-सीएम विंडो की शिकायत को भी एमसीजी अधिकारियों ने रद्दी की टोकरी में डालवा दिया
-दिनेश वशिष्ठ, आरडब्लूए सेक्टर 3,5 एवं 6 के प्रेसिडेंट ने ड्रेन सफाई में हुई गड़बड़ियों की शिकायत एमसीजी से पहले ही की थी
-अधिकारियों ने शिकायत पर नहीं की कोई कार्रवाई
-दोबारा शिकायत को वापस लेने का अधिकारी बना रहे हैं अनैतिक दबाव
-आर टी आई एक्टिविस्ट सूरज नागरथ ने की है सीएम विंडो को शिकायत
-सीएम विंडो ने अधिकारियों से किया जवाब तलब, एमसीजी में हड़कंप
सुभाष चौधरी
गुरुग्राम : गुरुग्राम में बरसाती ड्रेन सफाई के नाम पर लूट खसोट मचा हुआ है. यहां तक कि सीएम विंडो पर दी गई शिकायत पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई बल्कि एमसीजी के अधिकारियों ने शिकायतकर्ता से बिना बात किए ही सीएम विंडो की शिकायत को बंद करा दिया. दूसरी तरफ ड्रेन सफाई का काम आज भी आधा अधूरा पड़ा हुआ है और ठेकेदार को पैमेंट जारी कर दी गई ।
इस बात का खुलासा आरडब्लूए सेक्टर 3,5 एवं 6 के प्रेसिडेंट दिनेश वशिष्ठ ने यहां जारी प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से की। उन्होंने बताया कि उनके सेक्टर 3, 5 एवं 6 की ड्रेन सफाई का ठेका 36 लाख रुपए का दिया गया था. इस काम का उद्घाटन सीनियर डिप्टी मेयर प्रमिला गजे कबलाना के पति गजे कबलाना जो खुद भी पूर्व पार्षद हैं ने किया था. इस पूरे मामले की जानकारी सेक्टर निवासियों ने उन्हें दी है.
लेकिन अभी तक उनकी तरफ से भी ना तो शिकायत की गई है और ना ही इस मामले की जांच कराने के लिए कोई कदम उठाया गया है। तीनों सेक्टरों के लोग उनकी इस चुप्पी को लेकर आश्चर्यचकित हैं जबकि नगर निगम गुरुग्राम के अधिकारियों की मनमानी को लेकर बेहद परेशान भी। ड्रेन की सफाई नहीं होने के कारण हर वर्ष इस इलाके के लोगों को किसी भी मौसम में हल्की बारिश से भी बाढ़ जैसी स्थिति का सामना करना पड़ता है. इस बार बारिश के मौसम में तो यह पूरा इलाका जलमग्न हो गया था।
दिनेश वशिष्ठ का कहना है कि ड्रेन सफाई का काम बरसात से पहले होना था. इस कारण से ही इस काम का आरंभ अक्टूबर माह में ही किया गया. लेकिन आज भी पूर्ववत स्थिति में है. यही कारण रहा कि इस वर्ष बरसात में इस सेक्टरों के लोगों को अपने घरों से निकलना दूभर हो गया था. कई कई दिन तक लोग घरों में बंद रहे. सड़कें और गलियां नदियों में तब्दील हो गई थी. लोगों सैकड़ों वाहन बरसाती पानी में पूरी तरह डूबे हुए थे. इससे इलाके के लोगों को करोड़ों का नुकसान हुआ।
अब इन सेक्टरों के लोगों को इस बात की चिंता सता रही है कि वर्ष 2021 में जिस प्रकार की विषम परिस्थिति का सामना बरसात के दौरान करना पड़ा कहीं इससे भी बदतर स्थिति 2022 में झेलने को न मिले। इससे भी अधिक चिंता वाली बात यह है कि सरकार के खाते से तो इस इलाके के लिए ड्रेन सफाई का काम का पैसा भुगतान हो गया लेकिन सफाई नहीं हुई. आश्चर्यजनक बात यह है कि इस काम के बारे में कार्य संतोषप्रद होने का प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया गया और इसके आधार पर एमसीजी के खाते से पेमेंट भी ठेकेदार को जारी कर दिए गए।
आरडब्लूए सेक्टर 3,5 एवं 6 के प्रेसिडेंट दिनेश वशिष्ठ ने साफ शब्दों में कहा है कि उनकी ओर से ड्रेन सफाई में बड़े पैमाने पर बरती गई अनियमितता और भ्रष्टाचार के बारे में संबंधित जेई रोहित हुड्डा, एसडीओ दिलीप यादव, एक्शन ओम दत्त तीनों अधिकारियों को समय रहते दे दी गई थी। लेकिन आरडब्ल्यूए की ओर से दी गई शिकायत पर आज तक इनमें से किसी भी अधिकारी ने ना तो जांच करने और ना ही किसी प्रकार की कार्रवाई करने की जहमत उठाई।
