नयी दिल्ली । उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या में राजनीतिक रूप से संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में बृहस्पतिवार को एक बार फिर सुनवाई शुरू की। इस मामले में मध्यस्थता के जरिए मैत्रीपूर्ण तरीके से किसी समाधान पर पहुंचने की कोशिशें विफल होने के बाद सुनवाई की जा रही है।
‘राम लला’ की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता के परासरन ने प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष दलीलें पेश करनी शुरू कीं।
राजनीतिक और धार्मिक रूप से संवेदनशील मामले में राम लला विराजमान के वकील ने बुधवार को अदालत को बताया था कि लाखों भक्तों की ‘‘अटूट आस्था’’ यह साबित करने के लिए काफी है कि अयोध्या में पूरा विवादित स्थल भगवान राम का जन्म स्थान है।
पीठ में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस ए नजीर शामिल हैं। पीठ ने शुक्रवार को तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति की उस रिपोर्ट का संज्ञान लिया था जिसमें कहा गया कि करीब चार महीने तक चली मध्यस्थता प्रक्रिया में कोई अंतिम सहमति नहीं बनी। मध्यस्थता समिति की अध्यक्षता उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एफएमआई कलीफुल्ला ने की।