चंद्रग्रहण में स्नानादि महात्म्य की नहीं रहेगी मान्यता
गुरुग्राम, 4 जून : आचार्य पुरोहित संघ के अध्यक्ष पंडित अमरचंद भारद्वाज ने कहा कि पंचांग दिवाकर के अनुसार 5 जून शुक्रवार को लगने जा रहा उपछाया चंद्र ग्रहण सूतक मुक्त रहेगा। ग्रहण के दौरान स्नानादि महात्म्य की मान्यता नहीं रहेगी। वही दुनिया के अन्य देशों की अपेक्षा भारत में इस चंद्र ग्रहण का आंशिक प्रभाव ही रहेगा।
पंडित अमरचंद ने कहा कि उपछाया चंद्र ग्रहण कई मायनों में काफी महत्वपूर्ण है। यह चंद्र ग्रहण 5 जून की रात 11 बजकर 16 मिनट से शुरु होगा और 6 जून की रात को 2 बजकर 32 मिनट तक रहेगा। ग्रहण काल के दौरान चंद्रमा वृश्चिक राशि में होंगे।
पंडित अमरचंद ने कहा कि सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी के आने से सूर्य की रोशनी चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाती है तो चंद्रग्रहण लगता है। इस दौरान धरती की छाया चंद्रमा पर पड़ती है। लेकिन इस बार धरती की वास्तविक छाया न पड़कर उसकी उपछाया पड़ेगी, उपछाया अर्थात वास्तविक छाया नहीं बल्कि एक धुंधली सी छाया नजर आती है।
मतलब यह कि ग्रहण काल में चंद्रमा कहीं से कटा हुआ होने की बजाय अपने पूरे आकार में नजर आएगा।उपच्छाया होने से यह चंद्रग्रहण प्रभावशाली नहीं होगा। इसलिए इस दौरान सूतककाल का समय नहीं माना जाएगा। चंद्रमा पृथ्वी की परछाई से ही बाहर आ जाएंगे इसलिए ग्रहण से संबंधित किसी भी तरह का दोष तय दुष्प्रभाव लागू नहीं होगा।
सूतक और खान-पान तथा गर्भवती महिलाओं को लेकर भी किसी तरह का कोई भेद अथवा दोष विचारणीय नहीं होगा। इस दिन खगोलीय घटना के अनुसार चंद्रमा पृथ्वी की परछाई में प्रवेश करके वहीं से वापस निकल जाएंगे जिसके परिणामस्वरुप चंद्रमा का बिम्ब केवल धुंधला दिखाई देगा काला नहीं होगा, न ही किसी तरह का ग्रास होगा।
इसलिए इस दिन पूर्णिमा तिथि से सम्बंधित किये जाने वाले जप-तप, पूजा पाठ, श्री सत्यनारायण कथा, तीर्थ क्षेत्रों में तथा गंगा, यमुना नर्वदा आदि पवित्र नदियों में स्नान दान-पुण्य का महत्व यथावत रहेगा।