यह तो ड्रेन सफाई का मामला है . इसके अलावा भी इन सेक्टरों में किसी भी विकास कार्य के बारे में आरडब्ल्यूए के प्रतिनिधियों से न तो कभी सुझाव लिया जाता है और ना ही उन्हें इस प्रकार की योजना बनाने में शामिल किया जाता है। यहां तक की इस इलाके के सभी निवासियों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था आरडब्लूए से ऐसे विकास कार्यों के लिए पेमेंट जारी करने की दृष्टि से कोई प्रमाण पत्र भी नहीं लिया जाता है।
जाहिर है विकास कार्य के नाम पर धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार को अंजाम देने के लिए ही आरडब्ल्यूए के अस्तित्व को ही नकारा जा रहा है। जिन लोगों के लिए सुविधाएं मुहैया कराया जाना है उनसे ही इस संबंध में कभी कुछ नहीं पूछा जाता है. जिसके कारण से अधिकारी ठेकेदार और नेता अपनी मनमानी करते रहते हैं. उसी का नतीजा इस सेक्टरों के लिए ड्रेन सफाई के काम में बरती गई खामी है।
इस पूरे मामले में एमसीजी के अधिकारियों ने हद तो तब पार कर दी जब सीएम विंडो पर दी गई शिकायत को भी रद्दी की टोकरी में डाल दी गई. उल्लेखनीय है कि सेक्टर 5 निवासी आरटीआई एक्टिविस्ट सूरज नागरथ ने ड्रेन सफाई नहीं होने के बावजूद पेमेंट जारी हो जाने के मामले की शिकायत सीएम विंडो पर की थी।
इस प्रदेश में यह परंपरा बन गई है कि जिस अधिकारी के खिलाफ शिकायत हो उसी को खुद की जांच करने के लिए सीएम विंडो से मामला रेफर कर दिया जाता है और इस विषय में भी ऐसा ही कुछ हुआ। नतीजतन इस शिकायत को भी एमसीजी के एक्सईएन ओम दत्त ने बिना किसी जांच के और शिकायतकर्ता से किसी तरह की पूछताछ किए बिना बंद करवा दी।
बात यहीं नहीं रुकी बल्कि आरटीआई एक्टिविस्ट नागरथ को जब उनकी शिकायत के साथ किए गए अनैतिक बर्ताव की जानकारी मिली तो उन्होंने पुनः इस मामले की शिकायत सीएम विंडो पर की. उन्होंने सीएम विंडो पर लिखित शिकायत में बताया कि उनकी समस्या का निदान हुआ नहीं और अधिकारी ने इसे निपटाया गया बताकर मामले को बंद करवा दिया. उन्होंने संबंधित अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करते हुए जांच कराने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की।
मामला यहां तक पहुंच गया है कि सीएम विंडो से अधिकारी से जवाब तलब किया गया है. उनसे पूछा गया है कि जब शिकायतकर्ता संतुष्ट नहीं था और शिकायत का निवारण नहीं हुआ तो फिर आपने सीएम विंडो को गलत सूचना क्यों दी। जाहिर है यह पूरी तरह धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार का मामला साफ दिखता है. खबर यह है कि संबंधित अधिकारी अब आरटीआई एक्टिविस्ट सूरज नागरथ पर अनैतिक दबाव बनाने की कोशिश में जुटे हैं.
उनसे सीएम विंडो पर दी गई शिकायत वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा है. दूसरी तरफ आरटीआई एक्टिविस्ट नागरथ अपनी बातों पर अड़े हुए हैं और अधिकारी को कड़क संदेश दे दिया है कि जब तक उनकी शिकायत का निवारण नहीं होता वह सीएम विंडो से अपनी शिकायत वापस नहीं लेंगे।
मामला काफी गर्म हो गया है और इसमें अगर स्वतंत्र जांच कराई गई तो एमसीडी के कई अधिकारी निलंबित हो सकते हैं. जबकि ठेकेदार और अन्य अनैतिक लाभ लेने वाले पक्ष कानूनी कार्रवाई के दायरे में लाए जा सकते हैं। इस मामले में पारदर्शिता बरतना प्रदेश सरकार और वरिष्ठ अधिकारियों की जिम्मेदारी है।
वैसे स्थानीय शहरी निकाय प्रदेश के तेजतर्रार और कड़क कैबिनेट मंत्री अनिल विज के अधीन है. प्रदेश की जनता उनसे इस प्रकार के मामले में भी सख्त कार्रवाई की उम्मीद करती है लेकिन एमसी जी के अधिकारियों के लिए भ्रष्ट आचरण और कागजों की हेराफेरी के साथ-साथ गलत बयानी करना संस्कृति बन चुकी है. देखना यह होगा कि प्रदेश सरकार ऐसे अधिकारियों से किस तरह निबटती है।
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