गुरुग्राम की एक कंपनी के खाते से फर्जी दस्तखत से 17 लाख 80 हजार अपने खाते में ट्रांसफर कर लिया , दो कर्मचारी गिराफ्तार

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गुरुग्राम। गुरुग्राम के सेक्टर 44 स्थित Plot No. 152, में स्थापित ACME Cleantch Solutions Pvt. Ltd. कम्पनी के खाते से फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से 17 लाख 80 हजार रुपये ट्रान्सफर करने वाले दो शातिर आरोपियों को थाना साईबर अपराध, गुरुग्राम की पुलिस टीम ने गिराफ्तार किया । दोनों आरोपी उक्त कम्पनी के कर्मचारी थे तथा नौकरी से निकाले जाने से पहले ही आरोपियों ने कम्पनी के RTGS ट्रान्जैक्शन के Form/Format अपनी निजी ई-मेल आई.डी. पर फारवर्ड कर लिया था।

गुरुग्राम पुलिस के पी आर ओ सुभाष बोकन के अनुसार थाना साईबर अपराध, गुरुग्राम में Plot No. 152, Sector-44, Guguram में स्थित ACME Cleantch Solutions Pvt. Ltd. के प्रेजिडेन्ट संदीप कश्यप ने एक शिकायत गत 30 मार्च को कम्पनी के खाते से किसी अज्ञात द्वारा फर्जी हस्ताक्षर करके RTGS के माध्यम से 17 लाख 80 हजार रुपए ट्रान्सफर करने के सम्बन्ध में दी गई।

उक्त शिकायत पर 09 अप्रैल को थाना साईबर अपराध, गुरुग्राम में अभियोग संख्या 15 धारा 66डी. आई.टी. एक्ट व 419, 420, 467, 468, 471 भा.द.स. के तहत मामला दर्ज किया गया था।

उक्त अभियोग में कार्यावाही करते हुए निरीक्षक सुरेश, प्रभारी थाना साईबर अपराध, गुरुग्राम द्वारा पुलिस तकनीकी, पुलिस प्रणाली व अपनी समझबुझ से उक्त अभियोग में फर्जी हस्ताक्षर करके RTGS के माध्यम से 17 लाख 80 हजार रुपए ट्रान्सफर करने की वारदात को अन्जाम देने वाले दो आरोपियों को 16 जून को गुरुग्राम से काबू करने में बङी सफलता हासिल की। गिराफ्तार दो आरोपियों में एक दीपक मंडौरिया पुत्र औमप्रकाश निवासी मकान नं. 477/28, गली नं. 8, ज्योति पार्क, थाना न्यू कालोनी, गुरुग्राम जबकि दूसरा विवेक कुमार पुत्र पारसनाथ ठाकुर निवासी गाँव गडवार डाक डरैहली मढिया, थाना दरौली, जिला सीवान, बिहार, हाल निवासी मकान नं. 1347, कृष्णा कुन्ज, गली नं. 12, भौन्डसी, गुरुग्राम है।

दोनों आरोपियों को 17 जून को अदालत में पेश कर एक दिन के पुलिस हिरासत रिमाण्ड पर लिया गया।

श्री बोकन के अनुसार उक्त आरोपियों ने पुलिस हिरासत रिमाण्ड के दौरान पुलिस पूछताछ में बतलाया कि उक्त दोनों आरोपी कम्पनी के अकाउन्ट/फाईनेन्स डिपार्टमेंट में काम करते थे और इनके द्वारा ही कम्पनी का लेनदेन किया जाता था। उक्त आरोपी दीपक को उक्त कम्पनी द्वारा की गई कर्मचारियों की छटनी के दौरान जुलाई-2018 में निकाल दिया था और उक्त आरोपी विवेक उस समय कम्पनी में ही था।

इस दौरान दोनों ने बातचीत करते हुए योजना बनाई कि कम्पनी RTGS के माध्यम से कम्पनी द्वार बनाया गया फोरमट को भरकर फैक्स करके रुपयों की ट्रान्जैक्शन की जाती है उस RTGS फार्म का फोरमैट इत्याति को अपनी निजी ई-मेल आई.डी. पर फारवर्ड कर ले तो योजनानुसार विवेक ने उक्त फोरमैट/फार्म इत्यादि अपनी ई-मेल पर फारवर्ड कर लिए।

नवम्बर-2018 में कम्पनी द्वारा फिर से की गई कर्मचारीयों की छटनी में उक्त आरोपी को भी कम्पनी से बाहर निकाल दिया। कम्पनी से बाहर आने के बाद इन्होंने कम्पनी के खाते से दो RTGS की ट्रांजेक्शन की जिसमें उनके द्वार अपनी ई-मेल पर लिए गए फार्म/फोरमेट को भरकर कम्पनी की फर्जी मोहर व हस्ताक्षर करके बैंक को फैक्स किया और कुल 17 लाख 80 हजार रुपए अपने खाते में ट्रान्सफर कर लिए।

▪ उक्त आरोपियों द्वारा RTGS के माध्यम से की गई ट्रांजेक्शन का जब कम्पनी को पता लगा तो कम्पनी द्वारा तुरन्त एक्शन लेने के कारण आरोपी खातों से पैसे नही निकाल पाए और उनके हाथ किसी प्रकार की धनराशि हाथ नही लगी।

उक्त आरोपियों द्वारा वारदात को अन्जाम देने के लिए प्रयोग किया गया एक लैपटोप व एक मोबाईल फोन आरोपियों के कब्जा से पुलिस टीम द्वारा बरामद किया गया है।

दोनों को कल पुनः अदालत के सम्मुख पेश कर न्यायिक हिरासत में भेजा गया। अभियोग अनुसंधानाधीन है।

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