दलबीर धनखड़ ने अभय चौटाला पर बोला हमला, अशोक अरोड़ा को हर आड़े टेढ़े फैसले में बताया हिस्सेदार

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दुष्यंत व नैना चौटाला को टिकट देने पर पछताने वाले अभय के बयान की कड़ी आलोचना की 

गुरुग्राम : जननायक सेवा दल के प्रदेश प्रवक्ता दलबीर धनखड़ ने यहाँ जारी अपने बयान में हरियाणा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष चौधरी अभय सिंह चौटाला द्वारा मिडिया  में दिए उस बयान की आलोचना की है जिसमें उन्होंने कहा था कि वो नैना सिंह चौटाला और दुष्यंत चौटाला को टिकट देकर पछता रहे हैं.  श्री धनखड़ ने सवाल किया है कि क्या 2014 के चुनावों में चौधरी ओम प्रकाश चौटाला व् 40 साल से पार्टी के लिए संघर्ष कर रहे डॉ अजय सिंह चौटाला की कोई भूमिका नहीं थी? क्या उस समय के 32 विधायकों में से आज पार्टी 19 की संख्या पर केवल अभय सिंह के फैसले की वजह से पहुँच गयी है ? धनखड़ ने यह भी पूछा है कि टिकट देने और बाद में पछताने वाले अभय सिंह इस गिरावट के लिए भी क्या खुद को जिम्मेदार मानते हैं ?

उल्लेखनीय है कि दलबीर धनखड़ अब इनेलो से अलग जननायक जनता पार्टी का गठन करने वाले दुष्यंत चौटाला के समर्थकों में शामिल हैं. उन्होंने इनेलो विधायक दल के नेता अभय चौटाला की कार्यशैली पर तीखा प्रहार करते हुए कई सवाल दागे है. उन्होंने विज्ञप्ति के माध्यम से सवाल खड़ा किया है कि क्या पार्टी में उस समय अभय चौटाला का इतना बड़ा कद था कि वो किसी को भी टिकट दे सकते थे ? उन्होंने बल देते हुए कहा है कि इससे तो 2014 की उस चर्चा को ही बल मिलता है जिसमें कहा गया कि चौधरी ओम प्रकाश चौटाला द्वारा जारी लिस्ट में बदलाव कर अभय सिंह ने अपने चहेतों को टिकट दे दी और नतीजतन हार का सामना करना पड़ा.

धनखड़ ने ध्यान दिलाया है कि अभय चौटाला को आज की परिस्तिथियों को भी एक नजर देख लेना चाहिए. करनाल के ताज़ा घटनाक्रम के लिए भी क्या वे दोषी नहीं हैं? जब टिकट की घोषणा होने के बाद इनेलो के ऑफिसियल कैंडिडेट ने अपनी टिकट लौटा दी ? क्या अभय सिंह चौटाला को आज कोई पछतावा नहीं ? आज कुर्सी के चुनाव चिन्ह पर मेयर का चुनाव लड़ने जा रही कैंडिडेट को इनेलो ने किस मज़बूरी में अपना प्रत्याशी बताया ?

धनखड़ ने इनेलो को इस हालत में पहुंचाने के लिए इनेलो प्रदेश अध्यक्ष अशोक अरोड़ा को भी आड़े हाथों लिया है. उन्होंने कहा है कि अशोक अरोड़ा के लिए भी आज सोचने और समझने का समय है जिन्होंने प्रेस कांफ्रेंस कर उस प्रत्याशी के इनेलो से चुनाव लड़ने का ऐलान किया था लेकिन 2 दिन में ही उस प्रत्याशी ने टिकट लौटा दी और कांग्रेस से समर्थन ले लिया.

उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा है कि अशोक अरोड़ा को शायद भली भांति मालूम है कि हर आढे टेढ़े फैसले में उन्हें आगे कर अभय सिंह अपनी फजीहत से बचना चाहते हैं. उनका तीखा सवाल है कि ऐसे में क्या अशोक अरोड़ा का बतौर प्रदेश अध्यक्ष काम केवल लिखी हुई चिट्ठियां पढने का ही है ? 

धनखड़ का कहना है कि अभय सिंह की कल की बयानबाजी से इनेलो के भविष्य की झलक भी मिलती है. हो सकता है भविष्य में चौधरी ओम प्रकाश चौटाला को बिना बताए और भी फैसले लिए जाए और उनका गलत परिणाम अशोक अरोड़ा पर थोप दिया जाए. अशोक अरोड़ा के लिए मुश्किल यह भी है कि अब इनेलो के घोषित प्रत्याशी के टिकट लौटाने के बाद कांग्रेस के शीर्ष ने भी उसी कैंडिडेट को समर्थन दे दिया, तो क्या समझा जाए कि मेयर चुनाव में इनेलो और कांग्रेस एक हो कर चुनाव लड़ रही हैं? यही वो सवाल है जिसकी वजह से अशोक अरोड़ा को मंथन करने की जरूरत है.

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