख रुपये खर्च करने की घोषणा की। इसके अलावा नाहरा गांव में स्थित चारों तालाबों का सुधारीकरण, खेतों के रास्ते पक्का करने के लिए 70 लाख की मंजूरी, अस्थलबोहर मंदिर की गली के निर्माण की मंजूरी, एक एकड़ में कम्यूनिटी सेंटर के लिए डेढ़ करोड़ रुपये की मंजूरी, 3 एकड़ भूमि पर पार्क का निर्माण और ओपन जिम की मंजूरी, तैयार हो चुकी लाइब्रेरी में किताबों की व्यवस्था, 5 चौपालों की मरम्मत, राजकीय कन्या वरिष्ठ विद्यालय के भवन की फिजिब्लिटी जांच कर आवश्कता अनुसार मरम्मत करने या नया भवन बनाने की मंजूरी व जलघर की पाईपलाइन डालने की मंजूरी दी।
इस दौरान एसीएस श्री देवेंद्र सिंह ने कहा कि प्रदेश के हर गांव को श्रेणियों में बांटकर सिंचाई योजना बनाई जाएगी। यमुना नदी के 5 हजार क्यूसिक अतिरिक्त पानी का उपयोग करने के लिए सिंचाई तंत्र को मजबूत किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में एसीएस श्री अमित झा, पूर्व मंत्री श्रीमति कविता जैन, उपाध्यक्ष पौंड अथॉरिटी श्री प्रभाकर वर्मा व अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।