गुरूग्राम में प्रशासन के असमंजस के कारण 500 जिम व फिटनेस क्लब हैं बंद : जिम संचालकों ने सरकार से अनुमति देने की मांग की

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जिम के रेंट , बैंक कर्ज व सरकारी टैक्स एवं ट्रेनर के वेतन के बढ़ते बोझ से कराहने लगे फिटनेस सेंटर संचालक

इससे जुड़े हजारों लोगों के सब्र का पैमाना अब छलकने लगा

सैकड़ों युवा व प्रोफेशनल्स सड़कों पर उतरने को हैं आमादा 

कोरोना को हराने के लिए “शारीरिक दूरी और और शारीरिक मजबूती” दोनों बता रहे हैं जरूरी

मधुशाला और व्यायामशाला के बीच पक्षपातपूर्ण अंतर करने का लगा रहे हैं आरोप 

सुभाष चन्द्र  चौधरी

गुरूग्राम। अनलॉक-1 में मार्केट-दुकानें खुल गई हैं। 8 जून के बाद मंदिर, पूजा स्थल, रेस्टोरेंट आदि भी खुलने पर विचार चल रहा है जिसको लेकर सोमवार को प्रशासन की ओर से आदेश जारी किया जा सकता है, लेकिन स्वास्थ्य की दृष्टि से आवश्यक फिटनेस इंडस्ट्री को लेकर अभी भी संशय बरकरार है और इससे जुड़े हजारों लोगों के सब्र का पैमाना अब छलकने लगा है. मामले पर प्रशासन को जगाने के लिए जिम के व्यवसाय से जुड़े और नियमित व्यायाम के लिए जिम जाने वाले सैकड़ों युवा व प्रोफेशनल्स सड़कों पर उतरने को आमादा हैं. अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग व शरीर से प्यार करने वाले लोग अब जिम को खोलने की अनुमति देने की जोरदार मांग करने लगे हैं. अधिकतर लोग इम्यूनिटी बढाने के लिए इसे खोलना समय की मांग बता रहे हैं. हरियाणा सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग तेज हो चली है.एक दिन पूर्व सैकड़ों जिम संचालकों ने गुरुग्राम में बैठक कर सरकार के समक्ष अपनी बात मजबूती से रखने का निर्णय लिया.  

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 उल्लेखनीय है कि देशव्यापी लॉक डाउन लागू होने के साथ ही गुरुग्राम सहित हरियाणा के सभी जिले में शहरों व ग्रामीण क्षेत्रों में फिटनेस इंडस्ट्री पर पिछले ढाई महीने से ताले लटके हुए हैं। केंद्र सरकार की ओर से लॉक डाउन के दूसरे चरण से ही कुछ ख़ास व्यवसायों व उद्योगों को रोजगार की दृष्टि से राहत देने जाने लगी. धीरे धीरे परिवहन, टेक्सी, ऑटो, दुकानें और अन्य प्रोफेसन को भी चरणबद्ध तरीके से संचालित करने की अनुमति दी जाने लगी. यहाँ तक कि बेहद भीडभाड वाले बाजार, सदर बाजार को भी खोल दिया गया. लेकिन केंद्र सरकार की गाइड लाइन आने के बावजूद फिटनेस इंडस्ट्री को इस छूट से दूर रखा गया. कोरोना काल से पहले तक गुरुग्राम जैसे अंतर्राष्ट्रीय शहर में यह व्यवसाय काफी फलफूल रहा था. हजारों फिटनेस ट्रेनर के लिए रोजगार सृजन का यह प्रमुख केंद्र बन गया था. लेकिन दो माह से अधिक समय से बेरोजगारी का आलम छा गया. दूसरी तरफ फिटनेस सेंटर संचालक, रेंट , बैंक कर्ज व सरकारी टैक्स के बढ़ते बोझ तले दब कर कराहने लगे हैं. स्वास्थ्य की दृष्टि से लाखों लोगों के जीवन का अहम हिस्सा बने फिटनेस इंडस्ट्री की और प्रशासन का ध्यान नहीं गया है. गुरूग्राम में करीब 500 जिम और फिटनेस क्लब है जो लॉकडाउन के समय से ही बंद पड़े हैं। गुरुग्राम जैसे शहर का शायद ही कोई ऐसा सेक्टर या आवासीय कॉलोनी हूं जहां जिम या फिटनेस क्लब नहीं हैं.  यह अलग बात है कि लोकेलिटी के हिसाब से जिम या फिटनेस सेंटर की सुविधाओं और उनकी फीस में अंतर है. लेकिन विश्लेषण से यह स्पष्ट होता है कि आज हर वर्ग जाति एवं समुदाय के   अधिकतर युवा अपने पॉकेट की क्षमता के अनुसार  जिम अवश्य जाते हैं.  लंबे समय से लॉक डाउन में रहना अब युवा वर्ग के लिए असहनीय होता जा रहा है क्योंकि उनके इलाके की जिम बंद पड़े हैं. 

