सुभाष चौधरी
नई दिल्ली । संसदीय मामलों की कैबिनेट कमेटी (सीसीपीए) ने 19 जुलाई से 13 अगस्त तक संसद के मानसून सत्र की सिफारिश की है । उम्मीद जताई जा रही है कि पिछले वर्ष की भांति इस बार भी संसद सत्र का आयोजन सोशल डिस्टैन्स सिंग मेंटेन करते हुए ही किया जाएगा। इस बार का सत्र बेहद गर्म रहने के आसार हैं क्योंकि वर्ष २०२० की अपेक्षा दूसरी लहर के दौरान देश के सभी राज्यों में संक्रमण से भारी नुकसान हुआ है। ज़ाहिर है इसको लेकर विपक्ष हमलावर होगा ,जबकि सत्तापक्ष की ओर से स्थिती को सामान्य बनाने कि दिशा में उठाए गए त्वरित कदमों को लेकर अपने दावे किए जाएंगे ।
यह तो तय है कि इस सत्र के दौरान कई मंत्रालयों से संबंधित एक दर्जन से अधिक आवश्यक बिल भी पारित कराए जानें की कोशिश होगी। दूसरी तरफ़ कोरोना महामारी को लेकर चर्चा कराने पर विपक्ष जोर डालेगा। अभी हाल ही में विपक्ष को गोलबंद करने की कोशीश में महाराष्ट्र के बड़े राजनेता व एनसीपी प्रमुख शरद पवार के घर हुई बैठक का असर भी संसद सत्र पर पड़ता दिखेगा। विपक्ष में सरकार को कोरोना के मामले को लेकर घेरने के लिए कितनी एकता होगी इसको लेकर अभी संदेह है। क्योंकि देश के सभी राज्यों की क्षेत्रीय पार्टियां कांग्रेस के नेतृत्व में जाने को तैयार नहीं दिखती। जबकि कांग्रेस अपनी राष्ट्रीय भूमिका को लेकर दूसरे दलों से समझौता करने को तैयार नहीं है।
माना जा रहा है कि परिवहन विभाग, शहरी विकास मंत्रालय और वित्त मंत्रालय से संबंधित कई बिल संसद के पटल पर रखे जाएंगे।साथ ही देश बढ़ती बेरोजगारी वह आर्थिक व्यवस्था कई खामियों वो भी विपक्ष उजागर करने की कोशीश करेगा. ऑक्सीजन की कमी के कारण महाराष्ट्र दिल्ली उत्तर प्रदेश गुजरात छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश और पंजाब सहित अन्य राज्यों में कोरोना संक्रमित लोगो की बडी संख्या में हुई मृत्यु का मुद्दा भी चर्चा का विषय बनेगा.
विपक्ष धरने पर बैठे किसान संगठनों के साथ है जबकि सरकार की ओर से कई दौर की बातचीत के बाद अब उनके लिए और प्रत्यक्ष तौर पर दरवाजे बंद कर लिए गए हैं। किसान संगठन अब सरकार से बातचीत करना चाहता है जब की सरकार तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को छोड़कर अन्य विषयों पर बात करने पर अड़ी हुई है। संभव है संसद सत्र के दौरान किसानों के मुद्दों को लेकर भी तनातनी देखने को मिल सकती है।