जीएसटी बिल पर राष्ट्रपति की मोहर 

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अब जीएसटी काउंसिल के गठन की अधिसूचना जारी होगी
नई दिल्ली। देश को जिस कानून का इंतजार कई वर्षो से था वह अब कानून की शक्ल में देश  के सामने है. जिस को संसद से पारित करने में राजनितिक उठापटक चरम पर पहुंची थी और लंबे समय के इंतजार के बाद संसद से पारित करने में मोदी सरकार को मशक्कत करनी पड़ी थी उस जीएसटी से जुड़े संविधान संशोधन बिल पर आखिरकर गुरूवार को  राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मोहर लगा दी. उल्लेखनीय है कि जीएसटी बिल 3 अगस्त को राज्यसभा और उसके बाद 8 अगस्त को लोकसभा से पारित कराया गया था.
कितने राज्यों ने किया समर्थन ?  
इस संविधान संशोधन विधेयक पर 50 फीसदी से ज्यादा राज्यों के विधानसभाओं से मंजूरी मिल गई थी. इसे अब राष्ट्रपति के हस्ताक्षर का इंतजार था. वैधानिक रूप से यह अब उनके हस्ताक्षर से कानून बन जायेगा .    नियमानुसार इस संविधान संशोधन विधेयक को अधिसूचित किया जाएगा. प्रावधान के अनुसार जीएसटी को राष्ट्रपति से मंजूरी के लिए कम से कम 29 में से 15 राज्यों के समर्थन की जरूरत थी.  उड़ीसा विधानसभा से भी कुछ दिन पहले ही इसे पास किया गया और  उड़ीसा इसे पास करनेवाला 16वां राज्य बन गया था। इसे सबसे पहले पास करने वाला राज्य असम था.
आगे की प्रक्रिया में राष्ट्रपति के हस्ताक्षर से जीएसटी काउंसिल के गठन की अधिसूचना जारी होगी. जीएसटी काउंसिल ही देश के लिए टैक्स दर और सेस दर तय करेगी। यद् रहे कि देश की संसद ने जीएसटी विधेयक को 8 अगस्त को पारित किया था.
अब उम्मीद जताई जा रही है कि देश में टैक्स दर एक समान हो जाएग .  हाल ही में वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि अगले साल एक अप्रैल से देशभर में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू करने का लक्ष्य हासिल हो जाएगा. उन्होंने स्पस्ट किया था कि संसद के बाहर सरकार की सर्वोच्च प्रााथमिकता जीएसटी लागू करना है। जीएसटी को लागू करने के लिए केंद्र सरकार ने अप्रैल, 2017 की समय सीमा तय की है. टैक्स विशेषज्ञों की रे है कि जीएसटी लागू होने से कीमतों में कमी आएगी क्योंकि एक्साइज ड्यूटी और वैट हटेंगे.

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