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खबर है कि पिछले दिनों गुरुग्राम के डिविजनल कमिश्नर अशोक सांगवान की अध्यक्षता में हुई बैठक में धार्मिक स्थलों व माल्स के प्रतिनिधियों को विचार विमर्श के लिए बुलाया गया लेकिन फिटनेस सेंटर या जिम संचालकों से बात नहीं की गई. ऐसे में इनके पास सड़कों पर उतरने के अलावा कोई विकल्प नहीं रह गया है. इस मामले को लेकर आज गुरुग्राम में जिम और फिटनेस क्लब के मालिकों ने शनिवार को न्यू कॉलोनी में बैठक की और एक स्वर से सरकार से जिम के लिए गाइडलाइन जारी कर व्यवसाय चलाने की इजाजत देने की मांग की. जिम संचालक मानते हैं कि आज कोरोना को हराने के लिए “शारीरिक दूरी और और शारीरिक मजबूती” दोनों जरूरी है। इसलिए जिम और पार्क खोले जाने चाहिए । 

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डीएलऍफ़ स्थित रेवोलुशन फिटनेस जिम के  संचालक मनजीत ठाकरान का कहना है कि सामान्यतया एक जिम में लगभग 20 से 25 लाख रुपये का निवेश करना पड़ता है. अधिकतर जिम किराए के भवन में चल रहे हैं. न्यूनतम एक हजार स्क्व्यायर फिट जगह की आवश्यकता के लिए रेंट भी महंगा होता है जबकि जीएसटी , बिजली के बिल और सहित अन्य ऑपरेशनल खर्च का वहन करना बेहद महंगा सौदा बन गया है. सरकार की नियम कानून इतने सकते हैं कि फिटनेस सेंटर चलाने के लिए आवश्यक रूप से इसे पंजीकृत भी कहना पड़ता है. ऐसे में देशव्यापी लॉक डाउन के कारण पिछले 2 माह से भी अधिक समय से सभी फिटनेस सेंटर बंद पड़े हैं और अब  बरसेआर्थिक बोझ से  परेशान हैं जबकि ग्राहकों की ओर से भी भारी दबाव झेलना पड़ रहा है.  उन्होंने दावा किया कि जिम में आने वाले युवक और युवतियों की संख्या 80% से भी अधिक है जबकि 20% आदेश उम्र के पुरुष और महिलाएं भी अपने फिटनेस के लिए ज्वाइन करते हैं. उनका कहना है कि केंद्र सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन के बाद लोगों में उम्मीद जगी थी कि अब जिम भी खोल दिए जाएंगे लेकिन प्रशासन की ओर से अब तक कोई संकेत नहीं दिया जाना लोगों के लिए निराशाजनक है. 

