नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को फ्रांस के राष्ट्रपति मेक्रों का स्वागत करते हुए कहा कि यह सिर्फ दो देशों के नेताओं की मुलाकात ही नहीं, दो समान विचारवाली सभ्यताओं और उनकी समग्र धरोहरों का समागम है, संगम है। यह संयोग मात्र नहीं है कि Liberty, Equality, Fraternity – की गूंज फ्रांस में ही नहीं, भारत के संविधान में भी दर्ज हैं। हमारे दोनों देशों के समाज इन मूल्यों की नींव पर खड़े हैं। इन मूल्यों के लिए हमारे वीर सैनानियों ने दो विश्व युद्धों में अपनी कुर्बानियाँ दी हैं।
उन्होंने कहा कि मैं राष्ट्रपति मेक्रों का, और उनके साथ आए प्रतिनिधि मंडल का, भारत में सहर्ष हार्दिक स्वागत करता हूँ। राष्ट्रपति जी, कुछ महीने पहले पिछले साल आपने पेरिस में खुले दिल से और गले मिलकर बहुत गर्मजोशी से मेरा स्वागत किया था। मुझे बहुत प्रसन्नता है कि आज मुझे भारत की धरती पर आपका स्वागत करने का मौका मिला।
भाषण का मूल पाठ :
राष्ट्रपति जी,
आप और मैं यहां साथ-साथ खड़े हैं। हम सिर्फ दो सशक्त स्वतंत्र देशों व दो विविधतापूर्ण लोकतंत्रों के ही नेता नहीं हैं। हम दो समृद्ध और समर्थ विरासतों के उत्तराधिकारी हैं।
हमारी strategic partnership भले ही 20 साल पुरानी हो, हमारे देशों और हमारी सभ्यताओं की spiritual partnership सदियों लम्बी है।
18वीं शताब्दी से लेकर आज तक, पंचतंत्र की कहानियों के ज़रिये, वेद, उपनिषद, महाकाव्यों श्री रामकृष्ण और श्री अरबिंद जैसे महापुरुषों के ज़रिये, फ्रांसीसी विचारकों ने भारत की आत्मा में झांककर देखा है। वोल्तेय (Voltaire), विक्टर ह्युगो, रोमाँ रोलाँ, रेने दौमाल, आंद्रे मलरो जैसे असंख्य युगप्रवर्तकों ने भारत के दर्शन में अपनी विचाराधाराओं का पूरक और प्रेरक पाया है।
राष्ट्रपति जी,
आज हमारी यह मुलाक़ात सिर्फ दो देशों के नेताओं की मुलाकात ही नहीं, दो समान विचारवाली सभ्यताओं और उनकी समग्र धरोहरों का समागम है, संगम है। यह संयोग मात्र नहीं है कि Liberty, Equality, Fraternity – की गूंज फ्रांस में ही नहीं, भारत के संविधान में भी दर्ज हैं। हमारे दोनों देशों के समाज इन मूल्यों की नींव पर खड़े हैं। इन मूल्यों के लिए हमारे वीर सैनानियों ने दो विश्व युद्धों में अपनी कुर्बानियाँ दी हैं।
Friends,
फ्रांस और भारत की एक मंच पर उपस्थिति एक समावेशी, खुले, और समृद्ध व शान्तिमय विश्व के लिए सुनहरा संकेत है। हमारे दोनों देशों की स्वायत्त और स्वतंत्र विदेश नीतियाँ सिर्फ अपने-अपने हित पर ही नहीं, अपने देशवासियों के हित पर ही नहीं, बल्कि सार्वभौमिक मानवीय मूल्यों को सहेजने पर भी केंद्रित है। और आज, वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए यदि कोई दो देश कंधे से कंधा मिला कर चल सकते हैं, तो वे हैं भारत और फ्रांस। राष्ट्रपति जी, आपके नेतृत्व ने यह ज़िम्मेदारी आसान कर दी है। जब 2015 में International Solar Alliance का launch हुआ था, तो Paris में फ्रांस के राष्ट्रपति जी के साथ हुआ था। कल International Solar Alliance Founding Conference का आयोजन साझा ज़िम्मेदरियों के प्रति हमारी कार्यशील जागरुकता का ज्वलंत उदाहरण है। मुझे ख़ुशी है कि यह शुभ कार्य फ्रांस के राष्ट्रपति जी के साथ ही होगा।
Friends,
