नई दिल्ली : निर्वाचन आयोग ने उन राजनीतिक दलों के लिए नोटिस की अवधि 30 दिन से घटाकर 7 दिन करने की छूट दी है, जिन्होंने अपनी सार्वजनिक सूचना 07.10.2020 को या इससे पहले प्रकाशित करा दी है। जिन राजनीतिक दलों ने अपनी सार्वजनिक सूचना 07.10.2020 से पूर्व 7 दिन से कम अवधि में पहले ही प्रकाशित करा दी है, उन्हें शामिल करते हुए सभी राजनीतिक दलों की आपत्ति, यदि कोई है, उसे मूल रूप से उपलब्ध कराई गई 30 दिन की अवधि के अंतिम दिन तक या 10 अक्टूबर, 2020 को शाम 5.30 बजे तक, इनमें जो भी पहले हो, प्रस्तुत किया जा सकता है।
चूंकि निर्वाचन आयोग ने बिहार विधानसभा के आम चुनावों की घोषणा 25 सितंबर, 2020 को कर दी थी, इसलिए आयोग के ध्यान में लाया गया है कि कोविड -19 के कारण व्याप्त प्रतिबंधों से अव्यवस्था हुई और पंजीकरण के आवेदन जमा करने में देरी हुई। इस कारण एक राजनीतिक दल के रूप में पंजीकरण के कार्य में देरी हुई। इसलिए, इस मामले के सभी पहलुओं पर गौर करने के बाद आयोग ने सार्वजनिक सूचना समय अवधि में छूट दी है। यह छूट बिहार में विधानसभा के आम चुनाव में तीसरे चरण के लिए नामांकन की अंतिम तिथि यानी 20 अक्टूबर, 2020 तक लागू रहेगी।
यह स्मरणीय है कि राजनीतिक दलों का पंजीकरण जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 29ए के प्रावधानों के तहत नियंत्रित होता है। पंजीकरण के इच्छुक दल को उक्त धारा के तहत आयोग में पंजीकरण कराने के लिए भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29ए द्वारा प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए आयोग द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुसार अपने गठन की तिथि से लेकर 30 दिन की अवधि के अंदर आयोग के समक्ष अपना आवेदन प्रस्तुत करना होता है।
मौजूदा दिशा-निर्देशों के अनुसार, आवेदक संगठन को आयोग के समक्ष प्रस्तावित पंजीकरण के संबंध में ऐसे प्रकाशन के 30 दिन के अंदर अपनी आपत्ति, यदि कोई है, प्रस्तुत करने के लिए प्रस्तावित दल का नाम दो दिनों तक दो राष्ट्रीय दैनिक समाचार पत्रों और दो स्थानीय दैनिक समाचार पत्रों में प्रकाशित करने के लिए कहा जाता है। इस प्रकार प्रकाशित सूचना आयोग की वेबसाइट पर भी प्रदर्शित की जाती है।