 

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उन्होंने कहा कि अब लोग लगातार फोन पर इंक्वायरी करते रहते हैं  क्योंकि कोविड-19 संक्रमण से लड़ने के लिए आज लोगों में अपनी शारीरिक क्षमता को और मजबूत करने की आवश्यकता महसूस हो रही है. आज यह समय की मांग बन चुकी है जबकि रोजगार की दृष्टि से भी यह बहुत सफल व्यवसाय बन गया है.  उनके अनुसार एक अच्छे फिटनेस सेंटर में दो शिफ्ट चलाने के लिए कम से कम 20 ट्रेनर और अन्य स्टाफ सहित 40 से 50 लोगों को रोजगार मिलते हैं.  इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि फिटनेस सेंटर बंद होने के कारण आज गुरुग्राम सहित हरियाणा के सभी शहरों में कितने लोग बेरोजगार हो चुके हैं. उनका कहना है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार रोजगार देने वाले सभी प्रकार के उद्योग व व्यवसाय को आर्थिक पैकेज में राहत दे रही है लेकिन इस फिटनेस इंडस्ट्री के लिए अब तक किसी प्रकार की कोई घोषणा नहीं की गई है.  उनकी मांग है कि इस क्षेत्र की रोजगार सृजन की क्षमता को बनाए रखने की दृष्टि से हरियाणा सरकार को पिछले 3 माह के बिजली के बिल जीएसटी  और बैंक ऋण मैं राहत देने की घोषणा करनी चाहिए. 

 

जिम संचालक विजय कुमार ने बताया कि जिम नहीं खुलने से जिम संचालक और उनके स्टाफ पूरी तरह से बेरोजगार हो गए हैं। दूसरी ओर जिम नहीं खुलने से जिम का किराया और स्टाफ का वेतन नहीं दे पा रहे हैं। उनके अनुसार कई बड़े शहरों में अब जिम व फिटनेस संचालक सरकार के सामने अपनी मांगें रखने को एकत्रित होने लगे हैं। विजय  का कहना है कि इस संबंध में सरकार को एक ज्ञापन भी दिया जाएगा। 

 

विजय कुमार ने बताया कि एक ओर सरकार फिट इंडिया का नारा देती है वहीं दूसरी ओर जिम और फिटनेस क्लब को खोलने पर पाबंदी लगाई हुई है। उन्होंने सवाल किया कि जब शराब की दुकानें खुल सकती है जो सेहत के लिए ठीक नहीं है तब जिम और फिटनेस क्लब क्यों नहीं खोले जा सकते ? उन्होंने बताया कि जिम में एक बार में 15 से 20 लोगों का ही बैच चलाया जाता है और सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ख्याल रखा जाता है, बावजूद इसके सरकार इसे खोलने की अनुमति नहीं दे रही है। 

 

अधिकतर जिम संचालकों का कहना है कि जिस सोशल डिस्टेंसिंग की बात आज कोविड-19 संक्रमण की खतरे के बाद केंद्र सरकार और राज्य सरकार कर रही है उसको लेकर जिम और फिटनेस सेंट्रल पहले से ही हमेशा सतर्क रहे हैं.  यहां वही व्यक्ति आते हैं जो अपने स्वास्थ्य और शरीर के प्रति सजग और संवेदनशील होते हैं.  उन्हें इस बात का पूरा पूरा ख्याल होता है कि अगर थोड़ी सी भी गलती हुई तो उनके शरीर को या किसी अंग को नुकसान पहुंच सकता है.  दूसरी तरफ यहां हमेशा सफाई और सैनिटाइजेशन की व्यवस्था होती है. एक अन्य जिम संचालक अभिन्न का कहना है कि जैसे अन्य औद्योगिक एवं व्यावसायिक प्रतिष्ठानों तथा सरकारी संस्थानों के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा गाइडलाइन जारी की गई है उसी तरह जिम और फिटनेस सेंटर्स के लिए भी गाइडलाइन जारी करनी चाहिए.   उसे सभी फिटनेस सेंटर आगे भरकर गंभीरता के साथ अपनाएंगे.  यहां तक कि जिम में आने वाले लोगों के बीच में निश्चित समय अंतराल भी रखा जाएगा और उनके आने एवं जाने की समय की दृष्टि से ऑनलाइन व्यवस्था भी की जाएगी.  इससे सोशल डिस्टेंसिंग का पूर्णता पालन करना संभव होगा क्योंकि यहां इंस्टॉल की गई सभी एक्सरसाइज की मशीनें डिसइन्फेक्शन किए जाएंगे और ग्राहकों के हैंड सैनिटाइजर की मुकम्मल व्यवस्था प्रशिक्षित ट्रेनर के द्वारा सुनिश्चित की जाएगी

