दुलर्भ मुद्राओं को देखने आये शहर के 2 हजार विद्यार्थी
छात्रों, अध्यापकों व आम लोगों को इतिहास की जानकारी देना मुख्य लक्ष्य : एडवोकेट आर एल शर्मा
गुरुग्राम : साइबर सिटी के जोन हाल में विश्व की दुलर्भ मुद्राओं की प्रदर्शनी लगाई गई। ये दुलर्भ मुद्राएं प्रथम विश्व युद्ध से पूर्व की है। इतिहास की दुलर्भ मुद्राओं को देखने शहर के लगभग २ हजार छात्रों के अलावा विशिष्ट लोगों ने देखा। प्रदर्शनी का उद्घाटन केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह व पुरातत्व विभाग के महानिदेशक प्रवीण कुमार ने किया व आज प्रदर्शनी के दूसरे दिन चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट नरेंद्र सिंह ने समापन किया।
मुख्य अतिथि ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट ने प्रदर्शनी में मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि इतिहास की जानकारी समाज के प्रत्येक व्यक्ति को होनी चाहिए। इससे हम अपने भविष्य को अच्छी तरीके से संवार सकते हंै। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया कैसे आगे बढी और दुनिया का विकास कैसे-कैसे हुआ है इस प्रदशर्नी से अंदाजा लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा दूसरे नजरिए से देखा जाए तो मानव के उत्थान और मानव की जैसी जैसी प्रगति रही है उसका अवलोकन है यह दुलर्भ मुद्रा प्रदशर्नी
सिविल लाईन स्थ्ति जोन हॉल में दो दिवसीय इस प्रदर्शन के समापन समारोह को संबोधित करतें सीजेएम नरेन्द्र सिंह ने कहा कि हमें बच्चों को इतिहास की जानकारी अवश्य देनी चाहिए। क्योकि बच्चें देश का भविष्य होते हैं। उन्होंने कहा कि इतिहास से जूड़े हुए सभी दस्तावेज बच्चों की जानकारी के लिए अहम होते हैं। इस मौके पर उन्होंने आयोजन कर्ताओं की सराहना करते हुए कहा कि इस तरह कि युनिक प्रदर्शनी का आयोजन समय समय पर होता रहना चाहिए जिससे छात्रों में इतिहास के प्रति रूचि बढ़ सके।
कार्यक्रम के आयोजक और पुलिस शहीद फाउंडेशन के अध्यक्ष एडवोकेट आरएल शर्मा ने कहा कि विश्व की दुलर्भ मुद्राओं की प्रदर्शनी को लगाने का मुख्य उद्देश्य गुरुग्राम के छात्रों, अध्यापकों और गणमान्य व्यक्तियों व जन प्रतिनिधियों को इतिहास की जानकारी देना था। प्रथम विश्व युद्ध से पूर्व लगभग ४५० देश अस्तित्व में थे, जिनकी मुद्राएं आज प्रदर्शित की गई। उन्होंने कहा कि महाभारत काल के सिक्के भी इस प्रदर्शनी में आम लोगों को देखने को मिले।
नेशनल ह्यूमैन वेलफेयर काउंसिल के अध्यक्ष गुंजन मेहता के मुताबिक विश्व के जितने भी बड़े देश हैं उन सभी की मुद्राएं यहां प्रदर्शित की गई। आज के समय में केवल १९४ देश ही विश्व में अस्तित्व में है, शेष देश या तो लुप्त हो गए या फिर दूसरे देशों द्वारा अधिग्रहीत कर लिए गए। जो देश लुप्त हो गए या अधिग्रहित हो गए उन देशों की भी क्रेंसी आज की इस प्रदर्शनी में दिखाई गई है।
गौरतलब है कि राजस्थान के ब्यावर से संबंध रखने वाले अमित मुरारका का इस दुलर्भ मुद्रा को कलेक्शन करने में लगभग बीस वर्ष का समय लगा और उन्हीं के सहयोग से यह दो दिवसीय प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इससे पूर्व उद्घाटन अवसर पर मुख्य अतिथि सांसद राव इंद्रजीत ने इस प्रदर्शनी की सराहना करते हुए कहा कि हरियाणा के इतिहास में ऐसी दुलर्भ मुद्राओं की प्रदर्शनी पहली बार की गई है। पुरातत्व विभाग के डीजी प्रवीण कुमार ने कहा था कि वे हरियाणा सरकार से आग्रह करके प्राचीन मुद्राओं का एक संग्राहलय गुरुग्राम में बनवाने का प्रयास करेंगे। दो दिन की इस प्रदर्शनी में लगभग २ हजार छात्रों और शहर के गणमान्य व्यक्तियों ने इस प्रदर्शनी को देखा और इतिहास की जानकारी ली।
दो दिवसीय प्रदर्शनी में शीतला माता मंदिर बोर्ड के सीईटो वत्सल वशिष्ठ के अलावा नेशनल ह्यूमन वेलफेयर एसोसिएशन के संरक्षक व उद्योगपति दीपक मैनी, नेशनल यूथ कोर्डिनेटर मेहंद्र सलूजा, प्रमुख शिक्षाविद आशा शर्मा, रेलवे बोर्ड के सदस्य एसएस थिरयान, वरिष्ठ अधिवक्ता हरकेश शर्मा, केके गोसार्इं, एसके वर्मा, आदि ने ललित कुमार, धर्मेंद्र गुर्जर, ललित गोला, वीना घोरियाल, सीमा गुप्ता, अनिता गुलिया, दीपक मेहता, जय सिंह भाटी, कैप्टन ओम प्रकाश, संदीप खटाना आदि मौजूद थे।