31 मई से लेकर 14 जून, 2018 तक विशेष रिफंड पखवाड़ा
जीएसटी रिफंड के रूप में 30,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि को मंजूरी
सुभाष चौधरी/प्रधान संपादक
नई दिल्ली : वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का रिफंड सरकार और व्यापार जगत दोनों ही के लिए पिछले कुछ महीनों से चिंता का विषय रहा है।अब तक 14000 करोड़ रुपये तक के रिफंड दावे (आईजीएसटी मद में 7000 करोड़ रुपये और आईटीसी मद में 7000 करोड़ रुपये) सरकार के पास लंबित हैं, जबकि फियो द्वारा प्रेस रिपोर्टों में यह राशि 20000 करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया गया है। लंबित दावों की अदायगी करने के उद्देश्य से सरकार 31 मई, 2018 से लेकर 14 जून, 2018 तक ‘विशेष अभियान रिफंड पखवाड़ा’ शुरू करने जा रही है।
उल्लेखनीय है कि अब तक केंद्र सरकार ने जीएसटी रिफंड के रूप में 30,000 करोड़ रुपये से भी अधिक की राशि को मंजूरी दी है। इसमें आईजीएसटी के 16000 करोड़ रुपये और आईटीसी के 14000 करोड़ रुपये शामिल हैं। आईटीसी के आंकड़ों में केन्द्र एवं राज्य दोनों ही सरकारों द्वारा दी गई मंजूरियां शामिल हैं। मार्च 2018 में प्रथम रिफंड पखवाडे़ के बाद रिफंड मंजूरी में कमी होने के बारे में मीडिया में आई रिपोर्टों के विपरीत मई 2018 के दौरान 8000 करोड़ रुपये के रिफंड को मंजूरी दी गई है।
इस बार ‘विशेष अभियान रिफंड पखवाड़े’ के दौरान सभी तरह के रिफंड दावों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इस दौरान सीमा शुल्क, केंद्र एवं राज्य जीएसटी पदाधिकारी 30 अप्रैल, 2018 को एवं उससे पहले प्राप्त समस्त जीएसटी रिफंड आवेदनों को निपटाने की कोशिश करेंगे। इसमें निर्यात पर अदा किये गये आईजीएसटी के रिफंड, अप्रयुक्त आईटीसी के रिफंड और ‘फॉर्म जीएसटी आरएफडी–01ए’ में जमा किये गये सभी अन्य जीएसटी के रिफंड शामिल होंगे।
केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) एक ऐसे समाधान को लागू कर रहा है जिसके तहत जीएसटीएन से जुड़े रिफंड को अब कस्टम ईडीआई सिस्टम में संप्रेषित कर दिया जाएगा। यह कदम उन मामलों में उठाया जायेगा जिनमें निर्यातकों ने अपनी निर्यात आपूर्ति को गलती से घरेलू आपूर्ति घोषित कर दी है। इस संबंध में सर्कुलर संख्या 12/2018, दिनांक 29-05-2018 जारी की गई है। जीएसटीएन से रिकॉर्डों की प्राप्ति होने पर कस्टम सिस्टम मंजूरी के लिए रिफंड को स्वत: ही प्रोसेस कर देगा, बशर्ते कि निर्यातकों द्वारा कोई और गलती न की गई हो।
सर्कुलर संख्या 45/19/2018-जीएसटी को 30-05-2018 को जारी किया गया है जिसमें इनपुट सेवा वितरक, कंपोजीशन डीलर द्वारा किये गये रिफंड दावों, सेवाओं के निर्यात और एसईजेड (विशेष आर्थिक जोन) को की गई आपूर्ति से संबंधित मसलों पर स्पष्टीकरण दिया गया है। इस सर्कुलर में छूट प्राप्त अथवा गैर-जीएसटी वस्तुओं के निर्यात के मामलों में एलयूटी की आवश्यकता और नियम 96 (10) के तहत लागू की गई पाबंदी के दायरे से संबंधित मसलों पर भी स्पष्टीकरण दिया गया है।
सभी दावेदार यह बात नोट कर सकते हैं कि ‘फॉर्म जीएसटी आरएफडी–01ए’ में जमा किये गये रिफंड आवेदनों को तब तक प्रोसेस नहीं किया जाएगा जब तक कि सभी सहायक दस्तावेजों के साथ आवेदन की प्रति को क्षेत्राधिकार कर कार्यालय के समक्ष प्रस्तुत नहीं कर दिया जाएगा। केवल इसे ऑनलाइन जमा करना पर्याप्त नहीं है।
सभी जीएसटी रिफंड दावेदारों से कहा गया है कि 30 अप्रैल, 2018 को अथवा उससे पहले जमा किये गये अपने किसी भी रिफंड दावे के निपटान के लिए वे अपने-अपने क्षेत्राधिकार कर प्राधिकरण में जाएं। यदि किसी विशेष दावेदार के लिए क्षेत्राधिकार (अर्थात केन्द्र अथवा राज्य) को परिभाषित नहीं किया गया है तो वैसी स्थिति में वह इनमें से किसी भी क्षेत्राधिकार कर प्राधिकरण के यहां जा सकता/सकती है।
सभी आईजीएसटी रिफंड दावेदार अपने रिफंड की ताजा स्थिति से अवगत होने के लिए आइसगेट वेबसाइट पर अपना पंजीकरण करा सकते हैं। यदि उन्होंने ऐसा नहीं किया है तो अब अपना पंजीकरण करा सकते हैं। सीमा शुल्क से जुड़े क्षेत्रीय कार्यालयों को निर्देश दिया गया है कि वे निर्यातकों की ओर से व्यापक कदम उठाये जाने को ध्यान में रखते हुए अपने अतिरिक्त श्रमबल और बुनियादी ढांचागत संसाधनों को इस कार्य में लगा दें। उधर, निर्यातकों से आग्रह किया गया है कि वे आगे आएं और प्राप्त अवसर से लाभ उठाएं, ताकि वे इस विशेष अभियान पखवाड़े के दौरान अपने रिफंड को मंजूरी दिला सकें।