 

 पिछले 2 माह से भी अधिक समय से जिम  की सुविधा से वंचित रहने वाले गुरुग्राम जिला बार एसोसिएशन के पूर्व सचिव एडवोकेट हेमंत का कहना है कि आज गुरुग्राम के लोगों को यहां बढ़ते कोविड-19 के संक्रमण से बचने के लिए स्वयं की इम्यूनिटी मजबूत करने की आवश्यकता है.  उनका सुझाव है कि सरकार को इस सुविधा को भी आवश्यक आवश्यकता की श्रेणी में रखना चाहिए क्योंकि  स्वयं को स्वस्थ  और फिट रखना  किसी भी संक्रमण से बचने का सबसे सती उपाय है. उनका कहना है कि सरकार इस प्रकार की व्यवस्था कर सकती है कि जिम और फिटनेस सेंटर में आवश्यक गाइडलाइन का पालन  प्रभावी तरीके से हो सके.  यहां सैनिटेशन की पुख्ता व्यवस्था करने और व्यायाम करने आने वाले लोगों की संख्या को समयानुसार निर्धारित कर सोशल डिस्टेंसिंग की व्यवस्था भी बनाए रखना आसान है.

 

उनका तर्क है कि  जब हजारों व सैकड़ों की संख्या में काम करने वाले बड़े औद्योगिक इकाइयों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को काम करने की अनुमति दी जा सकती है और वहां सोशल डिस्टेंस एवं सैनिटाइजेशन की व्यवस्था हो सकती है तो फिर जिम और फिटनेस सेंटर क्यों नहीं हो सकती.  उनका कहना है कि यहां तो अपेक्षाकृत सीमित संख्या में लोग आते हैं और सभी अपने स्वास्थ्य के साथ किसी भी कीमत पर खिलवाड़ नहीं कर सकते.  फिटनेस सेंटर में आने वाले अधिकतर लोग स्वाभाविक रूप से ही किसी भी प्रकार के इंफेक्शन के प्रति बेहद सजग  होते हैं जबकि यहां मौजूद ट्रेनर सुई के नोक भर भी गलती नहीं करने  की अनुमति नहीं देते हैं. उनकी मांग है कि गुरुग्राम जिला प्रशासन को इस मामले पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और इन्हें पुणे संचालित करने की अनुमति नियमानुसार देनी चाहिए.

 

जब मधुशाला खुल सकता है तो व्यामशाला क्यों नहीं ? : राज चौहान

 जिम संचालकों के समर्थन में आए फिल्म स्टार राज चौहान ने भी कहा है कि जब सरकार मधुशाला खुलवा सकती है तो फिर व्यामशाला क्यों नहीं ? उन्होंने सरकार से जिम खोलने को लेकर जल्द ही कोई गाइड लाईन बनाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि सिर्फ घर में रहकर अनुलोम-विलोम करने से ही कुछ नहीं होगा। शरीर की इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत करने के लिए संतुलित खान-पान के साथ-साथ संपूर्ण व्यायाम भी जरूरी है। जिम में डाइट प्लान के साथ-साथ संपूर्ण व्यायाम भी बताया जाता है। दूसरी ओर अपने को फिट रखने के लिए अधिकतर युवा जिम का ही सहारा लेते हैं। ऐसे में जिम बंद रहने से युवाओं का फिटनेस प्रभावित हो रहा है। जिम और फिटनेस संचालाकों को भी इस समय लोगों की सेवा करने का अवसर प्रदान करना चाहिए. यह भी कोविड-19 संक्रमण की रोकथाम में अहम भूमिका निभा सकते हैं. 

