कोच्ची : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है कि हम डिजिटल युग में रह रहे हैं और कल की जंग सूचना तथा प्रौद्योगिकी के मैदान में भी लड़ी जाएगी। उन्होंने आज केरल में एझीमाला स्थित भारतीय नौसेना अकादमी में ध्वज प्रदान किया। उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना अकादमी के तकनीकी स्नातकों से यह उम्मीद की जाती है कि वे प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सदैव आगे रहें, ताकि जरूरत पड़ने पर वे बेहतर तैयारी के साथ प्रदर्शन कर सकें। उन्होंने सभी कैडेटों से आग्रह किया कि वे अकादमी के प्रशिक्षण का भरपूर इस्तेमाल करें और भविष्य की जटिलता तथा अनिश्चितता से भरी दुनिया में बेहतर काम कर सकें।
President Kovind presented the President’s Colour to the Indian Naval Academy at Ezhimala, Kerala today. pic.twitter.com/mtW3fAZrvc
— President of India (@rashtrapatibhvn) November 20, 2019
भारतीय नौसेना अकादमी में कैडेटों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की तटरेखा बहुत विशाल है तथा यहां कई द्वीप मौजूद हैं। इन सभी द्वीपों और हमारी तटरेखा का सामरिक महत्व बहुत अधिक है। उन्होंने कहा कि समुद्र के माध्यम से हमारे कारोबार और ऊर्जा की आवश्यकताओं का एक बड़ा हिस्सा पूरा होता है। इसके मद्देनजर समुद्र की सुरक्षा बहुत आवश्यक है, ताकि जमीन पर आर्थिक तथा आधारभूत विकास और जन-कल्याण सुनिश्चित हो सके।
इससे पूर्व राष्ट्रपति एवं भारतीय सैन्य बलों के सर्वोच्च कमांडर रामनाथ कोविंद ने आज भारतीय नौसेना अकादमी (आईएनए) को ध्वज प्रदान किया। यह ध्वज किसी सैन्य यूनिट को मिलने वाला सर्वोच्च सम्मान है। भारतीय नौसेना के 730 कैडेटों की भव्य परेड और 150 लोगों के सलामी गारद के दौरान आईएनए की ओर से अकादमी कैडेट कैप्टन सुशील सिंह ने ध्वज प्राप्त किया। इस अवसर को यादगार बनाने के उद्देश्य से राष्ट्रपति ने एक विशेष पोस्टर कवर भी जारी किया।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने नौसेना अकादमी के 50 वर्ष पूरे होने पर आईएनए के वर्तमान एवं भूतपूर्व कर्मचारियों को इस दिवस को गौरवान्वित करने के लिए उनके कठिन परिश्रम और समर्पण के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि आज सुबह यह भव्य परेड काफी अच्छी लग रही है। उन्होंने कहा कि इस अकादमी ने अपेक्षाकृत थोड़े समय में काफी ख्याति अर्जित की है। राष्ट्रपति ने इच्छा व्यक्त करते हुए कहा कि अधिकारियों की पीढ़ी के लिए यह ध्वज प्रेरणा का प्रतीक बने।
इस अवसर पर, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, नौसेना प्रमुख एडमिरल करमवीर सिंह, पीवीएसएम, एवीएसएम, एडीसी, केरल के बंदरगाह, संग्रहालय, पुरातत्व विभाग एवं अभिलेखागार राज्य मंत्री रामचन्द्रन कदन्नापल्ली, दक्षिणी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमान प्रमुख वाइस एडमिरल ए के चावला, एवीएसएम, एनएम, वीएसएम और अन्य वरिष्ठ सैन्य अधिकारी एवं असैनिक अधिकारी उपस्थित थे। केरल की 32वीं बटालियन के एनसीसी कैडेटों और सैनिक स्कूल, कोडागू तथा पय्यानूर के स्थानीय स्कूलों के बच्चों के साथ-साथ आईएनए के सैन्य कर्मियों और असैन्य कर्मचारियों ने भी इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम को यादगार बनाने के लिए भारतीय नौसेना के जहाज – मगर और सुजाता तथा भारतीय तट रक्षक जहाज – सारथी का एट्टीकुलम खाड़ी में लंगर उठाया गया।
उल्लेखनीय है कि तीनों सशस्त्र बलों में से पहली बार 27 मई, 1951 को नौसेना को यह ध्वज प्रदान किया गया था।