नई दिल्ली : केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों के मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में आज नई दिल्ली में आयोजित जीएसटी परिषद की 32वीं बैठक में सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों यानी एमएसएमई (छोटे व्यापारियों सहित) को राहत देने के लिए निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए:
वर्तमान कंपोजीशन स्कीम के लिए टर्नओवर सीमा में वृद्धि – वस्तुओं से जुड़ी कंपोजीशन स्कीम से लाभ उठाने के लिए पूर्ववर्ती वित्त वर्ष में वास्तविक टर्नओवर (कारोबार) की सीमा बढ़ाकर 1.5 करोड़ रुपये की जाएगी। विशेष श्रेणी वाले राज्य अपने यहां कंपोजीशन सीमा के बारे में एक सप्ताह के भीतर निर्णय लेंगे।
अनुपालन का सरलीकरण : कंपोजीशन स्कीम के तहत अनुपालन को सरल बनाया जाएगा। अब से उन्हें एक वार्षिक रिटर्न ही दाखिल करने की जरूरत होगी, लेकिन करों का भुगतान आगे भी तिमाही आधार पर ही होगा (एक सरल घोषणा के साथ)।
वस्तुओं के आपूर्तिकर्ताओं के लिए प्रारंभिक उच्च छूट सीमा : वस्तुओं के आपूर्तिकर्ताओं के लिए जीएसटी के पंजीकरण और भुगतान से छूट के लिए 40 लाख रुपये और 20 लाख रुपये की दो आरंभिक सीमाएं होंगी। राज्यों के पास एक सप्ताह के भीतर इनमें से किसी एक सीमा के बारे में निर्णय लेने का विकल्प होगा। सेवा प्रदाताओं के लिए पंजीकरण हेतु आरंभिक सीमा आगे भी 20 लाख रुपये ही बनी रहेगी और विशेष श्रेणी वाले राज्यों के मामले में यह आरंभिक सीमा 10 लाख रुपये रहेगी।
सेवाओं के लिए कंपोजीशन स्कीम : 6 प्रतिशत की टैक्स दर (3 प्रतिशत सीजीएसटी + 3 प्रतिशत एसजीएसटी) के साथ सेवाओं के उन आपूर्तिकर्ताओं (अथवा मिश्रित आपूर्तिकर्ता) के लिए एक कंपोजीशन स्कीम उपलब्ध कराई जाएगी जिनका वार्षिक कारोबार (टर्नओवर) पूर्ववर्ती वित्त वर्ष में 50 लाख रुपये तक होगा।
यह योजना ऐसे सेवा प्रदाताओं और वस्तुओं एवं सेवाओं के ऐसे आपूर्तिकर्ताओं के लिए मान्य होगी जो वर्तमान में उपलब्ध वस्तुओं से जुड़ी कंपोजीशन स्कीम के लिए पात्र नहीं हैं।
इन्हें करों के तिमाही भुगतान के साथ एक वार्षिक रिटर्न दाखिल करना होगा (एक सरल घोषणा के साथ)।
प्रभावी तिथि : उपर्युक्त क्रम संख्या 1 से लेकर 3 तक से जुड़े निर्णय 1 अप्रैल, 2019 से लागू हो जाएंगे।
छोटे करदाताओं को जीएसटीएन द्वारा नि:शुल्क एकाउंटिंग एवं बिलिंग सॉफ्टवेयर उपलब्ध कराया जाएगा।
निम्नलिखित मुद्दों को मंत्री समूह के सुपुर्द किया गया है :
अचल संपत्ति (रियल एस्टेट) सेक्टर के आवासीय खंड (सेगमेंट) को बढ़ावा देने हेतु एक कंपोजीशन स्कीम पेश करने के प्रस्ताव पर गौर करने के लिए सात सदस्यीय मंत्री समूह गठित किया जाएगा।
लॉटरियों से जुड़ी जीएसटी दरों की संरचना पर गौर करने के लिए एक मंत्री समूह गठित किया जाएगा।
प्राकृतिक आपदाओं के लिए राजस्व जुटाना : जीएसटी परिषद ने केरल राज्य के भीतर वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर उपकर (सेस) लगाने को मंजूरी दे दी है, जिसकी दर 1 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होगी और जिसकी अवधि 2 साल से अधिक नहीं होगी।