7 राज्यों में नोट्बंदी का दिख सकता है असर ?

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उपचुनाव पर भाजपा व विपक्ष की टिकी नजर 

दोनों रिजल्ट भुनाने को बेताब 

नई दिल्ली : नरेन्द्र मोदी विरोधी राजनितिक दल यह मान कर चल रहे हैं कि देश के 6 राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश में हो रहे उपचुनाव में जनता इसके खिलाफ अपना मत देगी. जबकि भाजपा इस बात से आशान्वित है कि पीएम की लोकप्रियता का पारा बाधा है जिसका फायदा उन्हें इस चुनाव में अवश्य मिलेगा. मिडिया भी इस बात का विश्लेषण करने की तैयारी में है कि शनिवार को हो रही वोटिंग के माध्यम से नोटंबदी पर लोग अपना क्या रुख बताएँगे ? 

नोट्बंदी के फैसले से कितने सहमत हैं लोग

कहा जा रहा है कि शनिवार को देश के लगभग सभी दिशाओं में लोकसभा व विधानसभा के उप चुनाव हो रहे है. यह उपचुनाव एक प्रकार का जनमत संग्रह होगा इस बात को लेकर कि पीएम् नरेन्द्र मोदी के नोट्बंदी के फैसले से लोग कितने सहमत हैं. एक तरफ लोग पुराने नोट बदलने व अपने खाते से निकालने के लिए बैंकों में लें में लग रहे हैं तो दूसरी तरफ उपचुनाव के लिए वोट डालने के लिए लाइन में खड़े हो रहे हैं. यह देखना बेहद दिलचस्प होगा कि इन दोनों ही प्रकार की लाइनों में खड़े होने में मतदाताओं की मनःस्थिति में तालमेल है या अंतर दिखेगा.

राजनीतिक प्रतिष्ठा का सवाल 

ये उपचुनाव पश्चिम बंगाल,  मध्य प्रदेश, असम, तमिलनाडु, पुडुचेरी, अरुणाचल प्रदेश एवं त्रिपुरा में हो रहे हैं. इसका विश्लेषण यह बतायेगा कि नरेन्द्र मोदी के हाल के फैसले के प्रति देश का मूड है. जाहिर है इसके रिजल्ट अगर भाजपा के खिलाफ आये तो विपक्ष के लिए देश में प्रचार करने को यह बड़ा हथियार मिलेगा लेकिन अगर इसमें भाजपा को 50 प्रतिशत भी कामयाबी मिली तो राजनितिक रूप से वे अपना बचाव कर पायेंगे.

अधिकतर राज्य व क्षेत्र भाजपा विरोधी पार्टियों के कब्जे में

यहाँ यह ध्यान देने वाली बात है कि मध्य प्रदेश व असम को छोड़कर अधिकतर राज्य व क्षेत्र भाजपा विरोधी पार्टियों के कब्जे में हैं इसलिए उनमें भाजपा समर्थित व भाजपा के प्रत्याशियों को सफलता मिलेगी इसके आसार कम दिख रहे हैं.  

 

पश्चिम बंगाल राज्य के कूच बिहार (आरक्षित अनुसूचित जाति) और तमलुक लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों और मोंटेश्वर विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए शनिवार सुबह सात बजे से मतदान शुरू हो गया है. खबर है कि इन सीटों पर 23 उम्मीदवार आमने-सामने हैं. इसमें लगभग 3,524,977 लोग अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. इनमें 1,689,735 महिल मतदाता हैं.

 

उल्लेखनीय है कि कूच बिहार संसदीय क्षेत्र में तृणमूल की रेणुका सिन्हा के निधन के बाद यह सीट खाली हुयी थी. तमलुक से सांसद सुवेंदू अधिकारी के ममता बनर्जी मंत्रिमंडल में शामिल होने के कारण यह सीट भी रिक्त हो गई थी. वहीं, तृणमूल के विधायक सजल पांजा के निधन के बाद मोंटेश्वर विधानसभा सीट खाली हुई थी.

 

दूसरी तरफ मध्य प्रदेश की शहडोल लोकसभा और नेपानगर विधानसभा सीट में भी उपचुनाव हो रहे हैं. बीजेपी सांसद दलपत सिंह परस्ते के निधन के कारण शहडोल लोकसभा क्षेत्र में उप चुनाव हो रहा हैं, जबकि नेपानगर विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी विधायक राजेंद्र श्यामलाल दादू की सड़क हादसे में निधन होने के कारण उपचुनाव हो रहे हैं. बताया जाता है कि शहडोल लोकसभा सीट से 17 उम्मीदवार मैदान में हैं, जबकि नेपानगर विधानभा क्षेत्र से केवल चार उम्मीदवार ही खड़े हुए हैं.