रक्षा, सुरक्षा, अंतरिक्ष और high technology में भारत और फ्रांस के द्विपक्षीय सहयोग का इतिहास बहुत लम्बा है। दोनों देशों में द्विपक्षीय संबंधों के बारे में bipartisan सहमति है। सरकार किसी की भी हो, हमारे संबंधों का ग्राफ़ सिर्फ़ और सिर्फ़ ऊँचा ही जाता है। आज की हमारी बातचीत में जो निर्णय लिए गए, उनका एक परिचय आपको अभी हुए समझौतों में मिल गया है। और इसलिए, मैं सिर्फ़ तीन specific विषयों पर अपने विचार रखना चाहूँगा। पहला, रक्षा क्षेत्र में हमारे संबंध बहुत गहन हैं, और हम फ्रांस को सबसे विश्वस्त रक्षा साझेदारों में एक मानते हैं। हमारी सेनाओं के सभी अंगों के बीच विचार-विमर्श और युद्ध अभ्यासों का नियमित रूप से आयोजन होता है। रक्षा उपकरणों और उत्पादन में हमारे संबंध मजबूत हैं। रक्षा क्षेत्र में France द्वारा Make in India के committment का हम स्वागत करते हैं।
आज हमारी सेनाओं के बीच reciprocal logistics support के समझौते को मैं हमारे घनिष्ठ रक्षा सहयोग के इतिहास में एक स्वर्णिम क़दम मानता हूँ। दूसरा, हम दोनों का मानना है कि भविष्य में विश्व में सुख-शांति, प्रगति और समृद्धि के लिए Indian Ocean क्षेत्र की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होने वाली है। चाहे पर्यावरण हो, या सामुद्रिक सुरक्षा, या सामुद्रिक संसाधन, या freedom of navigation and overflight, इन सभी विषयों पर हम अपना सहयोग मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। और इसलिए, आज हम Indian Ocean क्षेत्र में अपने सहयोग के लिए एक Joint Strategic Vision जारी कर रहे हैं।
और तीसरा, हम मानते हैं कि हमारे द्विपक्षीय संबंधों के उज्जवल भविष्य के लिए सबसे महत्वपूर्ण आयाम है हमारे people-to-people संबंध, विशेष रूप से हमारे युवाओं के बीच। हम चाहते हैं कि हमारे युवा एक दूसरे के देश को जानें, एक दूसरे के देश को देखें, समझें, वहां रहें, वहां काम करें, ताकि हमारे संबंधों के लिए हज़ारों Ambassadors तैयार हों। और इसलिए, आज हमने दो महत्वपूर्ण समझौते किये हैं, एक समझौता एक दूसरे की शिक्षा योग्यताओं को मान्यता देने का है, और दूसरा हमारी migration and mobility partnership का है। ये दोनों समझौते हमारे देशवासियों के, हमारे युवाओं के बीच क़रीबी संबंधों का framework तैयार करेंगे।
Friends,
हमारे संबंधों के अन्य कई आयाम हैं। सभी का उल्लेख करूँगा तो शाम हो जाएगी। रेलवे, शहरी विकास, पर्यावरण, सुरक्षा, अंतरिक्ष, यानि ज़मीन से आसमान तक, ऐसा कोई विषय नहीं है जिस पर हम साथ मिल कर काम न कर रहे हों। अंतर्राष्ट्रीय पटल पर भी हम सहयोग और समन्वय के साथ काम करते हैं। अफ्रिकी देशों से भारत और फ्रांस के मज़बूत सम्बन्ध रहे हैं। ये हमारे सहयोग का एक और आयाम विकसित करने का मज़बूत आधार प्रदान करते हैं। कल International Solar Alliance की Founding Conference की सह-अध्यक्षता राष्ट्रपति मेक्रों और मैं करेंगे। हमारे साथ कई अन्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष, शासनाध्यक्ष और मंत्रीगण भी उपस्थित होंगे। Planet Earth के भविष्य की खातिर, हम सभी International Solar Alliance की सफ़लता के लिए प्रतिबद्ध हैं।
राष्ट्रपति जी, मुझे आशा है कि परसों वाराणसी में आपको भारत की उस प्राचीन और साथ ही चिरनवीन आत्मा का अनुभव होगा जिसकी तरलता ने भारत की सभ्यता को सींचा है। और जिसने फ्रांस के अनेक विचारकों, साहित्यकारों और कलाकरों को प्रेरित भी किया है। आने वाले दो दिनों में राष्ट्रपति मेक्रों और मैं विचारों का आदान-प्रदान जारी रखेंगे। मैं एक बार फ़िर राष्ट्रपति मेक्रों का, और उनके delegation का भारत में हार्दिक स्वागत करता हूँ।
बहुत-बहुत धन्यवाद।
य वू रेमर्सि