अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम 3 वर्षों में एक लाख 82 हजार गावों के वनवासियों से सम्पर्क साधेगा

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51,000 गावों (टोलों) तक पहुँचने में मिली है सफलता

1.82 लाख गावों में रह रहे इन वनवासियों कि कुल संख्या करीब 12 करोड़

गुरुग्राम। 10 अप्रैल : अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम आगामी तीन वर्षों में सम्पूर्ण भारतवर्ष के वन क्षेत्रों के सभी एक लाख 82 हजार गावों में बसे वनवासियों से संपर्क साधेगा ।

इस आशय की जानकारी देते हुए अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के मार्गदर्शक कृपा प्रसाद सिंह ने कहा कि पूरे देश में रहने वाले जनजातिय समाज के सर्वांगीण विकास हेतु कार्य कर रही गैर-सरकारी संस्था वनवासी कल्याण आश्रम अब तक 51,000 गावों (टोलों) तक विभिन सेवा माध्यमों के द्वारा सीधा संपर्क साधने में सफल हुआ है। शेष बचे एक लाख 31हजार गावों के वनवासियों तक कल्याण आश्रम के कार्यकर्ता आगामी 2 से 3 वर्षों पहुँच जायेंगे।

अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम 3 वर्षों में एक लाख 82 हजार गावों के वनवासियों से सम्पर्क साधेगा 2सभी 1.82 लाख गावों में रह रहे इन वनवासियों कि कुल संख्या करीब 12 करोड़ है तथा कल्याण आश्रम अब तक दो करोड़ वनवासियों तक पहुंचा है।

कृपा प्रसाद सिंह शनिवार देर सायं गुरुग्राम स्थित रंगभूमि ओपन एयर थिएटर में वनवासी कल्याण आश्रम हरियाणा की गुरुग्राम इकाई द्वारा आयोजित “परिवार मिलन समारोह व सांस्कृतिक कार्यक्रम” में मुख्य वक्त के रूप में बोल रहे थे।

“पूरे देश में करीब 12 करोड़ जनजातीय (शेडूलड ट्राइब्स – ST) लोग विभिन वन क्षेत्रों में रहते है। इन वनवासियों को केवल भाषण देकर संगठित नहीं किया जा सकता बल्कि उनकी सेवा करके उनमे राष्ट्रीय भाव जागृत किया जा सकता है। ये लोग बहुत स्वाभिमानी होते है। पूरे  देश का वनवासी समाज पूरी तरह से संघ-मय है क्योकि उन्हें मालूम है कि उनके पूर्वजों, मातृभूमि, संस्कृति, व सभ्यता के बारे में वनवासी कल्याण आश्रम जैसा संगठन ही बताता है,” कृपा प्रसाद सिंह ने कहा।अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम 3 वर्षों में एक लाख 82 हजार गावों के वनवासियों से सम्पर्क साधेगा 3

इस अवसर पर प्रांत उपाध्यक्ष (CSR) एवं समाजसेवी, बोधराज सीकरी, सामाजिक संस्था के संस्थापक डी पी गोयल, चेयरमैन ओम स्वीट्स ओमप्रकाश कथुरिया, पूर्व डायरेक्टर लायंस क्लब इंटरनेशनल विरेन्द्र कुमार लुथरा तथा समाजसेवी विनोद उप्पल भी उपस्थित थे।

अपने भाषण में बोधराज सीकरी ने कहा सभी देशवासियों को एक साथ मिलकर चलने व कार्य करने का आह्वान किया ।

अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम 3 वर्षों में एक लाख 82 हजार गावों के वनवासियों से सम्पर्क साधेगा 4इस अवसर पर पूर्वोत्तर राज्यो से आकर रूद्रपुर में वनवे कल्याण आश्रम द्वारा चलित क्षात्रवास में शिक्षा व संस्कार ग्रहण कर रही 30 छात्राओं असम बिहू नृत्य, महिषासुरमर्दिनि नृत्य, पहाड़ी नृत्य, गणेश वंदना, देश भक्ति नृत्य तथा योग की प्रस्तुति कर उपस्थित अतिथिओं को मत्रमुग्ध कर दिया । असम के बिहू नृत्य की प्रस्तुति अनुपम व अनुठी थी इस नृत्य द्वारा छात्राओं ने पूर्वोत्तर की लोक संस्कृति से परिचित कराया।

