नयी दिल्ली, 17 अगस्त। दिल्ली की एक अदालत ने उस व्यक्ति को बरी कर दिया है जिस पर आरोप था कि उसने अपनी चाय की दुकान पर एक बच्चे को काम पर रखा था। अदालत ने उक्त व्यक्ति को इस संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया कि कथित पीड़ित की आयु 14 वर्ष से अधिक हो सकती है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने कहा कि मामले में गठित एक मेडिकल बोर्ड के अनुसार बच्चे की आयु 13 वर्ष से अधिक और 15 वर्ष से कम है।
बाल श्रम (निषेध एवं नियमन) कानून के अनुसार किसी भी प्रतिष्ठान में बाल मजदूरी पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है, चाहे वह जोखिम वाला हो या नहीं।
इस कानून के तहत अधिकतम सजा दो वर्ष की है।
न्यायाधीश ने गत 11 अगस्त को पारित आदेश में कहा, ‘‘मैंने पाया कि चूंकि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में विफल रहा है कि मुक्त कराये जाने के समय, पीड़ित की आयु 14 वर्ष से कम थी, लाभ आरोपी को मिलेगा..।’’
अभियोजन पक्ष के अनुसार, बच्चा सितंबर 2011 में एक छापे के दौरान मिला था और आरोपी सतीश को गिरफ्तार किया गया था।
पुलिस ने यह भी पाया था कि लड़का उत्तरी दिल्ली के किंग्सवे कैंप में उस स्टाल पर काम कर रहा था, जो सुबह 8 बजे से सुबह 11.00 बजे तक चलता था और उसे उसके काम के लिए कोई वेतन नहीं दिया गया था।
आरोपी को मामले की सुनवायी के दौरान जमानत मिल गई थी।
आरोपी पर मामला चलाया गया और अगस्त 2018 में एक मजिस्ट्रेट अदालत ने उसे तीन महीने के लिए साधारण कारावास की सजा दी। इसके बाद, आरोपी ने सत्र अदालत में फैसले को चुनौती दी।
अभियोजन पक्ष के अन्य आरोपों को खारिज करते हुए, अदालत ने कहा कि केवल इसलिए कि एक गैस स्टोव का उपयोग किया जा रहा था, यह नहीं कहा जा सकता है कि आरोपी ने पीड़ित को एक ऐसी स्थिति में डाला जिससे उसे शारीरिक पीड़ा होने की आशंका थी।
शोषण के पहलू पर, अदालत ने उल्लेखित किया कि पीड़ित ने खुद यह बताया था कि आरोपी उसे प्रति माह 140 रुपये का भुगतान करता था और उसने काम के लिए उचित घंटे तय किए थे।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘आरोपी को उसके खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों से बरी किया जाता है।’’