सुभाष चन्द्र चौधरी
नई दिल्ली : कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने आज पार्टी की प्रेस बीफिंग में कहा कि दो महीने पहले लॉक्डाउन लागू करते समय पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा था कि 21 दिनों में कोरोना के ख़िलाफ़ जंग जीतेंगे।आज 60 से ज़्यादा दिन बीत चुके हैं और रोज़ मरीज़ों की संख्या ज़बरदस्त तेज़ी से बढ़ रही है।लॉक्डाउन इस वाइरस को हरा नहीं पाया है। मेरा सरकार से सीधा सवाल है- अब आगे क्या योजना है. 60 दिन में लॉकडाउन का लक्ष्य पूरा नहीं हुआ। बीमारी बढ़ती जा रही है। इसलिए हमें सरकार की स्थिति पर स्पष्टता चाहिए। आखिर सरकार की रणनीति क्या है ? कांग्रेस पार्टी के नेता ने कहा कि मुझे चिंता है कि गैर लॉकडाउन स्थिति में, अव्यवस्थित फैसले से हमें कोरोना की दूसरी लहर मिलेगी, जो बेहद विनाशकारी होगी.
राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर सवालों की झड़ी लगते हुए कहा कि हमारी भूमिका विपक्ष की है। हमारी पार्टी में विमर्श होता है, विशेषज्ञों से बात करते हैं, फिर हम सुझाव देते हैं। अब कौन सा सुझाव लेना है और कौन सा नहीं, ये सरकार का निर्णय है. उन्होंने कहा कि मजदूरों से बातचीत करने का मेरा लक्ष्य है- उनके दिल के भाव समझना। उनकी जानकारी से मुझे फायदा मिलता है। बाकी मैं मदद करता रहता हूँ। रही बात बैग उठाने की, तो वो अनुमति दे तो मैं एक नहीं 10-15 के बैग उठाकर ले जाऊंगा .
राहुल गांधी ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन के पिछले दिनों दिए बयान पर कहा कि अगर मजदूरों का दर्द बाँटना वित्त मंत्री जी को ड्रामा लगता है, तो ये उनका विचार है। इसके लिए उनको धन्यवाद। अगर वो चाहती हैं, तो वो अनुमति दें, मैं यहां से पैदल उत्तर प्रदेश निकल जाऊंगा और रास्ते में जितना हो सका, लोगों की मदद करूँगा.
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में लोकतांत्रिक सरकार को हटाकर बिना कारण राष्ट्रपति शासन लगाने की बात करने और सकारात्मक विपक्ष में बहुत फर्क है। मैं हमेशा सुझावों के पक्ष में रहा हूँ. इस कोरोना संकट में मोदी जी ने उस काशी से भी मुँह फेर लिया, जिसने उनको प्रधानमंत्री पद तक पहुंचाया। जबकि, राहुल गांधी ने अमेठी को अपना परिवार मानकर ख्याल रखा। ऐसा जुड़ाव हर कोई नहीं बना पाता है।
उन्होंने यह कहते हुए दावा किया कि कोरोना संक्रमण के लगातार बढ़ते मामले साबित कर रहे हैं कि भाजपा कोरोना संक्रमण के साथ चल रही लड़ाई को अंजाम तक नहीं पहुंचा पाई है। भाजपा सरकार स्थिति को नियंत्रित करने में विफल साबित हुई है। विफल भाजपा सरकार के झूठ ने देश को कोरोना संकट में डाल दिया है। झूठ बोलने की जगह कार्रवाई करने की जरूरत थी, इसमें भाजपा नाकाम रही है। मोदी जी ने 21 दिन में कोरोना की लड़ाई जीतने की बात कही थी। लगभग 60 दिन हो चुके हैं। हिंदुस्तान पहला देश है, जो बीमारी के बढ़ते वक़्त लॉकडाउन हटा रहा है.
