फोर्ड इंडिया अब भारत में कारों का निर्माण नहीं करेगी : गुजरात और चेन्नई स्थित दोनों ईकाइयां होंगी बंद

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नई दिल्ली : फोर्ड इंडिया अब भारत में कारों का निर्माण नहीं करेगी. यह घोषणा फोर्ड इंडिया की ओर से की गई है. ट्विटर के माध्यम से फोर्ड इंडिया ने कहा है कि भारत में अपनी दोनों कार फेक्ट्रियों में कार उत्पादन क्रमबद्ध तरीके से बंद करने का निर्णय लिया है. जाहिर है कि  भारत स्थित फोर्ड की कार उतपादन इकाइयों में कार्यरत बड़ी संख्या में कर्मचारियों को अब बेरोजगारी का सामना करना पड़ेगा। दावा किया जा रहा है कि भारत में कंपनी के दोनों विंग के बंद होने से 4,000 से अधिक कर्मचारियों को नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है. बताया जाता है कि कंपनी ने भारतीय बाजार में हुए भारी घाटे के कारण यह बड़ा कदम उठाया है.

 

4,000 से अधिक श्रमिक होंगे बेकार :

 

बताया जाता है कि फोर्ड की कार उतपादन इकाइयों में 2,600 से अधिक स्थायी कर्मचारी हैं और 1,000 से अधिक ठेके पर कार्यरत कर्मचारी हैं। फोर्ड की कार उतपादन इकाइयों में शटडाउन का असर उन छोटी बड़ी सभी सहायक कंपनियों पर भी पड़ेगा जो फोर्ड के लिए छोटे पुर्ज़े और ऑटो पार्ट्स की आपूर्ति करती हैं। इस स्थिति में उन सैकड़ों सूक्ष्म, लघु और मध्यम औद्योगिक उद्यमों में कार्यरत श्रमिकों के समक्ष भी बेरोजगारी तलवार लटक सकती है क्योंकि उन्हें भी अब अपने काम तात्कालिक रूप से बंद करने पद सकते हैं.

 

करीब 2 अरब डॉलर का नुकसान

 

मीडिया में आई रिपोर्ट्स के अनुसार, चेन्नई शहर के पास दक्षिण भारतीय संयंत्र में फोर्ड मोटर कंपनी के कारखाने के कर्मचारियों ने राज्य सरकार को एक पत्र लिखकर अपनी नौकरी बचाने की गुहार लगाईं है। कहा जा रहा है कि फोर्ड कंपनी खुद भारतीय शाखाओं को बंद कर रही है क्योंकि बड़े पैमाने पर आर्थिक नुकसान का उन्हें सामना करना पड़ा है। एक आकलन के अनुसार फोर्ड कंपनी को भारतीय इकाइयों से करीब 2 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। फोर्ड ने शुरू में इस विचार के साथ भारतीय बाजार में कदम रखा था कि भारत में अपार संभावनाएं हैं लेकिन अब तक के हालात उनके पक्ष में नहीं रहे।

 

क्या है भविष्य की योजना ?

 

कंपनी की योजना इस साल की चौथी तिमाही तक पहले गुजरात के साणंद में स्थित कार उत्पादन इकाई को बंद करने की है। दूसरी इकाई जो चेन्नई में हैं 2022 में उत्पादन बंद करने पर विचार कर रही है. इसके बाद केवल आयातित वाहन ही बेचे जाएंगे। हालांकि यह कहा जा रहा है कि फोर्ड कंपनी अब अपनी इम्पोर्ट की गई कारें बेचना जारी रखेगी. मौजूदा ग्राहकों को भी कुछ वर्षों तक सर्विस देती रहेगी इसके लिए डीलरों को सहायता देगी. इस बात का खुलासा फोर्ड इंडिया द्वारा ट्विटर के माध्यम से किया गया है. हालांकि कंपनी ने अपने ट्विट में इसे Ford Restructures India Operations का नाम दिया है साथ यह स्पष्ट कर दिया है कि अपने कार ग्राहकों को पार्ट्स और वारंटी सर्विस देती रहेगी जबकि उपलब्ध स्टाक समाप्त होने तक कारों की बिक्री भी जारी रखेगी. प्रबंधन ने ट्विट में कहा है कि भविष्य में प्रतिष्ठित वैश्विक वाहनों और इलेक्ट्रिक एसयूवी के क्षेत्र में कदम बढ़ाने का इरादा है. सभी नए हाइब्रिड और पूरी तरह से इलेक्ट्रिक वाहन देने की दिशा में फोर्ड की वैश्विक योजना है जो US$30 बिलियन यू एस डॉलर का निवेश करेगी।

 

श्रमिक यूनियन ने जताई चिंता

 

खबर है कि चेन्नई फोर्ड कर्मचारी संघ ने गत 11 सितंबर को तमिलनाडु के राज्य मंत्री टी एम अंबारसन को संबोधित एक पत्र में कहा है कि मिडिया रिपोर्ट्स के अनुसार चेन्नई कारखाने को बंद करने के फोर्ड के फैसले के परिणामस्वरूप हजारों श्रमिकों को अपनी नौकरी खोने का खतरा है। यूनियन ने मंत्री से श्रमिकों की आजीविका की रक्षा करने की मांग की है.

 

चेन्नई में एक और यूनियन, सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन (सीटू) ने फोर्ड कंपनी प्रबंधन के साथ-साथ सरकार के खिलाफ इस घटना के विरोध में सोमवार को प्रदर्शन का आयोजन किया. सीटू के सचिव ने इस मामले में सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है.इस मामले को लेकर कर्मचारी यूनियनों ने नरेंद्र मोदी सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पर ही सवाल खड़ा कर दिया है जिसमें नौकरियों की संभावना बढ़ाने का दावा किया जाता रहा है.

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