बंदरों के आतंक के साए में जीने को मजबूर हैं सेक्टर 5 गुरुग्राम के निवासी : एमसीजी मूक दर्शक

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गुरुग्राम :(monkey menace in sec 5 gurgaon)  बंदरों के आतंक के साए में जीने को मजबूर हैं सेक्टर 5 गुरुग्राम के निवासी . कभी किसी की रसोई में घुसकर खाना उठा ले जाते हैं तो कभी किसी के गमले और पौधे तोड़ जाते हैं . कई बार सेक्टर के निवासियों पर हमला भी बोल देते हैं. जिससे लोगों के घायल होने की घटना अक्सर सामने आती है। आरडब्लूए सेक्टर 3,5 एवं 6 के प्रेसिडेंट दिनेश वशिष्ठ ने बताया कि उनके सेक्टर में पिछले 6 माह से बंदरों का उत्पात जारी है। इस संबंध में कई बार नगर निगम में शिकायत की गई लेकिन अब तक बंदरों को पकड़ने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है लोग त्रस्त हैं।

दिनेश वशिष्ठ ने बताया कि उन्होंने बंदरों के उत्पात की जानकारी MCG के अधिकारियों को दी लेकिन उन्हें पिछले 6 माह से एक ही जवाब मिल रहा है. अधिकारी हमेशा रटा रटाया सा जवाब देते हैं कि बंदर पकड़ने का टेंडर छोड़ रहे हैं लेकिन अभी तक न तो टेंडर छूटा और ना ही बंदरों के आतंक से सेक्टर वासियों को निजात मिली।

सेक्टर 5 निवासी अरोड़ा ने बताया की अभी हाल ही में एक दिन बंदर उनके घर के अंदर घुस आए. उनकी रसोई से खाने के सामान और डब्बे उठा ले गए. आलम यह है कि प्रत्येक दिन उनके घर की छत पर बंदरों का झुंड आकर बैठ जाता है और इस फिराक में रहता है कि किसी तरह घर घुस जाए। उन्होंने कहा कि घर में छोटे बच्चे हैं. हमेशा इस बात का भय लगा रहता है कि कहीं बंदर बच्चों पर हमला ना बोल दे।

monkey menace in sec 5 gurgaonसेक्टर 5 निवासी लोकेश पारीक ने बताया उनके घर के बाहर सूखने के लिए पसारे गए कपड़े हर रोज बंदर फाड़ जाता है या फिर उसे उठा ले जाता है।

महिंद्र पोल सेवानिवृत्त एक्स ई एन व राजीव शर्मा ने बताया कि मदर प्राइड स्कूल व आसपास के घरों पर बंदरों का झुंड अक्सर बैठा रहता है। लोग भयभीत रहते हैं कि कहीं किसी को शारीरिक नुकसान न पहुंचा दे।

आलम यह है कि लोग अब अपने घर का दरवाजा खोलने से पहले यह देखने की कोशिश करता है कि कहीं बंदर आसपास तो नहीं बैठा है। बंदर इतने ढीठ हो चुके हैं की दरवाजा खुलते ही घर में घुसने की कोशिश करते हैं। 15 से 20 बंदर इस सेक्टर में एक मकान से दूसरे मकान पर छलांग लगाते रहते हैं। मकान की छतों पर लगे सोलर एनर्जी के सिस्टम एवं वाटर हीटिंग सिस्टम को भी कई बार नुकसान पहुंचा चुके हैं जबकि घर के बाहर खड़ी गाड़ियों के छत पर अक्सर डेरा डाले रहते हैं।

आरडब्ल्यूए प्रेजिडेंट दिनेश वशिष्ठ ने बताया कि उन्होंने एमसीजी के अधिकारी ऋषि मलिक से इस संबंध में शिकायत की लेकिन अभी तक सेक्टर वासियों को निजात दिलाने की कोई कोशिश नगर निगम की ओर से नहीं की गई है.  इस मामले में निगम का सहयोग नहीं मिल पाया।

सेक्टर 5 में रहने वाले सीनियर सिटीजन पुष्कर राज शर्मा का कहना है कि वह बंदरों के डर से अपनी छत पर धूप में नहीं बैठ सकते . भय का माहौल ऐसा हो गया है कि किसी बच्चे को भी छत पर जाना पिछले 6 माह से मना है क्योंकि बंदर लोगों के हाथ से सामान झपट कर भाग जाते हैं और नहीं दनी पर कपड़े फाड़ देते हैं. लोग बचने के चक्कर में आनन फानन में भागते हैं और गिर कर घायल हो जाते हैं . लोगों को हाथ पैर टूटने का डर बना रहता है.

आरडब्ल्यूए प्रेजिडेंट दिनेश वशिष्ठ ने एमसीजी से यहां तक कहा कि अगर निगम बंदरों को पकडवाने की व्यवस्था नहीं कर पा रहा है तो आरडब्ल्यूए को इसकी व्यवस्था करने की अनुमति दे दे.  क्योंकि अब आतंक इतना बढ़ गया है कि महिलाएं व बच्चे खासकर पूरे दिन घरों में कैद रहने को मजबूर हो रहे हैं।

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