सफाई मित्र सुरक्षा चैलेंज में कुल 246 शहर होंगे शामिल

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नई दिल्ली :  आवास और शहरी कार्य मंत्रालय 14 नवंबर से 20 नवंबर 2021 तक ‘विश्व शौचालय दिवस’ समारोह के भाग के रूप में, सफाई मित्र सुरक्षा चुनौती (एसएससी) पर एक सप्ताह तक चलने वाला जागरूकता अभियान शुरू कर रहा है। इस दौरान स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 में राज्यों, शहरों, यूएलबी और छावनी बोर्ड की भूमिका तथा प्रयासों को मान्यता देने के और कचरा मुक्त स्टार रेटिंग प्रमाणन के लिए 20 नवंबर, 2021 को ‘स्वच्छ अमृत दिवस’ पुरस्कार समारोह का आयोजन किया जाएगा।

देश भर में आयोजित किए जा रहे सफाई मित्र सुरक्षा चैलेंज (एसएससी) में कुल 246 शहर भाग ले रहे हैं। इस चुनौती के माध्यम से इसका उद्देश्य शहरों को अपने सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के कार्यों को मशीनीकृत करने के लिए प्रोत्साहित करना है, ताकि ‘खतरनाक प्रवेश’ से सफाई कर्मचारियों की मृत्यु और दुर्घटनाओं को रोका जा सके। आवास और शहरी कार्य मंत्रालय (एमओएचयूए) ने विश्व शौचालय दिवस (19 नवंबर 2020) के अवसर पर सीवर और सेप्टिक टैंक की खतरनाक सफाई की प्रथा को समाप्त करने और मशीन से होने वाली सफाई को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सफाईमित्र सुरक्षा चुनौती (एसएससी) का शुभारम्भ किया। स्वच्छ सर्वेक्षण 2022 के शुभारंभ पर, एमओएचयूए ने एसएससी के लिए क्षेत्र आकलन को भी झंडी दिखाई। चैलेंज की समय-सीमा के अनुसार इसे टूलकिट के साथ 19 नवंबर 2020 को लॉन्च किया गया था और इसकी तैयारी की अवधि 20 नवंबर 2020 से 30 सितंबर 2021 तक थी तथा इसका मूल्यांकन अक्टूबर 2021 में किया गया था।

चुनौती के लिए जनसंख्या श्रेणियों में कई पुरस्कार और आर्थिक प्रोत्साहन तय किए गए हैं, जैसा कि नीचे दिया गया है:

उप-श्रेणियां (जनसंख्या) प्रथम पुरस्कार द्वितीय पुरस्कार तृतीय पुरस्कार
10 लाख 12 करोड़ रुपये  6 करोड़ रुपये 3 करोड़ रुपये
3  – 10 लाख 10 करोड़ रुपये 5 करोड़ रुपये 2.5 करोड़ रुपये
3 लाख तक  8 करोड़ रुपये 4 करोड़ रुपये 2 करोड़ रुपये
कुल योग  52.5 करोड़ रुपये

इसके अलावा, श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले दो राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों को प्रशस्ति पत्र और शील्ड के माध्यम से मान्यता दी जाएगी तथा प्रत्येक जनसंख्या श्रेणी में चौथे और 5 वें स्थान पर आने वाले शहरों को भी मान्यता दी जाएगी।

एसएससी अभियान के तहत ऋण मेले जैसी कई पहल की गई हैं। एसएससी के अंतर्गत, राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त और विकास निगम (एनएसकेएफडीसी), सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, एमओएचयूए द्वारा समर्थित, देश भर में ऋण मेलों का आयोजन कर रहे हैं ताकि सफाईमित्रों को सीवर / सेप्टिक टैंकों की मशीनीकृत सफाई के लिए टैंक सफाई मशीन/उपकरण खरीद के लिए स्वच्छता उद्यमी योजना (एसयूवाई) के तहत ऋण प्राप्त करने में मदद मिल सके। अब तक 26 ऋण मेलों का आयोजन किया गया है, जिनमें 74 सफाईमित्रों को सीवर सेप्टिक टैंक और स्वच्छता मशीनों की खरीद के लिए कुल 6.73 करोड़ ऋण वितरित किए गए हैं।

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के सहयोग से एनएसकेएफडीसी के माध्यम से सफाईमित्र सुरक्षा चैलेंज के अंतर्गत आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, हरियाणा, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश राज्यों के 115 शहरों में सफाईमित्रों के कौशल विकास प्रशिक्षण भी आयोजित किए गए हैं। यह गहन प्रशिक्षण मॉड्यूल ‘पूर्व शिक्षा की मान्यता’ (आरपीएल) मॉडल पर आधारित है, जिसमें सैद्धांतिक और व्यावहारिक सत्र शामिल हैं, जो हरित नौकरियों के लिए सेक्टर कौशल परिषद के संबद्ध प्रशिक्षण प्रदाताओं द्वारा संचालित किए जा रहे हैं। ये प्रशिक्षण विशेष रूप से सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के क्षेत्र में काम करने वाले सफाईमित्रों के लिए तैयार किए गए हैं। अब तक, 115 शहरों में 9,200 सफाईमित्र पहले ही प्रशिक्षण पूरा कर चुके हैं।

सफाईमित्र सुरक्षा चुनौती (एसएससी) के अंतर्गत सेप्टिक टैंकों/सीवरों की सुरक्षित सफाई और खतरनाक सफाई पर शिकायतें दर्ज करने के लिए अब तक ‘14420’ हेल्पलाइन नंबर के साथ 345 शहरों में सुरक्षित सफाई के लिए कॉल सेंटर और हेल्पलाइन नंबर चालू किया गया है। 31 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने जिम्मेदार स्वच्छता प्राधिकरण (आरएसए) स्थापित किया है और इन राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 210 शहरों में स्वच्छता प्रतिक्रिया इकाइयां (एसआरयू) मौजूद हैं। भाग लेने वाले सभी 246 शहरों ने पहले ही एक बार उपयोग होने वाली प्लास्टिक (एसयूपी) पर प्रतिबंध लगा दिया है।

एमओएचयूए ने शहरी भारत में विभिन्न श्रेणियों के स्वच्छता कर्मचारियों के लिए मानक वर्दी डिजाइन भी तैयार की हैं। इनमें स्वच्छता कमांडो (सीवर और सेप्टिक टैंक की भूमिगत सफाई में लगे सफाई कर्मचारी), सफाईमित्र (सड़क की सफाई और कचरा संग्रह में लगे हुए) और स्वच्छता पर्यवेक्षक / ऑपरेटर शामिल हैं। डिजाइनों को एनआईआईएफटी, मोहाली और एनआईएफटी गांधीनगर के सहयोग से विकसित किया गया है और अनुमोदित डिजाइनों के अनुसार वर्दी तैयार करने तथा वितरित करने के लिए राज्यों और यूएलबी के लिए विशिष्टताओं को जारी किया गया है।

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