गुडग़ांव, 25 जून : सिखों के छठे गुरु हरगोविंद सिंह का प्रकाशोत्सव शुक्रवार को शहर के विभिन्न गुरुद्वारों में मनाया गया। शबद कीर्तन व
अखंड पाठ का भी आयोजन किया गया। सिख समुदाय के ही नहीं, अपितु अन्य समुदाय के लोगों ने भी गुरुद्वारा पहुंचकर वाहेगुरु अरदास की। पूरे दिन ही गुरुद्वारों में लोगों का आना-जाना लगा रहा।
समुदाय के जानकारों का कहना है कि गुरु अर्जुन देव के सुपुत्र हरगोविंद साहिब की दलभंजन योद्धा कहकर प्रशंसा की गई है। उनकी शिक्षा-दीक्षा महान विद्वान भाई गुरदास की देखरेख में हुई थी। अपने पिता की शहीदी के आदर्श को उन्होंने न केवल अपने जीवन का उद्देश्य माना, अपितु उनके द्वारा जो कार्य शुरु किए गए थे, उन्हें भी पूरा कराया था। उन्होंने अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा भी ग्रहण की थी, वे महान योद्धा भी थे। उनका चिंतन क्रांतिकारी था। वह चाहते थे कि सिख कौम शांति, भक्ति एवं धर्म के साथ-साथ अत्याचार व जुल्म का मुकाबला करने के लिए भी सशक्त बनें।
गुरु जी की प्रेरणा से श्री अकाल तख्त साहिब का भी भव्य अस्तित्व निर्मित हुआ। उन्होंने नानक राज स्थापित करने में सफलता प्राप्त की थी। जानकारों का कहना है कि मुगल सम्राट जहांगीर ने उन्हें ग्वालियर के किले मे बंदी बना लिया था। वह करीब 3 वर्ष तक किले मे बंदी रहे। उन्होंने मुगल सम्राट शाहजहां के साथ 4 बार युद्ध किया और कई बार मुगल सेना को पराजित भी किया। वह बहुत परोपकारी योद्धा थे। गुरुग्रंथ साहिब के संदेश ने गुरु परंपरा के बड़े कार्य भी किए थे। कहा जाता है कि उन्होंने अपनी सारी शक्ति हरमिंद्र साहिब व अकाल तख्त साहिब के आदर्श स्थापित करने में लगा दी थी। तीरथपुर साहिब में उनका निधन हुआ था।