दिल्ली पुलिस कमिश्नर बोले : सभी किसान नेता थे हिंसा में शामिल, पूर्व से ही मंशा खरब थी, भड़काऊ भाषण से हिंसा फैलाई

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सुभाष चन्द्र चौधरी

नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस कमिश्नर एस एन श्रीवास्तव ने आज प्रेस वार्ता में बताया कि गणतंत्र दिवस जैसे राष्ट्रीय महत्त्व के दिन किसान नेताओं ने सोची समझी रणनीति के तहत दिल्ली में हिंसा का माहौल बनाया. उनकी मंशा पहले से ही कानून व्यवस्था के लिए चुनौती खड़ी करने की थी. उन्होंने जानबूझकर दिल्ली पुलिस द्वारा निर्धारित रूटों का उल्लंघन किया. सद्दाम सिंह पन्नू और दर्शन पाल सिंह जैसे लोगों ने ट्रैक्टर मार्च के दौरान भड़काऊ भाषण दिए जिससे स्थिति बिगड़ी। उन्होंने कहा कि उपद्रवियों द्वारा किए गए हमले में दिल्ली पुलिस के 394 सिपाही व अधिकारी घायल हुए जबकि सैकड़ों की संख्या में पुलिस के वाहन और बसों को भारी नुकसान पहुंचाया गया. हिंसक भीड़ के सामने भी दिल्ली पुलिस ने संयम से काम लिया जिससे जनहानि से बचा जा सके।

पुलिस कमिश्नर ने जानकारी दी कि इस घटना को लेकर 25 मामले दर्ज किए गए हैं. हिंसा और तोड़फोड़ एवं पुलिस पर जानलेवा हमला को अंजाम देने वालों की पहचान की जा रही है. दिल्ली के अलग-अलग इलाके से सीसीटीवी फुटेज को खंगाल कर उपद्रवियों तक पहुंचने की पुलिस की कोशिश जारी है. उन्होंने कहा कि राजधानी में तांडव मचाने वाले को किसी भी कीमत पर कानून के हवाले किया जाएगा। इस जघन्य अपराध करने वाले किसी भी व्यक्ति को बक्शा नहीं जायेगा. जांच में जिनके नाम सामने आएंगे उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई होगी. उनका कहना था कि हिंसा के मामले में 19 उपद्रवियों को गिरफ्तार किया गया है जबकि 50 लोगों को डिटेन किया गया है। उनसे पुलिस पूछताछ कर रही है।

श्री श्रीवास्तव का कहना था कि दिल्ली पुलिस के जवानों ने संतुलित व्यवहार करते हुए अनियंत्रित और उपद्रवी भीड़ को तितर-बितर करने के लिए टियर गैस और हल्के बल का प्रयोग किया. उन्होंने कहा कि हिंसक भीड़ के नापाक मंसूबे को देखकर भी जनहानि से बचने के लिए पुलिस बल ने उकसावे वाली  कोई कार्रवाई नहीं की। पुलिस कमिश्नर ने किसान संगठनों के साथ ट्रैक्टर मार्च को लेकर आरंभ से अब तक की सारी स्थितियों का बिंदुवार खुलासा किया. उन्होंने कहा कि किसान संगठन, गणतंत्र दिवस 26 जनवरी के दिन ही ट्रैक्टर मार्च निकालने पर आमदा थे। दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने किसान संगठनों से पांच दौर की बैठकें की. उन्हें गणतंत्र दिवस के महत्व को समझाने की कोशिश की लेकिन वह अपनी बातों पर अड़े रहे।

श्री श्रीवास्तव ने बताया कि बातचीत के आधार पर अंततः दिल्ली पुलिस और किसान नेताओं के बीच ट्रैक्टर मार्च निकालने के लिए 3 खास रूट निर्धारित किए गए. इस पर सभी किसान संगठनों की सहमति थी। उनके अनुसार दिल्ली पुलिस की ओर से निर्धारित किए गए रूटों में से पहला सिंधु बॉर्डर से मुकरबा चौक होते हुए केएमपी पर जाकर वापस बॉर्डर पर लौटना था जो लगभग 63 किलोमीटर की दूरी थी. दूसरा रूट लगभग 74 किलोमीटर का था जिसमें टिकरी बॉर्डर से नांगलोई नजफगढ़ होते हुए केएमपी एक्सप्रेसवे से पुनः बॉर्डर पर वापस होना था. जबकि ट्रैक्टर मार्च के लिए तीसरा रास्ता लगभग 46 किलोमीटर का था जो गाजीपुर से रोड नंबर 66 और अप्सरा बॉर्डर होते हुए वापस फिर बॉर्डर पर आना निर्धारित था।

दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने स्पष्ट किया कि सभी किसान संगठनों के साथ एडिशनल पुलिस कमिश्नर की हुई बातचीत के दौरान यह तय किया गया था कि ट्रैक्टर मार्च से गणतंत्र दिवस के दिन राष्ट्रीय समारोह में किसी भी प्रकार का व्यवधान पैदा नहीं किया जाएगा. ट्रैक्टर मार्च के लिए अनुमति देने के क्रम में कुछ नियम व शर्तें निर्धारित की गई थी. इन नियमों और शर्तों के पालन को लेकर किसान संगठनों ने अपना हलफनामा भी दिल्ली पुलिस को सौपा था।

उनके अनुसार सभी किसान संगठनों को लिखित में अनुमति दी गई थी और तीनों ही रूटों की विस्तृत जानकारी भी दी गई थी. इसके अलावा ट्रैक्टर मार्च शुरू करने के लिए दोपहर 12:00 बजे का समय निर्धारित किया गया था. साथ ही किसान संगठनों को साफ तौर पर यह बता दिया गया था कि ट्रैक्टर मार्च की सबसे अग्रिम पंक्ति में किसानों के सीनियर लीडर होंगे जो मार्च को लीड करेंगे. साथ ही अपने जत्थे को भी नियंत्रित करने की जिम्मेदारी लेंगे। किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना की जिम्मेदारी भी उनकी थी.