राहुल गांधी ने कहा कि दुनिया के बाकी देशों ने लॉकडाउन तब हटाया, जब बीमारी कम होनी शुरू हुई। ऐसे में ये स्पष्ट है कि हमारे यहाँ लॉकडाउन विफल हो गया है। जो लक्ष्य मोदी जी का था, वो पूरा नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि अब हम सम्मानपूर्वक भाजपा सरकार और प्रधानमंत्री जी से पूछना चाहते हैं कि “प्लान बी” क्या है? बीमारी 21 दिन में कम नहीं हुई, बल्कि बढ़ रही है. उन्होंने सवाल किया कि प्रधानमंत्री जी की रणनीति क्या है? लॉकडाउन से कैसे निपटोगे ? मजदूर भाई-बहनों, MSMEs की मदद कैसे करोगे? ये राजनीति नहीं है, बल्कि मेरी चिंता है। बीमारी बढ़ती जा रही है। इसलिए ये सवाल मैं पूछ रहा हूँ.
कांग्रेस नेता ने आर्थिक पैकेज की चर्चा करते हुए कहा कि पैकेज के बारे में कई प्रेस कॉन्फ्रेंस हुईं, हमें बहुत उम्मीदें थीं, पीएम ने कहा कि यह जीडीपी का 10% होगा। वास्तविकता यह है कि ये जीडीपी के 1% से भी कम है और उसमें भी ज्यादातर लोन है, नकद नहीं .भारत को खोलने के बारे में क्या रणनीति है ? बीमारी पर अंकुश लगाने के लिए वे क्या सावधानी बरतेंगे ? वे प्रवासियों का समर्थन कैसे करेंगे ? वे राज्य सरकार और एमएसएमई का समर्थन कैसे करेंगे ?
उन्होंने कहा कि हमें बहुत उम्मीदें थीं और पैकेज को लेकर कई प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई थीं। पीएम ने कहा कि जीडीपी का 10% लेकिन जीडीपी के 1% से कम की वास्तविकता दी जा रही है और ज्यादातर ऋण में। लोगों को शायद ही कोई नकद दिया जा रहा हो.
LIVE: Special Congress Party briefing by Shri @RahulGandhi via video conferencing. #RahulGandhiVoiceOfIndia https://t.co/L3m5XFYFPE
— Congress (@INCIndia) May 26, 2020
उन्होंने कांग्रेस शासित राज्यों में प्रवासी श्रमिकों के लिए उठाये क़दमों की चर्चा भी की. उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों में हमारी सरकार है, हम किसानों, मजदूरों को सीधे नकद दे रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार से कोई समर्थन नहीं मिल रहा है। केंद्र सरकार के पर्याप्त समर्थन के बिना हमारे राज्यों के लिए कार्य करना कठिन होता जा रहा है मैं इसमें नहीं जाना चाहता कि सरकार विफल क्यों रही है, वो अतीत है। मुझे अभी इस बात में दिलचस्पी है कि भारत अभी जिस चीज का सामना कर रहा है, वो है- एक असफल लॉकडाउन है। कई राज्यों में बीमारी बढ़ रही है .
उनका केंद्र सरकार से सीधा सवाल था कि आगे सरकार की क्या योजना है ? कांग्रेस शासित राज्यों के पास रणनीति है- हम गरीबों को पैसा और भोजन दे रहे हैं, प्रवासियों का प्रबंधन कर रहे हैं, टेस्ट बढ़ा रहे हैं। लेकिन राज्यों के पास केंद्र सरकार की मदद के बिना कोई रणनीति नहीं हो सकती. उन्होंने यह कहते हुए आरोप लगाया कि मुझे हमारे मुख्यमंत्रियों ने बताया कि वे अकेले लड़ाई लड़ रहे हैं। वे आश्वस्त हैं और समझते हैं कि क्या करना है, लेकिन केंद्र सरकार क्या करने की योजना बना रही है?
उनका कहना था कि या तो स्वास्थ्य या अर्थव्यवस्था वाले तर्क से मैं सहमत नहीं हूँ। मुझे लगता है कि हम स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था के बीच एक सफलतापूर्वक रास्ता बनाने के लिए पर्याप्त रूप से सक्षम हैं .भारत एक बहुत ही गंभीर बेरोजगारी समस्या का सामना कर रहा है और यह कुछ समय के लिए है। मेक इन इंडिया और अन्य पहलों ने अपेक्षित परिणाम नहीं दिए हैं। अब कोरोना ने बेरोजगारी की समस्या को कई गुना बढ़ा दिया है.
