बस यूं ही…..निशिकांत ।
दरभंगा । जब से अखबार में पढ़ा है कि अब सुशासन की सरकार कुछ खास निर्धन ग्रामीण छात्रों को शहरों में रखकर पढ़ाएगी तब से यकीन मानिए अभी तक क्यूं मेरा मन मयूर बिन बादल ही नाच रहा है और दिल तो धड़कने के सिवा चूं चें – चूं चें करते थक ही नहीं रहा है। अच्छे दिन की खुशी में जी करता है कि धोती फाड़कर लूंगी बना लूँ और चौक चौराहे पर घूम घूम कर लूंगी डांस- लूंगी डांस करने लगूं।
पुआरी टोल के कुछ गरीब लेकिन होनहार छात्र तो अभी से ही अपने आप को अपडेट भी करने लग गए हैं। वे खुश हैं कि पढ़ाई लिखाई तो बाद की चीज है अब मजे से शादी ब्याह में नागिन डांस करने का मौका भी मिलेगा। 2g से 4g पर हाथ फेरना आसान हो जायेगा। वैसे भी मध्याह्न भोजन की दुबली पतली खिचड़ी खाते खाते नहीं बल्कि पीते पीते अपने लिवेर का पहले से ही फालूदा निकल चुका है। सो नई खबर से वे सभी उत्साहित हैं।
एक बगल के मेधावी देहाती छात्र ने हम जैसे हल्के दिमागवाले को तो हाफी करा दी। कहने लगा कि गांव में रहकर वह अपनी शीला की सभी जानकारी नहीं ले पाता है।जब भी कॉल करना चाहता है तो मोबाईल ही धोखा दे बैठता है। गांव का टावर कमजोर है। शहरों में रहकर अब शीला से सीधा जुड़ाव रहेगा। एक बार तो वैलेंटाइन डे पर उसे जामुन के पेड़ पर चढ़ कर शीला को विश करना पड़ा था। इसको लेकर पड़ोसी तो हंसे ही थे , एक नासमझ काका ने तो उसकी सरेआम ठुकाई भी कर दी थी। वह सीन उसे आज भी याद है लेकिन अब दिन बहुरने वाले हैं।जामुन पेड़ की भरपाई शहर के छह मंजिला मॉल कर देगा।
काश! वह अवसर कितना जल्द आएगा कि गांव-गुजारी के मेधावी छात्र अपने सर्वांगीण विकास के लिए शहरों की ओर कूच करेंगे और उसके धोती फाड़ लूंगी डांस की चर्चा चारों ओर होगी। ऐसे में सुशासन बाबुओं के साथ साथ दर्शकों का दिल रह रह कर जोरों से चूं चें – चूं चें करे तो करे। ओइम शांति।