नई दिल्ली। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के ई-संजीवानी ओपीडी प्लेटफॉर्म ने 3 लाख टेली-परामर्श सेवा को पूरा कर लिया है। इस ऐतिहासिक उपलब्धि को अपनी शुरूआत के बाद के छह महीने की एक छोटी सी अवधि के भीतर ही प्राप्त कर लिया गया है।
ई-संजीवनी ओपीडी सेवाओं ने कोविड-19 महामारी के दौरान, रोगी-से-डॉक्टर के बीच टेली-मेडिसिन को सक्षम बनाया है। इससे शारीरिक दूरी कायम रखने के माध्यम से कोविड-19 के प्रसार को नियंत्रित करने में सहायता मिली है और साथ ही इसने गैर-कोविड आवश्यक स्वास्थ्य देखभाल के प्रावधानों को भी सक्षम बनाया है। टेली-परामर्शों की उच्च संख्या नागरिकों के बीच इसकी लोकप्रियता का प्रमाण है।
1,29,801 डिजिटल बातचीत के साथ, तमिलनाडु द्वारा अब तक सबसे बड़ी संख्या में टेली-परामर्श सेवा प्राप्त की गई है। तमिलनाडु 9 अगस्त तक 32,035 ओपीडी परामर्श और उसी महीने की 19 तारीख तक 56,346 परामर्श दर्ज कराने के साथ अग्रणी स्थान पर रहा है। 8 सितंबर तक राज्य में लगभग एक लाख परामर्श (97,204) दर्ज किए जा चुके थे। इस प्लेटफॉर्म ने राज्य को एक आवश्यक स्वास्थ्य देखभाल सेवा प्रदान की है, जो कोविड-19 से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में से एक है, एक ऐसे विकट समय में जहां पर संक्रामक रोग की प्रकृति के कारण पारंपरिक चिकित्सा को जोखिमों से भरा हुआ माना जाता है।
तमिलनाडु के बाद उत्तर प्रदेश (96,151 परामर्श), केरल (32,921 परामर्श) और उत्तराखंड (10,391 परामर्श) राज्य आते हैं। इन चार राज्यों में कुल 2,69,264 टेली-परामर्श (कुल परामर्शों का 89.75 प्रतिशत) प्राप्त किए गए हैं।
गुजरात और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर को ई-संजीवानी ओपीडी और छत्तीसगढ़ को ई-संजीवानी (एबी-एचडब्ल्यूसी) में शामिल करने के साथ ई-संजीवनी का उपयोग करने वाले राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की कुल संख्या बढ़कर 26 हो गई है। लगभग 4,600 डॉक्टरों को ई-संजीवानी ओपडी के लिए प्रशिक्षित किया गया है और औसतन लगभग 6,000 से ज्यादा परामर्श/दिन ई-संजीवानी के राष्ट्रीय नेटवर्क में दर्ज किए जा रहे हैं।
ई-संजीवनी टेलीमेडिसिन प्लेटफ़ॉर्म को विशेष बनाने वाला महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इसके संचालन और प्रबंधन को बहुत ही व्यवस्थित रूप से आयोजित किया जा रहा है। राज्यों और कार्यान्वयन एजेंसी (सी-डैक मोहाली) के बीच एक नजदीकी और कुशल जुड़ाव स्थापित किया गया है। यह उपयोगकर्ताओं से त्वरित प्रतिक्रिया की प्राप्ति को सक्षम बनाता है जो कि कार्यान्वयन टीम को सर्वोत्तम उपाय करने में मदद करता है। इस प्रकार से, ई-संजीवानी न केवल अपनी दक्षता/उत्पादकता में लगातार वृद्धि कर रहा है बल्कि यह राज्यों में उपयोगकर्ताओं द्वारा अपेक्षित नई कार्यक्षमताओं और सुविधाओं के साथ भी समृद्ध हो रहा है।
ई-संजीवानी मंच ने दो प्रकार की टेली-मेडिसिन सेवाओं को सक्षम बनाया है। डॉक्टर-से-डॉक्टर (ई-संजीवानी) और रोगी-से-डॉक्टर (ई-संजीवानी ओपीडी) टेली-परामर्श सेवा। पहले को आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर (एबी-एचडब्ल्यूसी) के माध्यम से लागू किया जा रहा है। इसका उद्देश्य ‘हब एंड स्पोक’ मॉडल में चिन्हित किए गए मेडिकल कॉलेज अस्पतालों के साथ मिलकर सभी 1.5 लाख एचडब्ल्यूसी में टेली-परामर्श सेवा को लागू करना है।
राज्यों ने मेडिकल कॉलेजों और जिला अस्पतालों में समर्पित ‘हब’ की पहचान और स्थापना की है जिससे ‘स्पोक्स’ यानी एसएचसी, पीएचसी और एचडब्ल्यूसी को टेली-परामर्श सेवाएं प्रदान की जा सके।
स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा कोविड-19 महामारी के दौरान रोगी-से-डॉक्टर टेली-मेडिसिन को सक्षम बनाने के लिए अप्रैल, 2020 में दूसरी टेली-परामर्श सेवा ‘ई-संजीवानी ओपीडी’ की शुरूआत की गई। यह कोविड-19 के प्रसार को नियंत्रित करने की दिशा में एक वरदान साबित हुआ है, साथ ही यह गैर-कोविड आवश्यक स्वास्थ्य देखभाल के प्रावधानों को भी सक्षम बनाता है।