विद्युत मंत्रालय का एनटीपीसी दादरी-II ताप विद्युत संयंत्र से आवंटन के संबंध में वक्तव्य
केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को उनके अनुरोध पर केंद्रीय उत्पादन स्टेशनों से बिजली आवंटित, इस मामले में डीईआरसी का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है
नई दिल्ली : केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को उनके अनुरोध पर केंद्रीय उत्पादन स्टेशनों (सीजीएस) से बिजली आवंटित की गई है। इस मामले में दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) के पास कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है। यदि कोई पुनर्आवंटन किया जाना है तो वह केवल राज्य सरकार के अनुरोध पर ही होगा और वह भी उस स्थिति में जब कोई अन्य राज्य सरेंडर गई बिजली को लेने के लिए तैयार हो। डीईआरसी का अधिकार क्षेत्र केवल टैरिफ यानी शुल्क दरों के निर्धारण और अपने राज्य के डिस्कॉम को सलाह एवं निर्देश देने का है। डीईआरसी केंद्र या राज्य सरकारों को कोई निर्देश नहीं दे सकता है।
एनटीपीसी दादरी-II ताप विद्युत संयंत्र के मामले में केंद्र सरकार ने दिनांक 8 मार्च, 2011 के पत्र के माध्यम से दिल्ली और उत्तर प्रदेश को इस संयंत्र से उत्पादित बिजली का आवंटन किया था।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के माननीय गृह, स्वास्थ्य, बिजली, पीडब्ल्यूडी एवं उद्योग मंत्री श्री सत्येंद्र जैन ने अपने डीओ पत्र दिनांक 6 जुलाई, 2015 के जरिये 11 केंद्रीय उत्पादन स्टेशनों से उत्पादित बिजली को तत्काल प्रभाव से सरेंडर किया था ताकि उसे अन्य जरूरतमंद राज्यों को आवंटित किया जा सके। इसमें दादरी-II ताप विद्युत संयंत्र भी शामिल है। उक्त पत्र के अनुसार दिल्ली ने पूरे 735 मेगावॉट के आवंटन को स्थायी तौर पर सरेंडर कर दिया था। उसके बाद भारत सरकार ने 20.11.2017, 08.05.2018, 14.11.2018, 24.12.2018 और 06.02.2019 को सभी राज्यों को लिखा कि दिल्ली द्वारा सरेंडर की गई बिजली नए सिरे से आवंटन के लिए उपलब्ध है। दिल्ली सरकार ने इसका विरोध नहीं किया था और न ही अपने सरेंडर पत्र को वापस नहीं लिया था। दिल्ली द्वारा सरेंडर की गई बिजली का पुनर्आवंटन अन्य राज्यों को उनके द्वारा किए गए अनुरोध के आधार पर किया जाता रहा है। दादरी चरण-II के मामले में बिजली का पुनर्आवंटन इस प्रकार किया गया है:
क्रम संख्या | विद्युत मंत्रालय का पत्रांक | दिनांक | दिल्ली की कंपनियों की हिस्सेदारी में संशोधन का कारण |
1. | No. 3/8/2016-OM | 13.04.2016 | एचवीडीसी बलिया और एचवीडीसी भिवाड़ी में से प्रत्येक को 1 मेगावॉट बिजली आवंटित |
2. | No. 3/8/2016-OM | 01.08.2016 | एचवीडीसी कुरुक्षेत्र को 2.72 मेगावॉट बिजली आवंटित |
3. | No. 3/8/2018-OM | 28.09.2018 | एचवीडीसी कुरुक्षेत्र को 2.72 मेगावॉट अतिरिक्त बिजली आवंटित (कुल : 5.45 मेगावॉट) |
4. | No. 3/6/2019-OM | 30.08.2019 | आंध्र प्रदेश को 01.09.2019 से 30.09.2019 तक 575.8 मेगावॉट बिजली आवंटित |
5. | No. 3/8/2019-OM (Part-1) | 08.12.2020 | एचवीडीसी दादरी को 0.8 मेगावॉट बिजली आवंटित |
6. | No. 3/8/2019-OM | 17.03.2021 | एचवीडीसी कुरुक्षेत्र का आवंटन 5.45 मेगावॉट से घटाकर 3.5 मेगावॉट किया गया |
दिल्ली सरकार ने उपरोक्त पुनर्आवंटन का कभी विरोध नहीं किया।
दादरी चरण-II से उत्पादित करीब 728 मेगावॉट शेष बिजली पुनर्आवंटन के लिए उपलब्ध थी। तदनुसार हरियाणा के अनुरोध के आधार पर 28 मार्च, 2022 को उसे यह अतिरिक्त बिजली दे दी गई। दिल्ली सरकार की ओर से 28.03.2022 तक भारत सरकार को सरेंडर की गई हिस्सेदारी की पुन: बहाली के लिए कोई अनुरोध प्राप्त नहीं हुआ था। 28.03.2022 को इस इस बिजली के पुन: पुनर्आवंटन के बाद एनसीटी दिल्ली की सरकार 30.03.2022 को जागी और दादरी चरण-II से दिल्ली के हिस्से को बहाल करने के लिए विद्युत मंत्रालय को लिखा। एनसीटी दिल्ली की सरकार ने 6 जनवरी, 2022 को डीईआरसी द्वारा एनटीपीसी को लिखे गए एक पत्र और 14 अक्टूबर, 2021 को डीईआरसी के एक पत्र का हवाला दिया था। हालांकि, जैसा कि ऊपर बताया गया है कि डीईआरसी को केंद्रीय उत्पादन संयंत्रों से उत्पादित बिजली के आवंटन के मामले में कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है।
गौरतलब है कि दिल्ली ने दादरी-I से 756 मेगावॉट के अपने हिस्से को छोड़ दिया है जो दर्शाता है कि यह बिजली अधिशेष है। इस प्रकार, यदि दिल्ली वास्तव में संकट में है और उन्हें अपने उपभोक्ताओं की चिंता है तो उन्हें दादरी-I से अपना हिस्सा नहीं देना चाहिए था।
चूंकि हरियाणा को अतिरिक्त बिजली का पुनर्आवंटन 28.03.2022 को पहले ही हो चुका है, इसलिए आगे कोई पुनर्आवंटन केवल हरियाणा का पक्ष सुनने के बाद ही किया जा सकता है क्योंकि हरियाणा अब भी एक प्रभावित पक्ष है और किसी भी वापसी से उसकी बिजली पर्याप्तता योजना प्रभावित होगी।