आर्थिक हालात को लेकर उन्होंने कहा कि एक राष्ट्रीय नेता के रूप में यह कहना खेदजनक है, लेकिन MSME दिवालिया हो जाएंगे, लोग बेरोजगार हो जाएंगे और इसलिए हम इस बात पर जोर दे रहे हैं कि MSME और गरीबों को पैसे की आवश्यकता है। अगर ऐसा नहीं किया गया तो यह घातक होगा.
कांग्रेस पार्टी के नेता ने सीमा विवाद का मुद्दा भी उठाया और कहा कि भारत-चीन का मुद्दा अभी चल रहा है। उस पर मैं ज्यादा नहीं बोलना चाहता। उसको मैं सरकार की बुद्धिमानी पर छोड़ता हूँ। मगर पारदर्शिता की जरूर आवश्यकता है, क्योंकि पारदर्शिता के बिना मेरा इस पर बोलना सही नहीं होगा. सरकार का काम शासन का है और हमारा काम उन मुद्दों की ओर ध्यान आकर्षित करना है जिन्हें सरकार द्वारा नजरअंदाज किया जाता है। मैं फरवरी में सरकार को चेतावनी दे रहा था और अब मैं वही कर रहा हूं.
उन्होंने कहा कि मेरा अभी भी मानना है कि अगर आर्थिक सहायता नहीं दी; MSMEs की रक्षा नहीं की, तो जो नुकसान अब तक हुआ है, उससे ज्यादा होने की संभावना है। मेरा निवेदन है कि आर्थिक सहायता करने की जरूरत है:मोदी जी ने जो पैकेज की घोषणा की है उससे कुछ नहीं होगा। मैंने निर्णयकर्ताओं के साथ अप्रत्यक्ष बातचीत की है और उनका विचार है कि अगर गरीबों को ज्यादा पैसा दिया जाता है, तो विदेशों में गलत संकेत जाएगा .
राहुल गांधी ने कहा कि मैं दोहरा रहा हूँ- हिंदुस्तान की शक्ति बाहर से नहीं, बल्कि देश के भीतर से बनती है। जब देश मजबूत होता है, तब हमारी छवि बनती है। इसके लिए हमारे 50% गरीब लोगों को ₹7500 देना होगा.मैं प्रवासी मजदूरों और दिहाड़ी मजदूरों से बात कर रहा हूं और उनमें निराशा की भावना है। उन्हें इस बात का अहसास है कि उन्हें अकेला छोड़ दिया गया है.
उन्होंने यह कहते हुए आरोप लगाया कि लोगों को लगता है कि उनका भरोसा टूट गया है। मेरा मानना है कि अमीर, गरीब या हिंदू, मुस्लिम या सिख, किसी का भरोसा नहीं टूटना चाहिए। हम अभी भी कार्य कर सकते हैं, गरीबों की मदद कर सकते हैं, प्रति माह 7500 रूपये दे सकते हैं .यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि यूपी के सीएम भारत को इस तरह से देखते हैं। ये लोग यूपी की निजी संपत्ति नहीं बल्कि भारत के नागरिक हैं। उन्हें यह तय करने का अधिकार है कि वे क्या करना चाहते हैं। उनका समर्थन करना हमारा काम है.
उन्होंने दावा किया कि अगर लॉकडाउन के बारे में प्रधानमंत्री जी से भी पूछा जाएगा, तो वो भी मानेंगे कि ये विफल हो गया। पहले प्रधानमंत्री जी फ्रंट फुट पर थे, मगर अब वो नजर नहीं आ रहे, जबकि प्रधानमंत्री को देश को बताना चाहिए कि वो क्या करेंगे. मेरा सरकार से निवेदन है कि वो कांग्रेस शासित राज्यों को आर्थिक सहायता दे। साथ ही, भाजपा शासित राज्यों को भी सहयोग करे. मुझे चिंता है कि गैर लॉकडाउन स्थिति में, अव्यवस्थित फैसले से हमें कोरोना की दूसरी लहर मिलेगी, जो बेहद विनाशकारी होगी.