 

कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री दलबीर सिंह और शहडोल लोकसभा क्षेत्र से पूर्व सांसद राजेश नंदिनी सिंह की बेटी हिमाद्री सिंह को उम्मीदवार बनाया है. भाजपा ने प्रदेश के कैबिनेट मंत्री एवं आदिवासी नेता ज्ञान सिंह को मैदान में उतारा है. वहीं नेपानगर विधानसभा क्षेत्र उप चुनाव के लिए कांग्रेस ने क्षेत्र के आदिवासी नेता अंतर सिंह बद्रे पर विश्वास जताते हुए उन्हें अपना उम्मीरवाद बनाया है जबकि भाजपा ने इस क्षेत्र से विधायक रहे दिवंगत राजेंद्र श्यामलाल दादू की बेटी मंजू दादू को अपना प्रत्यशी बनाकर क्षेत्र के मतदाताओं की सहानभूति हासिल करने की कोशिश की है.

 

पूर्वोत्तर राज्य असम में भी लखीमपुर लोकसभा क्षेत्र और बैठालांसो विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव के लिए जारी वोटिंग में आठ उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला हो रहा है. लखीमपुर में अमिय कुमार हांडिक (सीपीएम), प्रदान बरूआ (बीजेपी), डॉ हेम हरी प्रसन्न पेगू (कांग्रेस), हेमकांता मिरी (एसयूसीआई-कम्युनिस्ट) और दिलीप मोरान (निर्दलीय) मैदान में हैं. उल्लेखनीय है कि लखीमपुर लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल करते थे जबकि मानसिंग रोंगपी के 12 जुलाई को कांग्रेस से भाजपा में शामिल होने के बाद बैठालांसो की सीट खाली हो गई थी.

 

दक्षिण भारत के राज्य तमिलनाडु में तंजावुर, अर्वाकुरुचि ओर तिरुप्पराकुंद्रम विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में सत्ताधआरी एआईएडीएमके और डीएमके के बीच टक्कर है. अप्रेल- मई में हुए राज्य विधानसभा चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा भारी मात्रा में नकदी और शराब बांटे जाने के आरोपों के बीच इन सीटों पर मतदान टाल दिए गए थे.

 

अर्वाकुरुचि सीट से एआईएडीएमके के वी.सेंथिल बालाजी और डीएमके के के.सी.पलानीसामी आमने-सामने हैं, जबकि तिरुप्पराकुंद्रम से एआईएडीएमके के ए.के. बोस की सीधी भिड़ंत डीएमके के पी.सारावनन से होगी. वहीं तंजावुर की सीट से एआईएडीएमके के एम.रंगासामी डीएमकेक के अंजुगम भूपति दौड़ में शामिल हैं.

 

इसके साथ ही पड़ोसी पुडुचेरी में भी नेल्लीथोपे विधानसभा क्षेत्र में मतदान जारी है. पुडुचेरी की नेल्लीथोपे सीट से कांग्रेस नेता वी. नारायणसामी और एआईएडीएमके के ओम शक्ति सेगर आमने-सामने हैं.

 

एक और पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश में दूरस्थ अंजा जिले की हायुलियांग विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए शनिवार को वोट डाले जा रहे हैं. इस सीट पर नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (एनईडीए) की तरफ से दासंगलु पुल बीजेपी प्रत्याशी हैं. राज्य के दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री कलिखो पुल की तीन में से सबसे छोटी पत्नी दासंगलु का मुकाबला निर्दलीय प्रत्याशी योम्पी क्री से है. कलिखो पुल ने इस साल अगस्त महिने में संदिग्ध परिस्थितियों में आत्महत्या कर ली थी.

 

त्रिपुरा की अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित बरजाला और खोवाई विधानसभा सीटों के लिए कड़ी सुरक्षा के बीच उपचुनाव हो रहे हैं. कांग्रेस में अंदरूनी फूट के चलते 6 जून को कांग्रेस विधायक जीतेंद्र सरकार के इस्तीफे के बाद बरजाला सीट और मार्क्‍सवादी कमुयनिस्ट पार्टी (सीपीएम) विधायक समीर देव सरकार के निधन के बाद खोवाई विधानसभा सीट खाली हुई थी.

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