देश के सरकारी संस्थानों में आर टी आई के तहत 12.33 लाख आवेदन आये
22 प्रतिशत लोगों को सूचना लेने के लिए प्रथम अपील में जाना पड़ा
29,005 लोगों को द्वितीय अपील करने की जरूरत पड़ी
सुभाष चौधरी
नई दिल्ली : देश में आर टी आई का उपयोग किस कदर बढ़ा रहा है इसका अंदाजा केन्द्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) की वार्षिक रिपोर्ट से पता चलता है. वार्षिक रिपोर्ट में दावा किया किया गया है कि विभिन्न संस्थानों व विभागों से सूचना मांगने वालों की संख्या में 26 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. हालाँकि इनमें से 63 हजार से अधिक आवेदन रिजेक्ट कर दिए गए . इस दौरान 22 प्रतिशत लोगों को प्रथम अपील में जाना पड़ा जबकि 29,005 लोगों को द्वितीय अपील करने की जरूरत पड़ी. आयोग की ओर से यह रिपोर्ट लोकसभा एवं राज्यसभा में दोनों सदनों पेश की गई है.
रिपोर्ट में बताया है कि वर्ष 2017 – 18 के दौरान, 12.33 लाख आरटीआई आवेदन पंजीकृत केंद्रीय सार्वजनिक प्राधिकरणों (पीए) द्वारा प्राप्त किए गए थे। यह वर्ष 2016-17 के आंकड़े की तुलना में 3,17,458 या 26 प्रतिशत अधिक है। रिपोर्ट में यह माना है कि केंद्रीय पीए ने वर्ष 2017-18 के दौरान प्रोसेस किए गए कुल आरटीआई आवेदनों में से 4 प्रतिशत (63,206) को खारिज कर दिया। यह खारिज किए गए आवदेनों की संख्या में कमी के रुख को दर्शाता है। इस दौरान इनमें 2.59 प्रतिशत की कमी आई है, जबकि वर्ष 2016-17 में यह आंकड़ा 6.59 प्रतिशत था।
आयोग की रिपोर्ट से यह भी स्पष्ट होता है कि पिछले वर्षों में सूचना मांगने वाले आवेदनों को बड़ी संख्या में रिजेक्ट किया जाता रहा है. हालाँकि इसके कारणों का स्पष्ट उल्लेख नहीं है लेकिन अब यह कहा गया है कि अब इस मानसिकता में सुधार आया है और अब अपेक्षाकृत आर टी आई आवेदन कम संख्या में रिजेक्ट किये जा रहे हैं.
इस रिपोर्ट की चौकाने वाली बात यह है कि आरटीआई आवेदनों को खारिज करने का सर्वाधिक प्रतिशत दिल्ली उच्च न्यायालय का है जबकि दुसरे स्थान पर केन्द्रीय गृह मंत्रालय है. दिल्ली उच्च न्यायालय ने 18 प्रतिशत आर टी आई आवेदन रिजेक्ट किये जबकि गृह मंत्रालय ने 15.16 प्रतिशत लोगों को अपेक्षित सूचना देने से इनकार किया .
दूसरी तरफ यह वार्षिक रिपोर्ट यह भी दर्शाती है कि वर्ष आर टी आवेदनों को लंबित करने या अपेक्षित सूचना नहीं देने के कारन बड़ी संख्या में लोगों को अपील में जाना पड़ रहा है. 2017-18 में पिछले वर्ष की तुलना में केंद्रीय पीए द्वारा प्राप्त प्रथम अपीलों की संख्या में 22 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। कुल मिला कर 30,868 लोगों को सूचना लेने के लिए प्रथम अपील में जाना पड़ा .
यहाँ तक कि वर्ष 2017-18 में 29,005 को सूचना हासिल करने के लिए द्वितीय अपील में आयोग के समक्ष जाना पड़ा. हालाँकि आयोग ने इन शिकायतों के मामलों का निपटान किया लेकिन यह आयोग गठन के बाद से इसके द्वारा किया गया दूसरा सर्वाधिक अपील का निपटान है। इस अवधि के दौरान कुल मिलाकर 25,815 मामले दर्ज किए गए थे । बताया गया है कि वर्ष के आखिर में आयोग में 23,541 मामले लंबित थे।
आयोग ने वर्ष 2017-18 के दौरान सरकारी विभागों के अधिकारियों से सूचना देने में कोताही बरतने के लिए जुर्माना भी लगाया.आयोग ने इस दौरान 33.62 लाख रुपये का जुर्माना लगाया हालाँकि कुल मिलाकर 16.39 लाख रुपये की ही वसूली हो पाई है. कुल मिलाकर 2,079 पीए ने वार्षिक रिटर्न जमा किए हैं जो 100 प्रतिशत के आंकड़े को दर्शाते हैं और जो आयोग की स्थापना के बाद से अधिकतम है।