सुभाष चौधरी
नई दिल्ली : पत्रकार मनजीत नेगी ने अपनी नई पुस्तक ‘ साधु से सेवक ’ की पहली प्रति सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेंट की. यह पुस्तक नरेंद्र मोदी के राजनीति में आने से पूर्व उनके शुरुआती जीवन की आध्यात्मिक यात्रा पर आधारित है. इस पुस्तक की प्रस्तावना केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने लिखी है।
यह जानकारी पत्रकार मंजीत नेगी ने स्वयं ट्वीट के माध्यम से दी है. उन्होंने अपने ट्वीट में कहा है कि ” मैंने अपनी पुस्तक ” साधु से सेवक ” की पहली प्रति पीएम नरेंद्र मोदी को भेंट की। यह पुस्तक उनकी आध्यात्मिक यात्रा पर आधारित है। इसमें उनके उत्तराखंड में बिताए गए दिनों और घटनाओं को प्रस्तुत किया गया है। पुस्तक की प्रस्तावना गृहमंत्री अमित शाह ने लिखी है।”
पत्रकार नेगी ने अपने परिवार के साथ प्रधानमन्त्री मोदी को पुस्तक भेंट करते हुए चित्र भी ट्वीट में साझा किये हैं.
प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी के जीवन के अनछुए पहलुओं को उजागर करने वाली हिंदी भाषा की यह पुस्तक 111 पृष्ठों की है जिसे प्रभात प्रकाशन ने प्रकाशित किया है जो अमेजन वेबसाइट पर ऑनलाइन बिक्री के लिए मात्र रु.112/- में उपलब्ध है.
“साधू से सेवक” में क्या है ख़ास ?
साधु से सेवक’ पुस्तक मोदी के युवा अवस्था के उन दो वर्षों की कहानी है, जब युवा नरेंद्र सांसारिक मोहमाया से दूर हिमालय में साधु बनने की खोज में भटक रहा था। कोलकाता में रामकृष्ण मिशन के बेलूर मठ से होते हुए ऋषिकेश के दयानंद आश्रम और फिर बाबा केदार की शरण में जाकर नरेंद्र मोदी की तृष्णा शांत हुई.
ऋषिकेश के स्वामी दयानंद गिरि से पी.एम. मोदी का पुराना रिश्ता था। स्वामी दयानंद का मोदी के जीवन पर गहरा प्रभाव है। प्रचारक जीवन में मोदी जब ऋषिकेश आए और 1981 में स्वामी से जुड़ गए, तब से स्वामीजी मार्गदर्शन में सेवा-स्वच्छता को अपने जीवन में आत्मसात् किया।
बाल्यकाल से ही हिमालय के प्रति नरेंद्र मोदी के मन में विशेष आकर्षण था। वह आए दिन साधु-संतों और श्रद्धालुओं से बाबा केदार, बदरीधाम, कैलाश मानसरोवर समेत हिमालयी क्षेत्र के पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण दिशा में आनेवाले सभी पावन धार्मिक तीर्थों के विषय में रुचि लेकर सुनते थे।
इन तीर्थों की महिमा और वहाँ के सौंदर्य की चर्चा सुनकर नरेंद्र मन-ही-मन में वहाँ की यात्रा कर लेते थे। यह पुस्तक नरेंद्र मोदी के आध्यात्मिक जीवन से जुड़े अनसुने पहलुओं को उजागर करने का प्रयास है।
‘साधु से सेवक’ पुस्तक प्रधान मन्त्री मोदी की युवावस्था में दो वर्षों की उस आध्यात्मिक यात्रा का सार है, जो साधु बनने की खोज में उन्हें यहाँ ले आई थी। यहीं से मिली प्रेरणा ने उनके व्यक्तित्व को हिमालय सा दृढ़ बनाया है।