 

 

वहीं एक जिम संचालक बॉबी महादेव ने बताया कि जनवरी से मार्च तक जिम का ऑफ सिजन रहता है और मार्च से अब तक लॉकडाउन की वजह से जिम बंद है। ऐसे में जिम संचालक आर्थिक रूप से पूरी तरह से टूट चुके हैं। अगर जल्द जिम खोले जाने की अनुमति नहीं मिलती है तो वे सब रोड पर आ जाएंगे। उन्होंने कहा कि हमें बैंक से लिए हुए रेन का स्टॉलमेंट भी भुगतान करना होता है जबकि जीएसटी और अन्य प्रकार के सरकारी टैक्स के साथ-साथ जिम का किराया और ट्रेनर एवं अन्य स्टाफ की सैलरी का खर्च वहन करना दूभर हो  गया है.  हरियाणा सरकार को इस सेक्टर के लिए भी सकारात्मक कदम उठाने चाहिए.  उनका कहना है कि सैकड़ों मध्यमवर्गीय परिवार के युवा व्यवसाय को अपनी जीविका का साधन बना चुके हैं जिन से हजारों लोगों को आज रोजगार मिल रहा है और एक रचनात्मक प्रोफेशन के रूप में आज यह स्थापित हो चुका है जिसे और संभावना युक्त बनाने के लिए आर्थिक पैकेज का प्रावधान करना चाहिए. 

 

 

 नियमित तौर पर पिछले कई वर्षों से जिम  जाने वाले समाजसेवी व एडवोकेट धर्मवीर वर्मा  का कहना है कि व्यायाम कोई धंधा नहीं एक जज्बा है। उन्होंने याद दिलाया कि एक तरफ केंद्र सरकार युवा एवं खेल मंत्रालय की पहल पर क्विट इंडिया मूवमेंट को पूरे देश में अभियान के तौर पर चलाना चाहती है और दूसरी तरफ  सरकार के इस मूल मंत्र को धरातल पर लाने वालेजिम और फिटनेस सेंटर  संक्रमण के नाम पर अब तक बंद रखा गया है.  उनका कहना है कि गुरुग्राम जैसे औद्योगिक शहर में दूसरे दर्जनों देशों के लोग और देश के विभिन्न राज्यों के प्रोफेशनल रहते हैं. उन्हें अपने व्यस्ततम समय में अपनी सुविधानुसार अपने शरीर को प्रोफेशन की आवश्यकता के अनुसार फिट रखने के लिए ऐसी सुविधाओं की नितांत आवश्यकता है. आज युवा वर्ग बहुतायत में जिम और फिटनेस सेंटर के मुरीद हैं क्योंकि उन्हें अपने प्रोफेशन में भी स्थापित रहने की दृष्टि से स्वयं को स्वच्छ रखना आवश्यक होता है. इससे उनकी प्रोडक्टिविटी बनी रहती है. हरियाणा सरकार को और गुरुग्राम जिला प्रशासन को इस विषय पर फिटनेस सेंटर के संचालकों के साथ विचार विमर्श कर इसका हल निकालना चाहिए. 

 

 

उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि सभी जिम एवं फिटनेस सेंटर संचालक प्रशासन के साथ पूरी तरह सहयोग करने को तैयार हैं और स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए आवश्यक गाइडलाइन का पालन करना उनका मूल मंत्र होगा. उन्होंने कहा कि आज इस महामारी से बचने में इस सेक्टर की भी अहम भूमिका है इसे पहचानने की आवश्यकता है और इसका पूरा पूरा सदुपयोग करने की जरूरत है.  एडवोकेट वर्मा ने कहा कि जब देश में स्वास्थ्य को बिगाड़ने वाले शराब के ठेके खोल दिए गए तो फिर स्वास्थ्य को सफल बनाने वाले जिम व फिटनेस सेंटर क्यों नहीं खोले जा सकते ?  उन्होंने मांग की कि प्रशासन को  सभी जिम संचालकों को विश्वास में लेकर उनके साथ इसे पुनः संचालित करने की व्यवस्था बनाने पर  शीघ्र निर्णय लेना चाहिए अन्यथा  शहर के  हजारों लोगों का स्वास्थ्य और  रोजगार दोनों बुरी तरह प्रभावित होंगे. 

 

 

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