गुरूग्राम, 18 मई, आज भारतीय मजदूर संघ ने गुरुग्राम के उपायुक्त के माध्यम भारत राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन सौंपा है। इस अवसर पर भारतीय मजदूर संघ के प्रदेश मंत्री विरेंद्र शर्मा, भारतीय मजदूर संघ के जिला मंत्री योगेश शर्मा, हूडा कर्मचारी संघ के प्रधान महासचिव सुरेंद्र, हरियाणा ऑटो चालक संघ के प्रदेश मंत्री जय भारत, कार्यालय सचिव हेमराज, कार्यकारी अध्यक्ष भीमराव आदि मौजूद थे।
भारतीय मजदूर संघ के प्रदेश मंत्री विरेंद्र शर्मा और जिला मंत्री योगेश शर्मा ने राष्ट्रपति के नाम दिये ज्ञापन में बताया है कि कोविड -19 के प्रभाव से अर्थव्यवस्था को पुर्नजीवित करने के लिए, एमएसएमई, किसानों, श्रमिकों आदि के उत्थान के लिए विभिन्न क्षेत्रों को 20 लाख करोड़ रूपये आवंटित करने के केन्द्र सरकार के निर्णय का भारतीय मजदूर संघ स्वागत करता है।
विकसित देशों की तुलना में इस महामारी से मानव जीवन के, कम नुकसान के लिए भी भारतीय मजदूर संघ केन्द्र सरकार को बधाई देता है । उन्होंने बताया कि परन्तु इसी समय भारतीय मजदूर संघ को यह कहते हुए पीड़ा होती है कि कुछ राज्य सरकारों जैसे उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश एवं गुजरात ने अध्यादेश पारित कर श्रम कानूनों को 3/4 साल के लिए निरस्त करने का निर्णय लिया है ।
अभी और भी राज्य सरकारें उसी रास्ते पर चलने केलिए सोच रही हैं । कई राज्य सरकारों ने भारतीय मजदूर संघ सहित अन्य श्रमिक प्रतिनिधियों से सलाह किए बिना कारखाना अधिनियम में संशोधन कर काम के घंटे 8 घंटे से बढ़ाकर 12 घंटे कर दिया है । हमें विभिन्न स्रोतों से पता चला है कि अधिक निवेश आकषर््िात किया जायेगा, जिसके परिणामस्वरूप अधिक विकास होगा ।
परन्तु भारतीय मजदूर संघ राज्य सरकारों के इस विचार को पचा नही पा रहा है कि श्रमिक विकास में अवरोधक हैं। भारतीय मजदूर संघ चाहता है कि राज्य सरकारों को देश को यह विश्वास दिलाना चाहिए कि, श्रमिक विकास की राह में कैसे बाधा बन रहे हैं । हम 12 मई 2020 को अपने भाषण के दौरान देश के विकास में श्रमिकों के योगदान को मान्यता देने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के आभारी हैं ।
भारतीय मजदूर संघ का मानना है कि राज्य सरकारों की ये हरकतें भ्रामक, गैरकानूनी, अनुचित, मानवता के खिलाफ, मौलिक अधिकारों का उल्लंघन, आईएलओ कन्वेंशन-47 का उल्लंघन और विकास की दृष्टि के खिलाफ भी है ।
उन्होंने कहा कि भारतीय मजदूर संघ के पास निम्न मांगों को लेकर गरीब श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए आन्दोलन कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने के अलावा कोई विकल्प नही है।
उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश एवं गुजरात प्रदेश सरकारों द्वारा तीन साल या उससे अधिक समय के लिए श्रम कानूनो को रद्द करने की तत्काल वापसी । महाराष्ट्र, गोवा, राजस्थान, ओडिशा, बिहार आदि की राज्य सरकारों द्वारा बढ़ाए गए काम के घंटे की तत्काल वापसी। सभी श्रमिकों को मार्च और अपै्रल 2020 की मजदूरी का भुगतान सुनिश्चित करना। प्रवासी श्रमिकों के लिए दोनों तरफ जाने वाले स्थान एवं पहुंचने वाले स्थान) पर भोजन, आश्रय, स्वास्थ्य, परिवहन, काम आदि सुनिश्चित करना। प्रवासी श्रमिकों का राष्ट्रीय रजिस्टर तैयार करना ।