वाहन रजिस्ट्रेशन ऑथर्टी ने कार की जगह मोटर साईकल की आरसी बनाई

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: ऑथर्टी ने इसे वाहन मालिक द्वारा फर्जकारी बताते हुऐ मालिक के खिलाफ धोखाधडी का मुकदमा दर्ज कराया
 
: हाईकोर्ट ने आखिरी फैसले तक एफआईआर पर रोक लगाई और 18 जुलाई तक सरकार से जवाब तलब किया 
 
यूनुस अलवी
 
मेवात :  नूंह रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट अथॉरिटी द्वारा बोलेरो कार मालिक के खिलाफ 30 जनवरी 2018 को प्रशासन द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर के खिलाफ पंजाब एंव हरियाणा हाईकोर्ट की शर्ण में गऐ पीडित अय्यूब को राहत देते हुऐ अदालत के आखिरी फैसले तक एफआईआर पर रोक लगा दी है। सरकार से 18 जुलाई 2018 तक जवाब तलब किया है।
   तावडू खंड के गांव सूंध निवासी अय्यूब ने 2016 में एक बलेरो कार खरीदी थी उस बलेरो कार का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट बनवाने उसने रजिस्ट्रेशन ऑथर्टी में काम करने वाले मुबारिक नामक व्यक्ति को रजिस्टे्रशन और लेट फीस जमा कराने के लिए डेढ़ लाख रूपये जमा करवाने के लिए दिए थे। उसके बाद अयूब को बुलेरो गाड़ी की रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट अथॉरिटी ने आरसी जारी कर दी।
   पीडित अय्यूब के हाईकोर्ट में अधिक्ता नफीस रूपडिया ने बताया कि उसके बाद अय्यूब ने 2017 अपनी कार के रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट पर लोन लेने के लिए अथॉरिटी डिपार्टमेंट में पहुंचा तो वहां पर उसको बताया गया कि तुम्हारी कार की फीस जमा नहीं हुई है बल्कि डेढ लाख फीस की जगह सिर्फ 15 सौ रूपये की फीस जमा हुई है।
 ऐडवोकेट नफीस का कहना है कि जब रजिस्ट्रेशन को ऑनलाइन चेक किया गया तो अय्यूब की आरसी रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट कार का ही शो हो रहा है जिसमें कार की खरीदी कीमत 40 हजार दिखाई गई थी। रजिस्ट्रेशन ऑथरर्टी के कर्मचारियों ने फर्जकारी करके अय्यूब की कार की फीस डेढ लाख जमा करने की बजाऐ कार को मोटरसाइकिल की दिखाकर मात्र 1500 रूपये की फीस काटी गई है।
  ऐडवोकेट नफीस का कहना है कि इस बारे में उसके मुवक्किल अय्यूब ने एसडीएम नूह मेवात और मुख्यमंत्री विंडो में दरखास्त लगा कर मामले की जांच करने की प्रार्थना करी। तत्पश्चात मामले की जांच हुई और मुख्यमंत्री विंडो से जवाब आया कि यह सारा मामला एसडीएम ऑफिस सं सम्बंधित है इसलिए इस समस्या का समाधान ही एसडीएम कार्यालय ही कर सकता है। उनका कहना है कि एसडीएम कार्यालय ने आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाऐ उलटा ही उनके मुवक्किल अय्यूब के खिलाफ धोखाधडी सहित कई धाराओं के तहत मामला दर्ज करा दिया।
 
  ऐडवोकेट नफीस रूपडिया ने बताया कि एफआईआर के खिलाफ पीडित ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट की शरण ली है। उसके द्वारा अदालत में डाली गई याचिका पर 21 मार्च पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने सुलवाई की। याची के वकील नफीस ने बताया कि सारा मामला रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी की धांधलेबाजी का है ऑनलाइन दस्तावेज में छेड़छाड़ आम आदमी के द्वारा संभव नहीं है और अपनी गलती को छुपाने के लिए रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी मेवात ने वाहन के मालिक को ही दोषी बता दिया है जिस पर बहस सुनने के बाद माननीय पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर 18 जुलाई 2018 तक जवाब तलब किया है वहीं अदालत के आखिरी फैसले तक एफआईआर के पर रोक लगा दी है।

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