नई दिल्ली। सहजन (वैज्ञानिक नाम मोरिंगा ओलीफेरा) के उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए, एपीडा ऐसी निजी इकाइयों को सहयोग दे रहा हैं, जो जरूरी सुविधाएं तैयार कर रही है। इसी का परिणाम है कि 29 दिसंबर 2020 को दो टन जैविक सहजन के पाउडर का निर्यात अमेरिका को हवाई मार्ग के जरिए किया गया है। इस मौके पर आयोजित कार्यक्रम को भारत सरकार के वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत आने वाले एपीडा के अध्यक्ष डॉ. एम.अंगामुथु ने हरी झंडी दिखाई।
एपीडा के तहत निर्यातक के रूप पंजीकृत तेलंगाना के मैसर्स मेडीकोंडा न्यूट्रीएंट्स ने एपीडा से मिले सहयोग के जरिए निर्यात का काम शुरू किया है। कंपनी ने करीब 240 हेक्टेअर क्षेत्र में सहजन के पौधो को लगाया है। इस खेत में कंपनी के स्वामित्व वाले खेत के साथ-साथ कांट्रैक्ट फॉर्मिंग (ठेके पर लिए गए खेत) के लिए ली गई जमीन शामिल है। कंपनी की योजना है कि वह करीब 40 मीट्रिक टन सहजन के पत्तों से बने पाउडर का निर्यात अमेरिका को करेगी। इसके लिए कंपनी ने तेलंगाना के पुलकल मोंडल संगारेड्डी जिले के गोंगलूर गांव में सहजन की प्रसंस्करण इकाई लगाई है। एपीडा सहजन का निर्यात करने वाले सभी निर्यातकों को लगातार सहयोग दे रहा है।
एपीडा के सहयोग से आने वाले समय में सहजन की प्रसंस्कृत इकाइयों को स्थापित किया जाएगा। इसके जरिए कुछ वर्षों में ही निर्यात में बढ़ोतरी होगी जिसका सीधा फायदा किसानों को मिलेगा।
सहजन का इस्तेमाल सैकड़ों वर्ष से उपचार और मानव शरीर को फायदा पहुंचाने वाले गुणों की वजह से किया जाता रहा है। इसी वजह से वैश्विक स्तर पर सहजन के उत्पादों की मांग बढ़ी है। इसके तहत सहजन की पत्तियों से बने पाउडर और सहजन के तेल की मांग में काफी बढ़ोतरी हुई है। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय संगठन और संस्थान भी सहजन के पोषक तत्व प्राप्त करने और फोर्टिफाइड भोजन बनाने के इस्तेमाल के रूप में भी संभावना तलाश रहे हैं। दुनिया भर में उपभोक्ता सहजन का इस्तेमाल दवाओं, पोषक तत्व और भोजन के लिए करते हैं।