सार्वजनिक निर्माण विभाग की समीक्षा बैठक एवं अभियंताओं के साथ मुख्यमंत्री का संवाद
जयपुर, 12 मार्च। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सार्वजनिक निर्माण विभाग के माध्यम से चल रहे सड़क एवं अन्य निर्माण कार्यों में गुणवत्ता पर जोर दिया है। उन्होंने विभाग के अभियन्ताओं को इन कायोर्ं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के निर्देश देते हुए कहा कि डिफेक्ट लॉयबिलिटी पीरियड (गारंटी अवधि) में सड़क की मरम्मत नहीं करने वाले संवेदकों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
श्री गहलोत शुक्रवार शाम को मुख्यमंत्री निवास पर सार्वजनिक निर्माण विभाग के कार्याें की समीक्षा कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने इस दौरान पीएमजीएसवाय, सीआरआईएफ, एसआरएफ, आरआईडीएफ, ग्रामीण विकास पथ आदि योजनाओं तथा एनएएचआई, विश्व बैंक तथा एडीबी के सहयोग से चल रहे निर्माण कार्याें की गहन समीक्षा की। श्री गहलोत ने प्रदेश के विभिन्न जिलों में कार्यरत अतिरिक्त मुख्य अभियंताओं, अधीक्षण अभियंताओं, अधिशासी अभियंताओं से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संवाद भी किया।मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश को सड़क निर्माण की दृष्टि से देश का अव्वल राज्य बनाने के लक्ष्य के साथ काम कर रही है। उन्होंने कहा कि सड़क, ओवर ब्रिज, पुलिया आदि निर्माण परियोजनाओं पर जनता का बड़ा पैसा खर्च हो रहा है। कतिपय प्रकरणों में कम गुणवत्ता के निर्माण के चलते सड़कें निर्धारित अवधि से पहले ही क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। विभाग की जिम्मेदारी है कि जो भी सड़कें बनें वे टिकाऊ हों और लम्बे समय तक चलें। गुणवत्ता की जांच के लिए थर्ड पार्टी विशेषज्ञों का सहयोग भी लिया जाए।
श्री गहलोत ने निर्देश दिए कि जिलों में क्षतिग्रस्त सड़कों, पुलियाओं तथा सड़क मार्गाें पर हो रहे अतिक्रमण की शिकायतों के निराकरण के लिए उनकी जियो टैगिंग एवं मैपिंग की जाए। इसमें ऎसी भी व्यवस्था की जाए कि स्थानीय नागरिक अपने इलाके की क्षतिग्रस्त सड़कों फोटो खींचकर विभाग को उनकी स्थिति की जानकारी और निर्माण कायोर्ं की गुणवत्ता पर फीडबैक भी दे सकें। उन्होंने कहा कि सभी निर्माण कार्य निर्धारित टाइम फ्रेम में पूरे हों ताकि सरकार की मंशा के अनुरूप आमजन को उनका समय पर लाभ मिल सके।
मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण कार्याें में भूमि अधिग्रहण से सम्बन्धित मामलों में बेहतर समन्वय के लिए प्रकरण को मुख्य सचिव के स्तर पर गठित समिति के समक्ष लाया जाना चाहिए, ताकि उस पर त्वरित कार्यवाही कर काम को गति दी जा सके।
श्री गहलोत ने सार्वजनिक निर्माण विभाग के माध्यम से चल रहे राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण कार्यों पर कहा कि इन परियोजनाओं में भूमि अधिग्रहण कर उसे निर्माणकर्ता को सौंपने, अवार्ड जारी करने सहित अन्य आवश्यक स्वीकृतियां प्राप्त करने के काम को और अधिक गति दी जाए। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं के काम को लेकर नीति आयोग द्वारा जारी देश के 10 बड़े राज्यों की परफोरमेंस रैंकिंग में राजस्थान दूसरे नम्बर पर है।
मुख्यमंत्री ने सड़क निर्माण में प्लास्टिक अपशिष्ट के उपयोग के नवाचार की सराहना की और कहा कि इससे पर्यावरण प्रदूषण को कम करने में मदद मिलने के साथ-साथ सड़कें भी अधिक टिकाऊ बन पाएंगी। श्री गहलोत ने प्रदेश में हर साल सड़क दुर्घटनाओं का शिकार होने वाले लोगों की बड़ी संख्या पर भी गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि कई बार इस दुर्घटनाओं का कारण सड़क निर्माण में तेज घुमाव, स्पीड ब्रेकर एवं इंजीनियरिंग खामी भी होती है।
उन्होंने अभियंताओं को निर्देश दिए कि वे ऎसा मास्टर प्लान तैयार करें, जिससे सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में कमी लाई जा सके। सड़कों पर ऎसे गति अवरोधक बनाए जाएं जो वाहनों की सवारियों को शारीरिक क्षति नहीं पहुंचाएं। उन्होंने अभियंताओं को अपने-अपने जिलों में नॉन-पेचेबल सड़कों के प्रस्ताव शीघ्र भिजवाने के निर्देश दिए।
बैठक में सार्वजनिक निर्माण विभाग के प्रमुख शासन सचिव राजेश यादव ने प्रदेश में सड़कों की स्थिति को लेकर विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया। उन्होंने बताया कि गुणवत्ता के लिए सम्बन्धित अभियंताओं को नियमित निरीक्षण एवं परीक्षण के निर्देश दिए गए हैं। प्रत्येक शनिवार को अभियंताओं द्वारा विशेष अभियान के तहत कार्यों का निरीक्षण कर उनके फोटोग्राफ सहित रिपोर्ट मुख्यालय भिजवाया जाना शुरू कर दिया है।
बैठक में मुख्य सचिव निरंजन आर्य, प्रमुख शासन सचिव वित्त अखिल अरोरा, सार्वजनिक निर्माण विभाग के सचिव चिनहरि मीणा एवं विभाग के विभिन्न प्रकोष्ठों के मुख्य अभियंताओं सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।