पुलिस कमिश्नर के अनुसार लिखित अनुमति में यह भी कहा गया था कि सभी जत्थे के साथ किसानों की सीनियर लीडर मौजूद होंगे। उन्हें अनुमति में यहां तक कि ट्रैक्टर की संख्या भी 5000 तक सीमित रखने को कहा गया था. मार्च के दौरान किसी भी प्रकार के घातक हथियार लेकर चलने की अनुमति नहीं दी गई थी। सभी किसान नेताओं ने दिल्ली पुलिस को ट्रैक्टर मार्च को शांतिपूर्ण और निर्धारित रूटों पर ही आयोजित करने का आश्वासन दिया था।

पुलिस कमिश्नर श्रीवास्तव ने बताया कि किसान संगठनों ने पुलिस को नियमों के पालन करने को  आश्वस्त किया लेकिन उनकी मंशा आरंभ से ही बलवा पैदा करने की . दिल्ली में हुड़दंग और उपद्रव मचाने का था. इस बात के संकेत पहले से ही मिल रहे थे. इसलिए यह कहा जाना कि इसमें इंटेलिजेंस की विफलता है सरासर गलत है। उन्होंने कहा कि किसान नेताओं ने अंडरटेकिंग देने के बावजूद 25 जनवरी की शाम से ही अपने रंग बदलने शुरू कर दिए थे. उसी दिन शाम को ही संकेत मिलने लगे थे की किसानों के नेता वायदे से मुकर रहे हैं। 25 जनवरी की शाम को ही मंच पर उपद्रवियों ने कब्जा कर लिया था और मंच से उनके नेता भड़काऊ भाषण देने लगे थे. बावजूद इसके दिल्ली पुलिस के अधिकारी और कर्मचारी संयम बनाए रहे. उन्होंने ट्रैक्टर मार्च को शांतिपूर्ण तरीके से आयोजित करने में सहयोग का वादा निभाने की कोशिश की। पुलिस कमिश्नर का कहना था कि दूसरी तरफ किसान संगठनों की मंशा खराब थी और उन्होंने 26 जनवरी को सुबह 6:30 बजे से ही बॉर्डर पर बैरिकेडिंग तोड़ना शुरू कर दिया।

उन्होंने कहा कि गणतंत्र दिवस के दिन राष्ट्रीय समारोह दोपहर लगभग 12:00 बजे तक समाप्त होना था इसलिए किसानों को ट्रैक्टर मार्च के लिए 12:00 बजे के बाद का समय दिया गया था. जिससे इस अति महत्वपूर्ण समारोह में किसी भी प्रकार का व्यवधान नहीं पैदा हो. साथ ही दिल्ली की आम जनता को भी किसी तरह की असुविधा का सामना न करना पड़े इसका भी ख्याल रखते हुए ट्रैक्टर मार्च के लिए 3 रूट निर्धारित किए गए थे।

उन्होंने खुलासा किया कि 8:30 बजे गाजीपुर टिकरी बॉर्डर से भी किसानों ने पुलिस के मना करने के बावजूद बैरिकेडिंग तोड़कर आगे बढ़ना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि सद्दाम सिंह पन्नू ने मुकरबा चौक पर भड़काऊ भाषण दिया. इससे भीड़ अनियंत्रित हुई और वह हिंसक रूप में आ गई. प्रदर्शन में शामिल हजारों लोगों ने वहां से दाएं मुड़ने से मना कर दिया। वहीं बैठ गए जबकि दर्शन पाल सिंह भी वहां आ पहुंचे और उन्होंने भी भड़काऊ भाषण देकर लोगों को उपद्रव करने को उकसाया. उन्होंने भी वहां से निर्धारित रूट में जाने से मना किया. उन्होंने कहा कि इससे स्पष्ट है कि इन लोगों की मंशा पहले से ही कानून व्यवस्था बिगाड़ने की थी और उन्होंने जानबूझकर षड्यंत्र के तहत नियमों का उल्लंघन किया।

पुलिस कमिश्नर ने कहा कि उपद्रवियों ने हिंसक स्वरूप लेकर दिल्ली पुलिस पर हमला बोला जिसमें 394 पुलिसकर्मी घायल हुए . इनमें से कई की हालत गंभीर है और उन्हें आईसीयू में रखा गया है।

इन लोगों ने सरकारी संपत्ति को भी भारी नुकसान पहुंचाया जिनमें दिल्ली पुलिस की सैकड़ों गाड़ियां एंबुलेंस पीसीआर वैन भी शामिल है।

प्रेस वार्ता के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से 26 जनवरी को हुई हिंसक घटना का व्योरा वीडियो के माध्यम से विस्तार से रखा गया. इस दौरान किसान संगठनों के नेताओं द्वारा लोगों को उकसाने के लिए दिए गए भड़काऊ भाषण की वीडियो भी दिखाई गई। तथ्यों के आधार पर पुलिस कमिश्नर ने बल देते हुए कहा कि इस हिंसक घटना में सभी किसान संगठनों के नेता संलिप्त हैं।

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