गुरुग्राम में प्रदूषण के स्तर की जानकारी पहले की अपेक्षा और अधिक सटीक मिलेगी

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-2.5 से लेकर 10 पीएम लेवल की जानकारी देने वाले आधुनिक उपकरण लगाए गए हैं

गुरुग्राम 22 जुलाई । गुरूग्राम जिला में प्रदूषण के स्तर की जानकारी पहले की अपेक्षा और अधिक सटीक मिल सकेगी। इसके लिए हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जिला में दो स्थानों पर 10 पीएम लेवल तक जानकारी देने वाले नए आधुनिक उपकरण लगाए गए हैं। ये उपकरण सैक्टर-51 स्थित गुरूग्राम विश्वविद्यालय परिसर तथा टेरी ग्राम संस्थान में लगाए गए हैं।


इस बारे में जानकारी देते हुए उपायुक्त अमित खत्री ने बताया कि जिला में प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करने के लिए जरूरी है कि जिला प्रशासन को इसके बारे में सही और सटीक जानकारी मिले ताकि उसी अनुरूप कार्य योजना तैयार की जा सके। उन्होंने बताया कि जिला में पहले 2.5 पीएम लेवल तक की जानकारी देने वाली एंबिएंट एयरक्वालिटी मशीनें लगी हुई थी, लेकिन अब 10 पीएम लेवल तक की जानकारी देने वाले नए आधुनिक उपकरण लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि जिला में अक्सर सितंबर महीने में प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है जिससे सांस की बीमारियों सहित अन्य गंभीर बिमारियों का खतरा बना रहता है। इससे ज्यादा खतरा बच्चों , बुजुर्गाें तथा अन्य गंभीर बिमारियों से पीड़ित व्यक्तियों को होता है।


उपायुक्त अमित खत्री ने बताया कि प्रदूषण लेवल की मॉनिटरिंग सही समय पर की जा सके और समय रहते आवश्यक कदम उठाए जा सके, इसके लिए शहर के विभिन्न स्थानों पर एंबिएंट एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग सिस्टम लगे हुए हैं, जिनसे लगातार प्रदूषण के स्तर की मोनिटरिंग की जाती है। ये सिस्टम विकास सदन ,गुरुग्राम यूनिवर्सिटी, टेरी ग्राम ग्वालपहाड़ी , एचएसआईआईडीसी मानेसर में लगे हुए है। गुरूग्राम विश्वविद्यालय तथा टेरी संस्थान में 10 पीएम क्षमता तक के नए आधुनिक उपकरण लगाए गए हैं जबकि विकास सदन तथा एचएसआईआईडीसी मानेसर में 2.5 पीएम क्षमता वाले उपकरण पहले से लगे हुए हैं।


श्री खत्री ने बताया कि पीएम 2.5 का आकार 2.5 माइक्रोमीटर से कम होता है और यह आसानी से सांस के साथ शरीर के अंदर जाकर गले में खराश, फेफड़ों को नुकसान, जकड़न जैसी बीमारी पैदा कर सकते हैं। पीएम 10 रिसपाइरेबल पर्टिकुलेट मैटर का आकार 10 माइक्रोमीटर से कम होता है। इस तरह का प्रदूषण शरीर के लिए बेहद खतरनाक है और यह शरीर के अंदर पहुंचकर बहुत सारी बीमारियां फैलाते है।


उन्होंने बताया कि पीएम 2.5 के तहत वाहनों से निकलने वाला धुंआ, हवा में मौजूद धूल आदि को मॉनिटर किया जाता है , वहीं पीएम 10 को रेस्पायरेबल पर्टिकुलेट मैटर कहा जाता है और इसमें धूल, गर्द और धातु के सूक्ष्म कण मिले होते हैं जोकि स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक हानिकारक होते हैं।


उन्होंने बताया हालांकि मानूसन में जिला में प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए नियमित पौधारोपण अभियान चलाया जा रहा है और इस वर्ष 7 लाख से अधिक पौधे लगाए जाने की योजना है। इस कार्य में जिला की अन्य स्वयंसेवी संस्थाओं तथा आरडब्ल्यूए संस्थाओं का सहयोग लिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जिला में प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए जरूरी है कि पौधारोपण किया जाए।

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