न्यू पालम विहार के डी-ब्लॉक में तैनात पुलिस की कारिशतानी
गुरुग्राम। गुड़गांव पुलिस सेवा सुरक्षा सहयोग का दम भरती है, लेकिन कोरोना काल में पुलिस कर्मियों की दादागिरी इतनी बढ़ गई है कि उन्हें एसडीएम द्वारा जारी कर्फ्यू पास भी कागज का टुकड़ा नजर आने लगा है। एसडीएम के आदेशों की धज्जियां न्यू पालम विहार के डी ब्लॉक में बनाए गए कंटेनमेंट जोन में उड़ाई जा रही है। एक हेड कांस्टेबल को पहले पास दिखाया और फिर पास नहीं मानने की बात कही तो उनसे काफी विनम्रता से प्रार्थना की, इसके बाद भी वह नहीं माना और दवाई लेने के लिए एक व्यक्ति को नहीं जाने दिया। खबर तो यहां तक है कि न्यू पालम विहार सहित कई कंटेनमेंट जोन में तैनात पुलिसकर्मी अब सरकारी मान्यता प्राप्त वरिष्ठ पत्रकारों के साथ भी बदतमीजी पर उतर आए हैं। यहां तक कि वरिष्ठ अधिकारियों से शिकायत करने के बावजूद व्यवस्था में सुधार देखने को नहीं मिला। इस मामले को गुरुग्राम के एसडीएम ने गंभीरता से लिया है और इसकी जांच कराने को कहां है।
एसडीएम के आदेशों को हवा में उड़ा रहे हैं पुलिस कर्मी
उल्लेखनीय है कि गुरुग्राम अब से एक सप्ताह पहले तक कंटेनमेंट जोन मैनेजमेंट की दृष्टि से भगवान भरोसे था । जिला उपायुक्त की ओर से कंटेनमेंट जोन घोषित तो कर दिए जाते थे लेकिन वहां पुलिसकर्मी नदारद होते थे । उन गलियों या कालोनियों की आवाजाही मॉनिटर नहीं की जाती थी । यहां तक की कंटेनमेंट जोन में संक्रमित पाए गए व्यक्ति या परिवारों के सदस्य खुलेआम घूमते रहते थे और यही कारण रहा कि इस शहर में संक्रमण तेज गति से फैलता रहा । पुलिस ने जिला प्रशासन का सहयोग नहीं किया और कंटेनमेंट जोन को लेकर केंद्र सरकार , केंद्रीय गृह मंत्रालय , केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से जो आदेश जारी किए गए थे उसका पालन नहीं किया गया। हालत यहां तक पहुंची की गुरुग्राम में 67 कोरोना संक्रमित मरीज गायब हो गए और यहां की पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रही जबकि इसके लिए केवल स्वास्थ्य विभाग को जिम्मेदार ठहराया गया। जाहिर है गुरुग्राम आज तेज बढ़ते हुए संक्रमण वाले शहर में अगर शामिल हुआ तो इसकी पूरी जिम्मेदारी पुलिस की है जिन्होंने कंटेनमेंट जोन पर 24 घंटे निगरानी नहीं की लेकिन अब जब कई गलियों एवं कॉलोनियों में कोरोना वायरस पॉजिटिव व्यक्ति पूर्णता ठीक हो चुके हैं और नए के नहीं मिल रहे हैं तब भी अपनी उपस्थिति नाहक दर्ज करा कर पिछले एक माह में बढ़ती गई गैर जिम्मेदारी को ढकने की कोशिश में लगी हुई है।
गत 10 जून को गुरुग्राम डिवीजन के डिविजनल कमिश्नर अशोक सांगवान ने जब स्वास्थ्य विभाग और पुलिस के अधिकारियों की बैठक के दौरान जमकर फटकार लगाई तब जाकर पुलिस सक्रिय हुई। गुरुग्राम कि मीडिया ने लगातार पुलिस की ओर से बढ़ती जा रही इस खामी को उजागर किया। लेकिन कंटेनमेंट जोन के लिए नियुक्त किए गए पुलिसकर्मी नदारद रहे। सूत्रों का कहना है कि अभी तक जिस पुलिस के कंधे पर उन 67 संक्रमित मरीजों को ढूंढने की जिम्मेदारी दी गई है इस मामले में पुलिस मौन है।
केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा निर्धारित जिम्मेदारियों को निभाने में नाकाम रही गुरुग्राम पुलिस अब मीडिया पर अपनी खीझ उतारने लगी है। पिछले दिनों चंडीगढ़ मुख्यालय से गुरुग्राम में 2 दिन के प्रवास पर आए एडिशनल चीफ सेक्रेटरी विजय वर्धन ने पुलिसकर्मियों को कंटेनमेंट जोन में 24 घंटे ड्यूटी देने का निर्देश दिया था तब जाकर पुलिसकर्मी सक्रिय हुए और अब ऐसी गलियों को भी ताला ठोकर बैठे हैं जहां संक्रमण नहीं है और कंटेनमेंट जोन की निर्धारित की गई अवधि पूरी कर चुके हैं।
कहा जा रहा है कि आज से एक माह पहले जिन गलियों को या कालोनियों को कंटेनमेंट जोन घोषित किया गया था उन्हें उस सूची से बाहर नहीं किया गया। बावजूद इसके कि उन गलियों और कालोनियों में अब संक्रमित मरीज नहीं है और कंटेनमेंट जोन की निर्धारित अवधि पूरी हो चुकी है। फिर भी उन गलियों के लोगों को अपनी सामान्य गतिविधियां संचालित करने में बाधाएं आ रही हैं।
