राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद केस की सुनवाई में निरमोही अखाड़ा ने रखी अपनी दलीलें

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नई दिल्ली । अयोध्या विवाद पर आज दूसरे दिन सुनवाई हुई। सुनवाई के दूसरे दिन निर्मोही अखाड़ा ने अपनी दलीलें अदालत के सामने रखी और कहा कि कि सूट फाइल करने का मकसद ये था कि हम अंदर के कोर्टयार्ड में अपना हक जता सकें।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जजों ने निर्मोही अखाड़ा से पूछा कि क्या आपके पास इस बात को कोई सबूत हैं जिससे आप साबित कर सके कि रामजन्मभूमि की जमीन पर आपका कब्जा है। इसके जवाब में निर्मोही अखाड़ा ने कहा कि 1982 में एक डकैती हुई थी, जिसमें उनके कागजात खो गए। इसके बाद जजों ने निर्मोही अखाड़ा से अगले दो घंटों में रामजन्मभूमि से जुड़े साक्ष्य पेश करने को कहा।

जिस पर निर्मोही अखाड़े के वकील ने जवाब दिया कि सभी दस्तावेज इलाहाबाद हाईकोर्ट के जजमेंट में दर्ज हैं। रामलला की ओर से परासरण ने कहा कि ब्रिटिश राज में भी जब ईस्ट इंडिया कंपनी ने इस जगह का बंटवारा किया तो मस्जिद की जगह राम जन्मस्थान का मंदिर माना।

उन्होंने इस दौरान वाल्मिकी की रामायण का उदाहरण भी दिया। इसके अलावा ऐतिहासिक साक्ष्य देते हुए परासरण ने कहा कि अंग्रेजों के ज़माने में भी तब की अदालत ने एक फैसले में वहां बाबर की बनाई मस्जिद और जन्मस्थान मन्दिर का ज़िक्र किया था। इस पर जस्टिस बोबड़े ने पूछा कि ऐसा ही किसी धार्मिक स्थान को लेकर दो समुदायों का कोई सवाल या विवाद दुनिया मे कहीं किसी भी अदालत में कभी आया है क्या?

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