श्रमिक नेता कुलदीप जान्घू ने किसानों पर लाठीचार्ज मामले की सीबीआई जांच मांग की

Font Size

किसानों के समर्थन में श्रमिकों ने प्रदर्शन कर राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा

गुरुग्राम , 12 सितम्बर : किसानों पर किए गए लाठीचार्ज की पूरे प्रदेश में भर्त्सना हो रही है। इसी क्रम में श्रमिक नेताओं ने शनिवार को मिनी सचिवालय पर प्रदर्शन कर देश के राष्ट्रपति के नाम प्रशासनिक अधिकारी को ज्ञापन भी सौंपा। वरिष्ठ श्रमिक नेता कुलदीप जांघू का कहना है कि प्रदेश सरकार ने पीपली में तीनों कृषि अध्यादेशों के खिलाफ शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे किसानों, व्यापारियों व मजदूरों पर लाठीचार्ज करवा कर किसान विरोधी होने का स्पष्ट प्रमाण दिया है. भाजपा सरकार का यह दमनकारी कदम किसानों के देश के विकास में योगदान पर कुठाराघात है. इस घटना की सी बी आई जांच होनी चाहिए और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए .

श्रमिक नेता ने कहा कि सरकार ने एक तरफ लाठी चार्ज किया जबकि दूसरी तरफ उनके खिलाफ झूठे मुकदमे भी दर्ज कराये गए हैं। यह दबाव की राजनीति प्रदेश के लोगों को आंदोलित करने वाली है. श्री जान्घू ने कहा कि केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार किसानों की आमदनी दोगुनी करने का दंभ भरती रही है लेकिन अगर सरकारी अध्यादेश को लेकर किसानों को आपत्ति है तो उनकी बात सुनी जानीं चाहिए. केंद्र सरकार ने किसानों के मामले में तीन अध्यादेश लाने का जो निर्णय लिया उसमें किसानों का पक्ष जानने की कोशिश क्यों नहीं की ? सरकार एकतरफा निर्णय लेकर अपने निर्णय थोपती है जो अव्यावहारिक ही नहीं अलोकतांत्रिक भी है.

श्रमिक नेता कुलदीप जान्घू ने किसानों पर लाठीचार्ज मामले की सीबीआई जांच मांग की 2

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में शांतिपूर्ण तरीके से अपना पक्ष रखने का संवैधानिक अधिकार है लेकिन सरकारी तंत्र द्वारा जानबूझ कर उत्तेजक स्थिति पैदा कर सरकारी कार्रवाई करना सरकार की रणनीति का हिस्सा बन गया है. यह किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि सभी श्रमिक संगठन इसका विरोध करता है और किसानों की मांग का समर्थन करता है. देश की जीडीपी में सर्वाधिक योगदान देने वाले कृषकों के साथ हुए सौतेले व्यवहार जितनी निंदा की जाए कम है.

श्रमिक नेताओं द्वारा सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया है कि अपनी जायज मांगों के लिए संघर्ष कर रहे किसानों पर इस दमनात्मक कार्रवाई की कड़े शब्दों में निंदा की जाती है। ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि मोदी सरकार द्वारा आपदा को अवसर में बदलने की राजनीति के तहत लॉकडाउन के दौरान किसान विरोधी अध्यादेश को लाया गया ताकि कोई विरोध न कर सके. अब जब किसानों का विरोध सड़कों पर फूटने लगा है तो सरकारें दमन पर उतारू है, जो बेहद शर्मनाक है।

श्रमिक नेताओं ने ज्ञापन में कहा कि केंद्र सरकार द्वारा उदारीकरण की जनविरोधी नीतियों को तेजी से आगे बढ़ाते हुए किसान विरोधी अध्यादेशों को लाने का कदम उठाया गया. उदारीकरण के पिछले करीब 30 सालों में देश की खेती देशी -विदेशी पूंजी की चरागाह में तब्दील होती गई. छोटे मझोले किसानों के लिए खेती घाटे का सौदा बनती जा रही है. कर्ज के जाल में फस कर आत्महत्या करते किसानों की घटनाएं उदारीकरण के दौर की ही देन है।

श्रमिक नेताओं ने यह भी कहा कि मौजूदा अध्यादेश छोटे और मझोले किसानों को बर्बादी की ओर बढ़ाएंगे। यह अध्यादेश पूंजीवादी फार्मरों एवं कारपोरेट पूंजी पतियों के हितों को बढ़ावा देने वाले साबित होंगे।

ज्ञापन में यह भी कहा कि केंद्र सरकार उदारीकरण निजीकरण वैश्वीकरण की जनविरोधी नीतियों को तेजी से आगे बढ़ाते हुए मजदूर मेहनतकश जनता पर एक के बाद एक हमले बोल रही है. एक तरफ रेलवे समेत तमाम सार्वजनिक संस्थानों के निजीकरण की मुहिम तेज हो गई है तो दूसरी तरफ श्रम कानूनों में एक व्यापक मजदूर विरोधी बदलाव लाकर उन्हें पूरी तरह बेअसर बनाया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान एक के बाद एक राज्य सरकारों ने श्रम कानूनों को निलंबित ही कर दिया है. भाजपा शासित राज्य इसमें सबसे आगे है।

ज्ञापन के माध्यम से श्रमिक नेताओं ने पांच प्रमुख मांगे राष्ट्रपति के समक्ष रखी हैं. इनमें किसान विरोधी अध्यादेशों को तत्काल वापस लेने , उदारीकरण निजीकरण की जनविरोधी नीतियों को रद्द करने, केंद्र सरकार द्वारा आपदा को अवसर में बदलने की घृणित राजनीति कर मजदूर मेहनतकश जनता पर किए जा रहे हमलों पर रोक लगाने , किसानों पर लाठीचार्ज के दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने और किसानों पर लगाए गए झूठे मुकदमे को तत्काल रद्द करने की मांग शामिल है।

उन्होंने मांग की है कि इस निंदनीय घटना की सीबीआई जांच होनी चाहिए और दोषी पाए गए अधिकारियों व कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई भी की जानी चाहिए। श्रमिक नेताओं अतुल कुमार, अजीत सिंह आदि का कहना है कि प्रदेश के गृहमंत्री अनिल विज बयान दे रहे हैं कि पुलिस ने कोई लाठीचार्ज नहीं किया, जबकि स्थिति सभी के सामने स्पष्ट है। प्रदर्शन करने वालों में श्रमिक नेता महिंद्र कपूर, सुरेंद्र जांगड़ा, प्रवीण, अजीत हुड्डा, महेश मान, दीपक, पवन, प्रेम सागर, बबीता, अरविंद, रणवीर, महेश जांघू आदि शामिल रहे।

You cannot copy content of this page