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जिला स्तरीय क्लीयरेंस कमेटी की बैठक में अधिकारियों को दी नसीहत
गुरुग्राम, 12 मार्च। उद्योगों को बढावा देने के लिए एक एकड़ भूमि अथवा 10 करोड़ रूपए तक लागत वाले उद्योग स्थापित करने के लिए आवश्यक सभी क्लीयरेंस एक छत के नीचे देने के उद्देश्य से गठित जिला स्तरीय क्लीयरेंस कमेटी की बैठक आज आईएमटी मानेसर के मानेसर क्लब में आयोजित की गई जिसकी अध्यक्षता उपायुक्त विनय प्रताप सिंह ने की।
इस बैठक में उपायुक्त ने एनओसी तथा क्लीयरेंस देने वाले सभी विभागों के अधिकारियों से कहा कि वे किसी भी आवेदन को लंबित ना रखें और उस पर निर्णय अवश्य लें। यदि कंपोजिट एप्लीकेशन फार्म (सीएएफ) सही ढंग से भरा हुआ है और आवश्यक दस्तावेज भी संलग्र किए हुए हैं तो उसे अप्रुव करें। यदि आवेदक द्वारा अवसर दिए जाने के बाद भी सीएएफ फार्म में कमियों को पूरा नहीं किया जाता या दस्तावेज नहीं लगाए जाते तो उसे रिजैैक्ट करें। उन्होंने कहा कि यदि किसी आवेदन पर 45 दिन तक कोई निर्णय नहीं लिया जाता तो कमेटी द्वारा यह निस्कर्ष निकाला जाएगा कि आवेदन में कोई कमी नही है और ऐसे मामलों मेें डीम्ड क्लीयरेंस दे दी जाएगी। यदि किसी मामले में डीम्ड क्लीयरेंस गलत दी गई तो उसके लिए संबंधित अधिकारी की जिम्मेदारी तय की जाएगी। उन्होंने कहा कि आवेदन पर ‘ना’ कहने या रिजैक्ट करने का अधिकार संबंधित अधिकारी के पास है, जिसका प्रयोग वह कर सकता है लेकिन किसी भी आवेदन को 45 दिन से ज्यादा दिनों तक लंबित नहीं रखा जा सकता।
उन्होंने अधिकारियों से कहा कि यदि कोई आवेदन ऑनलाईन पोर्टल पर प्राप्त होता है और उसमें कमियां हैं, बार-बार आग्रह करने के बाद भी कमियां दूर नहीं की जाती तो उसे बेहिचक रिजैक्ट कर दें क्योंकि उससे यह निष्कर्ष निकलता है कि आवेदक के पास आवश्यक दस्तावेज हैं ही नहीं। इसी प्रकार, यदि काई आवेदक पोर्टल पर सिर्फ रजिस्टे्रशन करता है और फार्म नहीं भरता तो भी संबंधित विभाग के अधिकारी पोर्टल पर कमेंट्स में लिख दें कि ‘फार्म नहीं भरा गया है’। उन्होंने कहा कि हरियाणा उद्यमी प्रोत्साहन कमेटी द्वारा सॉफ्टवेयर से तकनीकि खामियां काफी हद तक दूर कर दी गई हैं तथा अब सिस्टम भी सुचारू हो गया है, ऐसे में क्लीयरेंस या एनओसी देने में देरी के लिए संबंधित अधिकारी की जिम्मेदारी तय की जाएगी।
उपायुक्त ने बताया कि पिछले दिनों चण्डीगढ़ में एंपावर्ड कमेटी तथा हरियाणा एंटरप्राईज प्रोमोशन कमेटी द्वारा पुराने लंबित मामलो की समीक्षा की गई थी जिसमें स्पष्ट निर्देश दिए गए कि हर आवेदन का निपटारा 45 दिन के अंदर अवश्य होना चाहिए। उन्होंंने बताया कि उस बैठक में 14 आवेदनों को डीम्ड क्लीयरेंस दी गई, जिनमें से 13 आवेदन बिजली निगम से संबंधित थे। इतने लंबित मामले रहने के बारे में बिजली निगम अधिकारियों से उपायुक्त ने कारण पूछा तो कार्यकारी अभियंता रंजन राव ने बताया कि बिजली क्नेक्शन लगाने के लिए उद्यमी को डिमांड नेाटिस आदि भेजा जाता है और इस प्रक्रिया में 60 से 90 दिन लगते हैं। इस पर उपायुक्त ने कहा कि सेवा के अधिकार अधिनियम में यदि यह सेवा प्रदान करने के लिए 45 दिन से ज्यादा का समय दिया गया है तो बिजली निगमों के प्रशासनिक सचिव को पत्र लिखकर इस बारे में मार्ग दर्शन मांगा जाएगा कि कौन सी समयसीमा तय की जानी है। कार्यकारी अभियंता ने यह भी बताया कि पिछले 2-3 महीने से तीन फेज के मीटरों की जो कमी थी वह अब पूरी हो चुकी है और मांग के अनुरूप नए मीटर लगाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि निगम के पास अब जो पर्याप्त संख्या में तीन फेज के मीटर उपलब्ध हैं।
बैठक में उपायुक्त ने आईएमटी मानेसर की स्ट्रीट लाईटें एस्क्रो मॉडल पर ठीक करने की समयसीमा निर्धारित करने की जिम्मेदारी हरियाणा राज्य औद्योगिक संरचना विकास निगम के डीजीएम दिव्य कमल को सौंपी। आईएमटी मानेसर में हुई पिछली बैठक में निर्णय लिया गया था कि एस्क्रो अकाउंट खोलकर उद्यमियों के सहयोग से आईएमटी मानेसर के औद्योगिक क्षेत्र की सभी स्ट्रीट लाईटें ठीक की जाएं, जिससे वहां पर अपराधों में कमी आएगी।
आज की बैठक में जिला स्तरीय क्लीयरेंस कमेटी के सदस्य सचिव एवं जिला उद्योग केंद्र के संयुक्त निदेशक भागमल तक्षक, औद्योगिक सुरक्षा एवं स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त निदेशक अनुराग गहलावत, उप श्रमायुक्त दिनेश कुमार, हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी जे बी शर्मा व शक्ति सिंह, हारट्रोन के सहायक महाप्रबंधक राजीव गुलाटी, बिजली नगर निगम के कार्यकारी अभियंता रंजन राव, श्रम विभाग के सहायक श्रमायुक्त रमेश अहुजा, सीईआई के सहायक अभियंता भारत भूषण सहित कमेटी के अन्य सदस्यगण उपस्थित थे।