पूर्वोत्तर राज्यो की छात्राए 9 अप्रैल से हरियाणा प्रान्त के नौ दिवसीय भ्रमण पर है और उनका पहला पड़ाव गुरुग्राम रहा, इसके बाद वे हरियाणा प्रान्त के अन्य ज़िलों जैसे फरीदाबाद, रोहतक, भिवानी, हिसार में भी अपना कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगी तथा हरियाणा के विभिन्न नगरों में भ्रमण कर हरियाणा की संस्कृति को समझने व जानने का प्रयास करेगी। इसी उद्देश्य से छात्राओं को परिवारों में ठहराया जाएगा ताकि वो परिवारों के साथ आत्मसात होकर हरियाणवी संस्कृति को समझ पाये।

इस अवसर पर आश्रम के प्रान्त उपाध्यक्ष महिंदर नरेश ने बताया कि कल्याण आश्रम देश में रहने वाले 12 करोड़ वनवासी समाज के द्वारा सर्वांगीण विकास के लिए सेवारत है वर्तमान में 21 हजार से अधिक शिक्षा, चिकित्सा, ग्राम विकास, आर्थिक विकास जैसे सेवा प्रकल्पों के द्वारा 2 करोड़ वनवासी बन्धुओं को लाभान्वित कर रहा है। पूरे देश में लड़कियों व लड़कों के लिए 264 छात्रावास चलाये जा रहे है जिनमें लगभग 10 हजार छात्र आवासीय सुविधाओं का लाभ उठाकर शिक्षा व संस्कार ग्रहण कर रहे है।

इसमें से दो छात्रावास हरियाणा में चलाये जा रहें है, एक भिवानी में तथा दूसरा फरीदाबाद में। ज्ञात रहे कि फरीदाबाद में एक नया बहुउद्देशीय छात्रावास का निर्माण किया जा रहा हहै जोकि पूर्वोत्तर की दिशा व दशा बदलने में सहायक सिद्ध होगा।

कल्याण आश्रम के गुरुग्राम जिला अध्यक्ष व महानगर संघ चालक जगदीश ग्रोवर ने कहा कि आज बनवासी बन्धुओं के सामने कुछ भ्रम फैलाकर उन्हें भ्रमित किया जा रहा है कि आप हिन्दू नहीं है, आप आदिवासी है। जनगणना में अपना अलग सरना कोड लिखवाओं कल्याण आश्रम उनके बीच जाकर सभी भ्रमों को दूर कर रहा है तथा “तु मैं एक रक्त” की अनुभूति करा रहा है।

देश की 700 से अधिक जनजातियों के विकास एवं उन्नति के लिए संविधान निर्माताओं ने आरक्षण एव अन्य सुविधाओं का प्रावधान किया था। जनजातियों को ये सुविधाएँ एवं अधिकार अपनी संस्कृति आस्था एवं परम्परा की सुरक्षा करते हुए विकास करने हेतु दिये थे। लेकिन इन सुविधाओं का लाभ केवल 10 प्रतिशत धर्मान्तरित व्यक्ति उठा रहे है। 90 प्रतिशत वनवासी समाज वंचित है।

गत 20 मार्च से 31 मार्च के बीच कल्याण आश्रम ने एक विशेष अभियान के तहत सभी सांसदों से मिलकर एक प्रस्ताव लोकसभा में लाने हेतु सम्पर्क किया। जो व्यक्ति अपनी परम्परा धर्म व संस्कृति को छोड़कर ईसाई या मुसलमान हो जाता है उसे S.T. का लाभ ना मिले। पूरे देश के लगभग 388 सांसदों से सम्पर्क हो चुका है। सभी ने आश्वासन दिया है हम इस विधेयक का समर्थन करेंगे धर्मान्तरित व्यक्ति को S.T. का लाभ नहीं मिलना चाहिए।

कल्याण आश्रम के गुरुग्राम सचिव जगदीश कुकरेजा ने कहाँ कि हरियाणा एक गैर वनवासी क्षेत्र है। उन्होंने कहा, “हम हर वर्ष दो छात्रावास चलाने के साथ में 80-90 लाख रूपये हर वर्ष वनवासी क्षेत्र में आर्थिक सहयोग के रूप में भेजते है ताकि वहाँ चलने वाले सेवा कार्य निर्वाध गति से चलते रहे। इसके साथ में गुरुग्राम व पंचकुला माता मंदिरों से साड़ियों व अन्य सामान प्राप्त कर वनवासी क्षेत्र में भेजते हैं।”

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