ऐसी ही एक गली डी ब्लॉक न्यू पालम विहार का है जहां लगभग एक माह पहले संक्रमित मरीज पाए गए थे । लेकिन वह सभी अस्पताल में भर्ती होकर वापस अपने घर आ चुके हैं और कंटेनमेंट की अवधि पूरी हो चुकी है। बावजूद इसके गुरुग्राम पुलिस वहां अब सांप बिल में घुस जाने के बाद लाठी पीटने पहुंची है और बढ़ते तापमान में उनका दिमाग इतना गरम हो गया है कि वह जिला प्रशासन की दी हुई व्यवस्था को भी मानने से इंकार कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार यहां तक कि गुरुग्राम जिला प्रशासन ने भी अपने सभी आदेशों में बारंबार यह स्पष्ट किया है कि लॉकडाउन के दौरान या फिर कंटेनमेंट जोन में भी मीडिया की आवाजाही पर प्रतिबंध नहीं लगेगा। लेकिन गुरुग्राम पुलिस के कुछ पुलिसकर्मी इन नियमों से या तो वाकिफ नहीं है या फिर जानबूझकर लोगों को परेशान कर रहे हैं।
बताया जाता है कि कुछ दिन पहले न्यू पालम विहार के कंटेनमेंट जोन को लेकर आई शिकायत के आधार पर संबंधित नोडल अधिकारी ने वहां का दौरा किया और स्थिति का जायजा लिया था। नोडल अधिकारी ने मौके पर पहुंचकर इस बात को स्वीकार किया था कि कुछ गलियां कंटेनमेंट जोन की सूची से बाहर कर देनी चाहिए थी क्योंकि उनकी अवधि पूरी हो चुकी है और वहां कोई नए संक्रमित मरीज नहीं पाए गए हैं। इसलिए वहां प्रतिबंध लगाए रखना व्यावहारिक नहीं है। इसको लेकर उक्त नोडल अधिकारी ने लोगों को आश्वस्त किया था कि वह तत्काल इस मामले को स्वास्थ विभाग और प्रशासन के साथ उठाएंगे और इसको रिवाइज्ड कराएंगे। लेकिन दुर्भाग्यवश स्थिति पूर्ववत बनी हुई है और लोग पुलिस की ज्यादती से परेशान है।
इस संबंध में पीड़ित का कहना है कि उन्होंने इस संबंध में डीसीपी वेस्ट व उद्योग विहार एसीपी को भी मौखिक शिकायत की। इसके बाद भी हेडकांस्टेबल ने अपनी दादागिरी नहीं छोड़ी और उन्होंने लोगों को यहां तक कि दवाई लेने के लिए नहीं जाने दिया। ध्यान रहे केंद्र सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन और राज्य सरकार की गाइड लाइन में भी बारंबार स्पष्ट किया गया है कि कंटेनमेंट जोन में भी आवश्यक सेवा प्रतिबंधित नहीं रहेगी और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के लिए किसी भी व्यक्ति को आने जाने में कोई कठिनाई नहीं होगी। लेकिन यहां तो जिला प्रशासन द्वारा जारी अनुमति पत्र को भी पुलिसकर्मी कागज का टुकड़ा मानकर नकार रहे हैं। लोग इस उम्मीद में बैठे हैं कि जिला प्रशासन और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी इस अव्यवस्था का तत्काल संज्ञान लेंगे और ऐसी पुलिसकर्मी के खिलाफ कार्रवाई करते हुए व्यवस्था में सुधार की ओर कदम उठाएंगे।
न्यू पालम विहार के डी ब्लॉक में पांच दिन पहले जिला प्रशासन की अनदेखी के कारण एक बार फिर कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया गया था। हालांकि इस संबंध में नोडल ऑफिसर दौरा भी कर चुका है लेकिन तीन दिन बाद भी कंटेनमेंट जोन को नहीं हटाया गया है। ऐसे में आम लोग परेशान हैं।
खासकर पुलिस सेवा सुरक्षा की बात करती है, लेकिन लोगों के साथ इस तरह का बर्ताव करना कहां की इन्सानियत है। इस संबंध में पीड़ित इतना परेशान है कि उसे दवाई लेने के लिए कई घंटे तक इंतजार करना पड़ा। वहीं पुलिस अधिकारियों का कहना है कि कंटेनमेंट जोन में कुछ बंदिशें होती हैं, लेकिन एसडीएम द्वारा जारी पास का सम्मान करना चाहिए।
क्या कहते हैं एसडीएम ?
वहीं एसडीएम हितेन्द्र शर्मा का कहना कि यदि कोई पुलिस कर्मी पास को नहीं मानता है तो उनके खिलाफ कार्रवाई बनती है। वे इस संबंध में जांच कर रहे हैं। यदि शिकायत सही पाई गई तो वे पुलिस कर्मी पर कार्रवाई के लिए पुलिस कमिश्नर को शिकायत देंगे।